अमित कुमार झा
महीनेभर पहले पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में आतंकी हमले हुए। इसके बाद देश का मन मिजाज सातवें आसमान पर था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिजाज को भांपा। दोषियों को आजीवन सबक सिखाने वाले कदम उठाने की घोषणा की। फिर भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए अपना पराक्रम दिखाया। इस दौरान पक्ष-विपक्ष सबों ने सरकार के स्टैंड के साथ खड़े होने की बात कही। पर यह तस्वीर तब बदल गयी जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर की घोषणा भारत- पाकिस्तान के बीच हो गयी। विपक्ष के नेता और सांसद राहुल गांधी ने तीन सवालों के जवाब सोशल मीडिया के जरिए सरकार से मांगे हैं। 22 मई को पीएम मोदी राजस्थान के बीकानेर में थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि उनका दिमाग ठंडा है लेकिन उनके अंदर लहू गर्म बहता है। उनकी नसों में गर्म सिंदूर बह रहा है। पीएम के इसी बयान को लेकर राहुल गांधी ने निशाना साधते तीन सवाल सोशल मीडिया के जरिए पूछे थे। भारतीय सेना और राफेल विमान के नुकसान पर सवाल दागने के बाद तीन सवालों के जरिए जवाब मांगा। एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल ने पीएम मोदी से खोखले भाषण बंद करने की बात करते पूछा कि आतंकवाद पर आपने पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया? ट्रंप के सामने झुककर आपने भारत के हितों की कुर्बानी क्यों दी? आपका ख़ून सिर्फ़ कैमरों के सामने ही क्यों गरम होता है?
इसके साथ ही कांग्रेस सांसद ने लिखा- आपने भारत के सम्मान से समझौता कर लिया। अब उनके इस सवाल के बाद इस पर बहस तेज है कि आखिर युद्धकाल में भी इस तरह की सियासत के क्या मायने हैं? जो तनातनी की स्थिति भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों में बनी, उसके बाद क्या केंद्र सरकार अपनी तैयारियों, सेना से जुड़ी सभी सूचनाओं को साझा करनी चाहिए?
कांग्रेस ने एक्स पर पोस्ट करते लिखा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर कराने की बात कह चुके हैं। वे 11 दिनों में 8 बार कह चुके हैं कि मैंने भारत को धमकी देकर सीजफायर करवाया। इससे देश की छवि धूमिल हो रही है। लेकिन नरेंद्र मोदी आज भी खामोश हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से बार-बार किए जा रहे इन दावों पर पूरी तरह मौन हैं। विदेश मंत्री जयशंकर भी अपने मित्र, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ओर से दिए गए बयानों पर पूरी तरह खामोश हैं।
जयराम रमेश और राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक कथित बयान पर भी सवाल उठाए, जिसमें दावा किया गया कि ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचित किया गया था। राहुल गांधी ने इसे ‘मुखबिरी’ करार देते हुए पूछा कि इससे कितने भारतीय विमान खोए गए और देश को सच जानने का हक है।
जैसा कि उम्मीद थी। राहुल के बयान पर भाजपा ने भी पलटवार किया। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दावा किया कि राहुल का मूल चरित्र भारत विरोधी है। कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार के चलते एक भी राफेल देश में नहीं आया था, लेकिन भाजपा की सरकार ने राफेल को भारत लाकर दिखाया। गौरव भाटिया के मुताबिक, देश राहुल गांधी से सवाल पूछ रहा है कि आप देश के प्रधानमंत्री से मतभेद रखते हैं, ये ठीक है। लेकिन प्रधानमंत्री के लिए तू-तड़ाक की भाषा का प्रयोग करना और आपके बयानों का समर्थन पाकिस्तान में होना, कांग्रेस के नेताओं के बयानों का समर्थन पाकिस्तान की संसद द्वारा करना और भारत को बदनाम करना चिंताजनक है। राहुल गांधी आप तय करिए कि आप किस तरफ हैं? आप भारत के नेता प्रतिपक्ष हैं या पाकिस्तान के निशान-ए-पाकिस्तान हैं? ऑपरेशन सिंदूर से पहले कांग्रेस नेता अजय राय ने राफेल को कार्टून दिखाकर उसका मजाक उड़ाया। भाजपा ने कहा कि युद्ध की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर एयर मार्शल ए.के. भारती ने स्टीक जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि युद्ध की स्थिति में इस सवाल का जवाब देना समझदारी नहीं है। इसके बावजूद, राहुल गांधी लगातार पूछ रहे हैं कि भारतीय वायुसेना के कितने विमान मार गिराए गए।
वहीं राहुल ने ये भी पूछा कि पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पहले क्यों बताया गया। दरअसल, विदेश मंत्री का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें जयशंकर ये कहते सुने गए कि हमने ऑपरेशन की शुरुआत में पाक को बताया कि हम उनके आतंकी अड्डों पर हमला बोल रहे हैं।
हालांकि, विदेश सचिव ने कहा कि जयशंकर के इस बयान को गलत तरीके से लिया गया है। जयशंकर का कहना था कि पाक के आतंकी अड्डों पर हमले के शुरुआती चरण के बाद उसे जानकारी दी गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद राहुल गांधी भले सरकार पर हमलावर दिखे पर कांग्रेस के सभी नेताओं का भी सुर उनके जैसा हो, ऐसा नहीं दिखा। गठबंधन के सहयोगी दलों की उदासीनता भी दिखी। ऐसा केवल अभी नहीं, पहले भी ऐसा हुआ है कि राहुल के बयानों पर उनकी ही पार्टी नेताओं के बयान अलग-अलग सुने गये। सीजफायर के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग उन्होंने की। पर एनसीपी (शरद पवार) ने इस मांग को गैर-जरूरी बताते इससे किनारा कर लिया। राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर संसद में चर्चा की मांग को शरद पवार ने वाजिब नहीं माना। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और टीएमसी प्रमुख ममता ममता बनर्जी ने भी विशेष सत्र बुलाने की मांग पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
विदेशमंत्री जयशंकर ने मीडिया में आकर कहा था कि ऑपरेशन की शुरुआत में हमने पाकिस्तान को संदेश भेजा था। कहा था कि हम आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं. वे सेना पर हमला नहीं कर रहे हैं. इसलिए सेना के पास इस काम में दखल न करने, और अलग रहने का विकल्प है. उनके बयान पर कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार को घेरा. बाद में राहुल गांधी ने कुछ और सवाल पूछ डाले. राहुल गांधी ने वक्त की नजाकत को नजरअंदाज कर दिया। अपने पुराने अंदाज में सरकार को निशाने पर लिया। जयशंकर को 'मुखबिर' तक का तमगा दे दिया. पूछा कि हमारे कितने राफेल गिरे? इस सवाल पर कांग्रेस के ही कई नेताओं ने चुप्पी साध ली. सलमान खुर्शीद और पी चिदंबरम जैसे दिग्गजों ने राहुल के बयान से एक तरह से किनारा कर लिया. युद्धकाल में बतौर नेता विपक्ष ऐसे सवालों को सियासी अपरिपक्वता की निशानी माना गया। संवेदनशील मौकों पर सवालों के तीर कांग्रेस या राहुल गांधी पहले भी छोड़ते रहे हैं. साल 2016 में उरी अटैक के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी। 2019 में पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक हुआ था. इन दोनों ही समय में कांग्रेस ने कुछ ऐसे सवाल किए जो न पूछे जाते तो बेहतर होता.
राहुल गांधी कई बार अपनी धुन और आवेश में अपनी ही पार्टी की फजीहत करा चुके हैं. वर्ष 2019 में जब नीरव मोदी का मामला तूल पकड़े हुए था, तब कर्नाटक की रैली में राहुल ने सवाल कर दिया था कि सभी चोरों का नाम मोदी क्यों है? इसके बाद पीएम मोदी ने इसे गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया। नतीजा ये हुआ कि राहुल पर केस चला, सजा हुई और सांसदी गई. राफेल डील होने के दौरान भी राहुल ने नारा उछाला था- चौकीदार चोर है. इसका नतीजा ये हुआ था कि अंततः राहुल को माफी मांगनी पड़ी थी। खैर, अब समय बतायेगा कि राहुल के सवाल उन्हें या उनकी पार्टी के लिए कितने 'फायदेमंद' साबित होंगे। फिलहाल तो कांग्रेस ने मान लिया है कि उनके नेता ने तीन सवाल रूपी 'राफेल' के जरिए मोदी सरकार को निशाने पर लेकर उसे जवाबदेह बना दिया है।
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