प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कई बातें स्पष्ट की हैं। उन्होंने आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान से दो टूक कहा है कि 'हम परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर आपने दोबारा कोई दुस्साहस किया तो हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत हमारी सेना ने जो वीरता और साहस दिखाया, मैं उसे सलाम करता हूं। अमेरिका का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि हमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है।
भविष्य में अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी तो वह पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) और आतंकवाद के मुद्दे पर होगी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री का देश की जनता के नाम यह पहला संबोधन था। भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। यह करीब तीन दशक से चल रहा है। कश्मीर में आम लोगों का जीना दूभर हो गया था। 2008 में मुंबई हमले के बाद भी पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की केंद्र सरकार पर निर्दोष लोगों की हत्या का बदला लेने का दबाव था। प्रधानमंत्री ने बिहार में एक जनसभा में कहा- 'हम आतंकियों को ऐसी सजा देंगे कि उनकी कल्पना से परे होगी। आतंकियों और उनके आकाओं के ठिकानों को नष्ट करने का समय आ गया है।'
इसके बाद प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर 'ऑपरेशन सिंदूर' की पटकथा लिखी। जब इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया तो पाकिस्तान घबरा गया। हमारी मिसाइलों से पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकाने नष्ट कर दिए गए। इतना ही नहीं, हमने पाकिस्तान के एयरबेस को भी नष्ट कर दिया। पाकिस्तान का काला अध्याय पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुका है। वैश्विक मंच पर वह पहले ही अलग-थलग पड़ चुका है।
आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते पाकिस्तान भारत से बातचीत करने का इच्छुक रहा है। लेकिन, भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जब तक सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ और उनकी गतिविधियाँ जारी रहेंगी, तब तक बातचीत नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में दोहराया कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। जब तक आतंकवाद जारी रहेगा, तब तक व्यापार नहीं हो सकता। खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते। इसका मतलब है कि सिंधु जल संधि अभी स्थगित रहेगी। पाकिस्तान पानी के लिए तरसेगा। यह पड़ोसी देश को स्पष्ट संदेश है कि
'अपने तौर-तरीके सुधारो वरना हम मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। तुम परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देकर भारत को नहीं डरा सकते। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।' पाकिस्तान को यह बताना बहुत ज़रूरी था कि अगर उसे शांति का रास्ता चाहिए तो उसे आतंकवाद का समर्थन करना बंद कर देना चाहिए। नहीं तो यह आतंकवाद एक दिन पाकिस्तान को निगल जाएगा।
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्ध विराम की खबर फैलाई तो भारतीयों को आश्चर्य हुआ कि हमारी सरकार ने यह खबर पहले क्यों नहीं फैलाई? खैर, जो भी हो, अमेरिका ने इसका पूरा श्रेय लेने की कोशिश की। उसे दोनों देशों के साथ व्यापार करना है। इसलिए वह नहीं चाहता था कि युद्ध और भड़के। भारत की तीखी कार्रवाई से पाकिस्तान भड़क गया। उसने अमेरिका से गुहार लगाई। इसके बाद अमेरिका ने भी मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा। राष्ट्रपति ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में भी ऐसी पेशकश कर चुके हैं। लेकिन, पीएम मोदी ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस मामले में किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
अमेरिका पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व दिखाना चाहता है। मोदी की दो टूक बातों के बाद उसे हमारी बात भी समझ आ गई होगी। पाकिस्तान पर कौन भरोसा करेगा? पूरे घटनाक्रम के बाद यह बात भी सामने आई है कि पाकिस्तान भरोसे के लायक नहीं है। उसे कई बार नसीहत भी दी जा चुकी है। पठानकोट हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और उरी हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद भी वह बाज नहीं आया। दरअसल, उसकी सरकार और सेना आतंकवाद को पनाह देती है। लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों पर उसका नियंत्रण नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए प्रमुख आतंकियों के जनाजे में सेना के अधिकारी मौजूद थे। यह तस्वीर पूरी दुनिया देख रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संबोधन में इसका जिक्र किया। संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पाकिस्तान को कई बार फटकार लग चुकी है। यूएनओ ने उसके कई आतंकियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। दरअसल, हमारे पड़ोस में एक शैतानी देश है। भारत जहां शांति का पक्षधर है, वहीं पाकिस्तान दंगाइयों और असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देता है। लेकिन इस बार हमारी सेना ने उनकी आत्मा को ठेस पहुंचाई है। यह बड़ा सबक है। लश्कर प्रमुख हाफिज सईद और जैश प्रमुख मसूद अजहर अभी भी अपने बिलों में छिपे हुए हैं। उन्हें मारना जरूरी है। जब तक वे जिंदा हैं, आतंकवाद की नर्सरी खत्म नहीं होगी। ऐसा नहीं लगता कि वे अपनी आदत छोड़ेंगे।
आदर्श प्रकाश सिंह
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