भारतीय जनता पार्टी के दो उम्रदराज लेकिन छुट्भइया नेताओं की सार्वजनिक स्थल पर अश्लील हरकतों ने पार्टी के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है क्योंकि जिस चाल,चरित्र और चेहरे के सहारे पार्टी सार्वजनिक मंचों पर दूसरी पार्टियों की धज्जियां उड़ाया करती थी अब वैसे ही दाग भाजपा के दामन पर भी लग गये है। उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश की घटना को संक्षेप में जानते है।
बलिया जनपद के भाजपा नेता और द किसान सहकारी चीनी मिल रसड़ा, बलिया के चेयरमैन 70 वर्षीय बब्बन सिंह रघुवंशी से जुड़ा एक वीडियो वायरल होता है जिसमें वह एक बारात में आरकेस्ट्रा डांसर को अपनी गोद में बिठा शर्मसार करने वाली अश्लील हरकत करते दिख रहे हंै। यह क्रम काफी देर तक चलता है,लोग अपने मोबाइल से वीडियो बना रहे थे, तालियां बजा रहे थे, पैसे लुटा रहे थे लेकिन बब्बन सिंह को अपनी उम्र, पद और मर्यादा का रंच मात्र भी ध्यान नहीं आता है। इस शर्मसार करने वाली घटना का वीडियो जब वायरल होता है तो रघुवंशी अपनी सफाई में कहते है कि यह सब एक साजिश के तहत किया गया है ताकि अगले विधान सभा चुनाव मे ंहम टिकट की दावेदारी न कर सकें। वह अपने को उ.प्र. सरकार के मंत्री दया शंकर सिंह का रिश्तेदार भी बताते रहे। वीडियो वायरल होते ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने पूरा वीडियो एक्स पर पोस्ट कर भाजपा नेता की निंदा की। मामला पार्टी नेताओं के संज्ञान में आने के बाद रघुवंशी को बिना किसी नोटिस या स्पष्टीकरण के 15 मई को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
मध्य प्रदेश के मंदसौर जनपद के बनी गांव निवासी मनोहर लाल धाकड़ ने जो कुछ किया वह तो और शर्मसार करने वाला था। मुंबई दिल्ली एक्सप्रेस वे पर, जो मंदसौर से होकर गुजरता है, पर 13 मई की रात भाजपा नेता मनोहर लाल धाकड़ एक महिला से खुलेआम यौन संबंध बनाते हुये हाइवे पर लगेे कैमरे में कैद हुये। मामला कुछ दिन तक रुपयों के लेन देन को लेकर रूका रहा लेकिन जब हाइवे कर्मचारियों को रुपयेे नहीं मिले तो उन सब ने अश्लील वीडियो वायरल कर दिया। सार्वजनिक स्थल पर अश्लील हरकत वाला वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने 23 मई को मनोहर लाल के खिलाफ केस दर्ज किया और 25 मई को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया लेकिन न्यायालय से धाकड़ को अगले ही दिन जमानत मिल गई। पुलिस पूछताछ में उसने कहा कि वह तो खुशनुमा पल बिताने के लिये हाई वे पर घूम रहा था। मनोहर लाल का भी वीडियो इतना शर्मनाक है कि उसे शब्द देकर लिखा नहीं जा सकता है। मनोहर लाल भाजपा से जुड़ा है। अपने गांव या आसपास होने वाले कार्यक्रमों का नेतृत्व करता है। अभी घटना से एक दिन पहले ही वह अपने गांव में तिरंगा यात्रा लेकर निकला था। उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य है। इतना सब होने के बाद भाजपा ने यह कह कर अपना दामन बचाने का प्रयास किया कि वह पार्टी का सक्रिय सदस्य नहीं अपितु आन लाइन सदस्य है जबकि उसके बारे में उस क्षेत्र के लोग भी जानते है कि वह पूर्व विधायक यशपाल सिसौदिया का खास आदमी है। भाजपा मनोहर लाल के इस घृणित कृत्य से शर्मसार हो या न हो लेकिन आ रही खबरंे बता रही हंै कि उसके गांव और समाज के लोग बहुत ही शर्मिंदा और आक्रोशित है।
उ.प्र. के गोंडा जनपद का वायरल वीडियो बलिया और मंदसौर जितना अश्लील तो नहीं है लेकिन नैतिकता का पाठ पढाने वाली भाजपा के लिये मुश्किल पैदा कर रहा है। यह वीडियो भी 12 अप्रैल का है लेकिन वायरल 25 मई को होता है। गोंडा के जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप उर्फ बम बम उस दिन रात्रि लगभग 9.30 बजे अपनी गाड़ी से भाजपा कार्यालय आते है उनके साथ एक महिला भी थी। महिला को वह इशारा करके बुलाते है और उसे लेकर पार्टी कार्यालय के अंदर जाते है। महिला सीढ़ियों से दूसरे तल पर पहुंचती है तभी पीछे से कश्यप आते हैं और उसका हाथ पकड़ते है और गले लगाते हैं फिर सीढ़ियों के सहारे तीसरे तल की ओर चले जाते है। वीडियो वायरल होने के बाद मामले पर भाजपा जिलाध्यक्ष की सफाई भी आ गई है और वह महिला, जो अपने को भाजपा की कार्यकर्ता बता रही है, भी सामने आयी है। कश्यप का कहना है कि महिला की तबियत अचानक खराब हो गई थी उसने फोन करके मदद मांगी थी। उसकी रेस्ट करने के लिये भाजपा कार्यालय लाया था सीढ़ियों पर चढते समय उसे चक्कर आ गया तो मैने सहारा दिया। महिला ने भी नेता जी को क्लीन चिट देते हुये कहा है कि वह हमारे परिवार के सदस्य की तरह है। फिलहाल इस मामले में पार्टी की ओेर से अमर किशोर कश्यप को कारण बताओ नोटिस दी गई है जिसका जबाब आने के बाद ही पता चलेगा कि पार्टी इस मामले में कया करेगी।
पिछले कुछ समय से भाजपा नेताओं के अनैतिक आचरण से संबंधित मामलों में बढोत्तरी हो रही है। मात्र एक माह में घटी इन घटनाओं ने भाजपा को अन्य पार्टियों के समकक्ष खड़ा कर दिया है। अब कहा जाने लगा है कि सत्ता में रहने के कारण भाजपा से जुड़े तमाम नेता भी अपने को नियम और कानून से ऊपर समझने लग रहे हंै। उनके लिये नैतिकता, सामाजिक मर्यादा का कोई मायने नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन नेताओं की कोई जबाबदेही नहीं होती है। उन्हें पता होता है कि निलम्बन या पार्टी से निष्कासन के बाद उनकी वापसी होनी है। वह कुछ दिन बाद से ही मामले को विरोधियों की साजिश बता कर अपना दामन बचा लेते है। दोनों ही मामलों में इस फार्मूले को लागू करने का प्रयास शुरू हो गया है। पार्टी की ओर से भी ऐसे गलत कार्यो के लिये कोई कठोर कार्यवाही नहीं होती है जिसको लेकर इस प्रकार के नेताओं में भय पैदा हो। कुछ दिन बाद यह फिर किसी न किसी दरवाजे से पार्टी में प्रवेश पा जायेंगे। फिलहाल पार्टी के नेताओं के कारण भाजपा के दामन पर चारित्रिक पतन का जो दाग लगा है वह अब आसानी से छूटने वाला नहीं है। यदि अब इस प्रकार के मामलों में पार्टी ने कोई कठोर कदम नहीं उठाया तो संभव है आने वाले समय में सत्ता के मद में चूर और नेता भी ऐसी घटनाओं में लिप्त पाये जांय क्योंकि सोशल मीडिया के इस दौर में इस प्रकार की किसी घटना को सार्वजनिक होने में समय नहीं लगेगा।
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