सरकार ने जनता में इस नाराजगी को देखते हुए भारत सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें इन देशों के मीडिया, सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रतिबंध के साथ-साथ व्यापारिक संस्थानों पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल है। तुर्किए के खिलाफ नाराजगी इतनी ज्यादा है कि बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के तुर्किए और अजरबैजान जाने वाले भारतीय पर्यटकों ने अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं,
पहलगाम में सामान्य नागरिकों पर, पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों द्वारा किये गए क्रूर हमले के बाद भारत ने चेतावनी देकर पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला करके उनमें से नौ ठिकानों को नष्ट किया किया। आतंक के ठिकानों पर हुए हमलों को अपने ऊपर हुआ हमला कहते हुए पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोल दिया और जवाबी कार्यवाही में उसके 11 एयर बेसेस को भरी नुकसान पहुंचा। ऐसे में विश्व के दो देश तुर्किए और अजरबैजान मजहब का नाम लेते हुए पाकिस्तान के खड़े हो गए। स्मरणीय है कि तुर्किये में पिछली बार आए भीषण भूकंप में मानवीय सहायता देने वाला भारत ही था । जिस प्रकार से तुर्किए और अजरबैजान ने पाकिस्तान के साथ खड़े रहने की बात की उससे अब भारत की जनता में इन दोनों देशों के विरुद्ध गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया है। जिन देशों के विरुद्ध भारत में आक्रोश है उनमें चीन भी शामिल है जो भारत का सर्वकालिक प्रतिद्वंद्वी तथा पाकिस्तान का मित्र है। भारत सरकार ने जनता में व्याप्त इस आक्रोश को देखते हुए कई कड़े कदम उठाए हैं जिनमें मीडिया, सोशल मीडिया एकाउंट्स पर प्रतिबन्ध के साथ साथ इन देशों की व्यावसायिक संस्थाओं पर प्रतिबन्ध भी शामिल है।
तुर्किए के प्रति आक्रोश इतना अधिक है कि बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के तुर्किये और अजरबैजान जाने वाले भारतीय पर्यटकों ने अपने कार्यक्रम निरस्त कर दिए हैं, पर्यटन कंपनियों ने इन देशों के लिए बुकिंग बंद कर दी है, मार्बल, सेब आदि के व्यापारियों ने तुर्किये से व्यापारिक सम्बन्ध समाप्त कर दिए हैं । जेएनयू तथा जामिया के साथ साथ छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, हैदरबाद स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय ने भी तुर्किये के साथ अपने समझौते रद्द कर दिए हैं।
मालदीव की तरह ही भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक तुर्किए व अजरबैजान की यात्रा पर जाते हैं किंतु अब भारत के पर्यटकों ने दुश्मन के दोस्त को दुश्मन मानते हुए तुर्कि ए व अजरबैजान का बहिष्कार प्रारम्भ कर दिया जिसका स्पष्ट प्रभाव से दिखाई देने लगा है।इन दोनो ही देशों को अकेले उत्तर प्रदेश से 1600 करोड़ का झटका लग चुका है और आठ हजार टूर पैकेज निरस्त हो चुके हैं।
देश भर के व्यापारी संगठनों ने भी इन सभी देशों का पूर्ण बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। तुर्किए और अजरबैजान जैसे देशों में हिंदी फिल्मों की खूब शूटिंग होती है किंतु अब यहां पर भी परिदृष्य बदल रहा है सिनेमा संगठन निर्माता निर्देशकों से मांग कर रहे हैं कि अब तुर्किए और अजरबैजान में कोई शूटिंग न करें अगर इन देशों में भारतीय फिल्मों की शूटिंग बंद हो जाती है तो इन दोनों देशों के आर्थिक हालात बिगड़ने आरम्भ हो जायेंगे।
अखिल भारतीय व्यापरी परिसंघ (कैट) के अनुसार भारत के लगभग सभी व्यापारी संगठनों तुर्किए और अजरबैजान का पूर्ण आर्थिक व व्यापारिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। संगठन का कहना है कि भारतीय निर्यातकों आयातकों एवं व्यापार प्रतिनिधि मंडलों को तुर्किए और अजरबैजान में स्थित कंपनियों या संस्थानों के साथ किसी भी तरह के जुड़ाव के लिए हतोत्साहित किया जायेगा। तुर्किए और अजरबैजान के खिलाफ लखनऊ से लेकर दिल्ली और भोपाल तक व्यापक स्तर पर धरना –प्रदर्शन किया जा रहा है।अनेक स्थलों पर तुर्किए के कालीनों को सांकेतिक रूप से उसी प्रकार से जलाया जा रहा है जिस प्रकार से स्वाधीनता संग्राम के दौरान ब्रिटिश उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार प्रारम्भ हो गया था। हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक भी अपने सेब तुर्किए व अजरबैजान आदि देशों में नहीं भेजना चाहते हैं वह भी तब जबकि तुर्किए से 800 करोड़ से अधिक का व्यापार होता है।
भारत ने तुर्किए के सदा मित्रवत व्यवहार किया है। 6 फरवरी 2023 को जब तुर्किए और सीरिया में 7.8 तीव्रता के भयानक भूकंप ने तबाही मचाई थी तब भारत ने ही सबसे पहले मानवीय सहायता भेजी थी लेकिन तुर्किये केवल मजहब के नाम पर पाकिस्तान का साथ दे रहा है। तुर्किए ने पाकिस्तान के समर्थन में अपना एक युद्धपोत भेजने के साथ साथ ड्रोन भी दिए जिनसे पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला किया वो बात और है कि उधार के ये ड्रोन भारत ने आकश में ही मार गिराए। इसका एक लाभ ये हुआ कि पाकिस्तान से मैत्री निभाने के चक्कर में तुर्किए के ड्रोन व तकनीक की हवा निकल गई और पूरी दुनिया में उसकी बेइज्ज्ती हो गई है।
यह एक रोचक तथ्य है कि भारत के साथ व्यापार करने और भारत द्वारा सहायता दिए जाने के बावजूद तुर्किए के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्दोगान का झुकाव पाकिस्तान की ओर रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद एर्दोगान ने दस बार पाकिस्तान की यात्रा की है और जबकि जी-20 के अलावा सिर्फ 2 बार भारत यात्रा पर आए हैं। विगर वर्षों में तुर्किए पाकिस्तान को सबसे अधिक हथियार निर्यात करने वाला देश बन चुका है।
यद्यपि तुर्किए के बहिष्कार का व्यापारिक प्रभाव दिखाई पड़ रहा है तथापि तुर्किए को घुटनों पर लाने के लिए अब भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कूटनीतिक प्रयास बढ़ाने होंगे क्योकि रूस और चीन के साथ तुर्किए के अच्छे व्यापारिक संबंध हैं जिसके कारण वह जल्दी दबाव में नहीं आने वाला है।
तुर्किये की भारत के साथ धोखाधड़ी ने भारतीय बॉलीवुड के कुछ नामचीन लोगों पर भी सवाल उठाए हैं जिनके एर्दोगान के साथ पारिवारिक सम्बन्ध बताए जाते हैं इनमे से एक आमिर खान को पहले कई संदिग्ध लोगों के साथ देखा जा चुका है अतः बाहरी देशों के बहिष्कार से पहले घर के अन्दर बैठे इन दुश्मनों का बहिष्कार आवश्यक है ।
मृत्युंजय दीक्षित
अन्य प्रमुख खबरें
आसान नहीं है आजम खां की सियासत की राह
एशिया कपः ट्राफी नहीं चैंपियंनस के साथ लौटेगी टीम इंडिया
आख़िरकार जेन-ज़ी को भड़काने में सफल रहे अलगाववादी, लेह-लद्दाख की घटना से सबक ले सरकार
अफवाह से आफत: कब बेनकाब होंगे साजिशकर्ता
आखिर कौन कर रहा है सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश ?
राहुल गांधी की Gen Z से संविधान बचाने की अपील: क्या पड़ेगा असर ?
Bihar Assembly Elections: मूलभूत मुद्दों के बजाय जातीय समीकरण पर जोर
Happy Birthday PM Modi@75: भारतीय राजनीति के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मणिपुर में विकास और शांति की एक नई भोर
Bihar Assembly Elections 2025 : बहेगी जीएसटी सुधार की बयार
देश में अपसंस्कृति के संवाहक बनते राहुल गांधी
भारत में स्वदेशी चिप क्रांति का बिगुल
भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग: विश्व गुरू बनने की दिशा में एक और कदम
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मलेन में भी बजा भारत का डंका
वोटर अधिकार यात्रा: विवादास्पद नेताओं की भागीदारी से राजग को मिला मुद्दा