बिहार में राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई वोटर अधिकार यात्रा के दौरान दरभंगा जिले के एक कस्बे में बनाये गये मंच से देश के प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत माता जी के लिये कहे गये अपशब्द पर जनआक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले भाजपा और जदयू के कार्यकर्ताओं ने तात्कालिक प्रतिक्रिया में कांग्रेस के कुछ कार्यालयों सहित अनेक स्थानों पर प्रदर्शन किया, राहुल गांधी की यात्रा का विरोध और काले झंड़े दिखाये परन्तु विदेश यात्रा से लौटने के बाद जब प्रधानमंत्री ने भावुक होकर मां के अपमान को देश की मां- बहन और बेटियों के अपमान से जोड़ दिया तो मामला और तूल पकड़ गया। अब यह आन्दोलन शहर से होता हुआ कस्बों और गांवों तक जा पहुंचा है जहां कांग्रेस के साथ आरजेडी के कार्यकर्ताओं की भी फजीहत हो रही है।
27 अगस्त को दरभंगा के सिमरी थानान्र्तगत बिठौली कस्बे में कांग्रेसी कार्यकर्ता मोहम्मद नौशाद द्वारा राहुल गांधी के स्वागत के लिये मंच बनाया गया था। उसी मंच से मोहम्मद रफीक रिजवी उर्फ राजा नाम के युवक ने प्रधानमंत्री और उनकी दिवगंत माता हीराबेन मोदी के लिये अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुये अनर्गल टिप्पणी की और चला गया। मामला संज्ञान में आते ही भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। मंच के आयोजक नौशाद ने तो सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली लेकिन कांग्रेस के किसी पदाधिकारी या स्वयं राहुल गांधी ने माफी तो दूर खेद भी नहीं प्रगट किया। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेडा ने तो यहां तक कह दिया कि टिप्पणी करने वाला भाजपा का ही एजेंट था।
किसी राजनीतिक दल के मंच से प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही उनकी स्वर्गीय माता जी के लिये अशोभनीय टिप्पणी की घटना शायद पहली बार सामने आयी है जबकि सर्व विदित है कि उनका राजनीति से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं रहा है। उनका सीधा साधा जीवन सामाजिक कार्यो के प्रति समर्पित रहा है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि इस घटना पर माफी मांगने के बजाय राहुल गांधी और उनके पार्टी के लोग बहुत ही बेशर्मी यह बताने में लगे है कि अतीत में तमाम नेता इस प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग करते रहें हैं अर्थात वह इस घटना को गलत बताने के बजाय एक परम्परा बताने का प्रयास कर रहे हैं।
लोकतांत्रिक देश में सत्ता पक्ष और विपक्ष का एक दूसरे की नीतियों का विरोध करना, आलोचना करना सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया मानी जाती है लेकिन प्रधानमंत्री के पद की गरिमा और मर्यादा से खिलवाड़ करना किसी को भी स्वीकार्य नहीं होगा। दरभंगा की घटना के बाद कांग्रेस की दूषित होती संस्कृति को लेकर सवाल उठने लगे है क्योंकि राहुल गांधी से लेकर उनके तमाम नेता पिछले लगभग एक दशक से सामाजिक मर्यादा त्याग कर लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पूर्व या प्रचार के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये अपशब्दों का प्रयोग अनवरत करते आ रहें हंै। विश्व के किसी भी देश में प्रधानमंत्री के लिये इतनी अशोभनीय और अभद्र टिप्पणी का उदाहरण शायद ही मिले। देश में घूम घूम कर मोहब्बत की दुकान चलाने का दावा करने वाले राहुल गांधी और उनके नेता देश में नफरत के ऐसे बीज बो रहे जिसकी मिशाल मिलना मुश्किल है।
भारतीय राजनीति में नरेन्द्र मोदी का उभरता कद कांग्रेस को कभी भी स्वीकार्य नहीं रहा हैं। वह सदैव मोदी को आहत और हतोत्साहित करने का प्रयास करते आ रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुये ’’गायब’’ पोस्टर रिलीज किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री की बिना सिर वाली तस्वीर ट्वीट की गई। कांग्रेस के इस ’सर तन से जुदा’ की मानसिकता प्रदर्शित करने वाले पोस्टर को पाकिस्तानी सोशल मीडिया में खूब जगह मिली।
चुनावों के समय कांग्रेसियों द्वारा प्रधानमंत्री पर की गई कुछ टिप्पणियां आज भी लोगों के दिलों में चुभन पैदा करती हैं। 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने प्रचार में नरेन्द्र मोदी को जहरीला सांप बताते हुये कहा कि मोदी जहरीले सांप की तरह हैं, आप लोग मानो या न मानो अगर चाट लिया तो मर जाओगे। खरगे का मोदी को आहत करने वाला यह बयान नया नहीं था। 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने प्रधानमंत्री की तुलना रावण से करते हुये तू-तड़ाग की भाषा का प्रयोग किया। खरगे ने कहा कि तुम्हारी सूरत कितनी बार देखें। पार्षद के चुनाव में तुम्हारी सूरत देखें, एमएलए चुनाव में भी तुम्हारी सूरत देखें, एमपी के चुनाव में भी तुम्हारी सूरत देखें। हर जगह, कितने हैं भाई । क्या आपके रावण के जैसा 100 मुख है? खरगे की यह टिप्पणी कांग्रेस के लिये इतनी घातक सिद्ध हुई कि वह चुनाव में 17 की न्यूनतम संख्या पर आ गई और भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला।
2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हुये उन्हें नींच आदमी की उपाधि दे दी। अय्यर ने कहा कि ये आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी है। अय्यर की यह टिप्पणी भी कांग्रेस को लाभ नहीं पहुंचा सकी और गुजरात में भाजपा की सरकार बन गई। मोदी पर कांग्रेस की टिप्पणी राजनीति दुश्मनी से इतर निजी ज्यादा प्रतीत होती है क्योंकि 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में सोनिया गांधी भी मोदी पर हमलावर रही हैं। सोनिया गांधी ने कहा था कि गुजरात की सरकार चलाने वाले झूठे, बेइमान,डर और मौत के सौदागर हैं। पूरे चुनाव में मोदी ही कांग्रेस के टारगेट पर रहे लेकिन चुनाव के बाद भाजपा ने बहुमत से अपनी सरकार बनाई।
नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व से कांग्रेस शुरू से भयभीत रही है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुये जब नरेन्द्र मोदी की अगुवायी में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय हुआ तो कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता मोदी पर हमलावर हो गये। तत्कालीन कांग्रेस के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा ने मोदी को पागल कुत्ता कहा। वर्मा ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर को किसी पागल कुत्ते से प्रदूषित न होने दें। यह देश की जनता का फर्ज है। कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता मणि शंकर अय्यर ने कहा था कि मोदी देश के प्रधानमंत्री तो नहीं बन सकते हैं यदि यहां आकर चाय बेचना चाहे ंतो हम उनके लिये कोई जगह बना देंगे। इमरान मसूद जैसे नेताओं ने तो मोदी के टुकड़े-टुकड़े करने की बात कही थी।
कांग्रेस की अर्नगल और अशोभनीय टिप्पणियों का सिलसिला 2019 में भी जारी रहा। प्रधानमंत्री द्वारा अपने को देश का चौकीदार बताने पर राहुल गांधी अपने प्रचार में घूम घूम कर कहते रहे कि ’’चौकीदार चोर’’ है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से पद चिन्हों पर चलते हुये छुटभइया नेताओं की भाषा भी मर्यादा और अनुशासन खोती जा रही है। प्रधानमंत्री या उनकी माता जी पर अशोभनीय टिप्पणी को कांग्रेस भले ही अपने कुतर्को से ढ़कने का प्रयास कर रही है लेकिन सच यह है कि यह मामला भारतीय सभ्यता और संस्कृति में रचे बसे देशवासियों के सीने में बहुत दिनों तक चुभता रहेगा और जिस चुनावी लाभ के लिये यह अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वह कांग्रेस को हासिल होने वाला नहीं है, अतीत के चुनाव इसकी गवाही दे रहे हैं।
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