सुधीर जोशी
हिंदुत्व के प्रबल वाहक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा संविधान निर्माण समिति के एक सदस्य डॉ। बाबा साहब आंबेडकर की दीक्षा भूमि नागपुर में रंग पर्व के दो दिन बाद यानी 17 मार्च को दंगा क्यों हुआ, यह सवाल अभी भी लोगों के मन में कौंध रहा है। संतरा नगरी के रूप में ख्यात नागपुर शहर समरसता वाला शहर कहा जाता है, ऐसे में संतरागरी में हिंसा होने के कारणों की मीमांसा करना भी बहुत जरूरी है। पिछले एक माह से ज्यादा समय से में औरंगजेब की मजार का मुद्दा न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश में विवाद का केंद्र रहा है। औरंगजेब की कब्र (मजार) को हटाने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। औरंगजेब की मृत्यु आज से लगभग 300 वर्ष पहले 20 फरवरी, 1707 को हुई थी। औरंगजेब का मकबरा भी उतना ही साधारण है। वास्तव में कई लोग तो उसे भूल भी चुके थे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस मकबरे का महत्व अचानक एक बार फिर बढ़ गया है। औरंगजेब ने लगभग 50 वर्षों तक भारत में शासन किया। औरंगजेब को सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले मुगल शासकों में गिना जाता था। हालांकि, उसकी मौत के बाद उन्हें महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में दफनाया गया। वास्तव में कई मुगल अधिकारियों की कब्रें औरंगजेब की कब्र से भी बड़ी हैं, लेकिन चूंकि औरंगजेब की गणना एक क्रूर शासक के रूप में की जाती है इसलिए उसकी मजार को लेकर कोहराम मचा हुआ है।
नागपुर में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने अब तक 104 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हो सकता है कि इस मामले में आने वाले दिनों में कुछ और नाम सामने आ जाए। इस मामले में छह लोगों के खिलाफ देशद्रोह की धारा के तहत आरोप लगाए गए हैं। साइबर पुलिस उपायुक्त लोहित मतानी ने दावा किया है कि हिंसा में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। हिंसा करने वालों से पुलिस पर भी पथराव भी किया था। पुलिस पर किए गए हमले को अक्षम्य बताते हुए सरकार ने सख्त कार्रवाई करने का मन बनाया है और सरकार ने इस दिशा में कदम भी उठाना शुरु कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने विधानसभा में आक्रामक लहजे में चेतावनी दी कि हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा। हमें उन्हें कब्र से खोदकर बाहर निकालेंगे। वरिष्ठ कांग्रेस सदस्य नाना पटोले और अन्य सदस्यों ने विधानसभा सत्र के दौरान उप-राजधानी में हुई हिंसा के मुद्दे को उठाया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जहां एक ओर से यह कहा कहा कि हम यह पता लगा रहे हैं कि यह हमला पूर्वनियोजित था या नहीं, लेकिन दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्पष्ट रूप से कहा रहे हैं कि हिंसा पूर्व नियोजित थी। इस संदर्भ में चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई है कि सोशल मीडिया पर जिन कई पोस्टों को भीड़ को उकसाने के लिए दोषी ठहराया गया है, उनमें से यह बेहद आपत्तिजनक पोस्ट बांग्लादेश से प्रसारित किया गया था। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की ओर से औरंगजेब की कब्र खोदने की मांग को लेकर महल के गांधी गेट पर प्रदर्शन किया गया। शाम को इस विरोध प्रदर्शन का खासा असर देखने को मिला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर हिंसा भड़की। भीड़ ने जोरदार तरीके से पत्थर फेंके, दर्जनों कारें जला दी गईं। पुलिस पर हमला किया। एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ छेड़छाड़ की गई। हिंसा शुरू होने से पहले ही सोशल मीडिया पर कई विवादास्पद और आपत्तिजनक पोस्ट वायरल हो गए थे। साइबर पुलिस को फेसबुक पर एक संवेदनशील पोस्ट मिली, इसमें भड़काऊ और आपत्तिजनक सामग्री थी। जब पुलिस ने इस पोस्ट का पता लगाया तो पता चला कि यह पोस्ट बांग्लादेश से आई थी।
पुलिस जांच के दौरान फहीम शमीम खान (उम्र 38) का नाम शहर में हुए दंगों के मास्टरमाइंड के रूप में सामने आया है। फरीम माइनॉरिटीज डेमोक्रेटिक पार्टी का शहर अध्यक्ष है और उसने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। उससे पूछताछ के दौरान और अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है। फहीम संजय बाग कॉलोनी, यशोधरनगर का निवासी है। फहीम ने धर्म के आधार पर कट्टरपंथी युवाओं को एकजुट किया और भड़काऊ भाषण देकर भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया। छत्रपति संभाजीनगर में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर उठे विवाद के बाद नागपुर में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के बाद आठ कार्यकर्ताओं ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया और औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की। इस आंदोलन के दौरान औरंगजेब की प्रतीकात्मक कब्र को जला दिया गया। इस घटना के बाद कुछ लोगों पर उनकी धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया। इस आरोप पर गणेशपेठ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रदर्शन के दौरान एक विशेष धर्म के धार्मिक वस्त्रों में आग लगा दी, इस घटना के बाद लोगों ने गणेशपेठ पुलिस स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस पृष्ठभूमि में पुलिस ने जांच कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि नागपुर में शांति बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी। नागपुर दंगा मामले के मुख्य आरोपी फहीम खान को पुलिस ने 17 मार्च को गिरफ्तार किया और उसे 18 मार्च को अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद अदालत ने उसे 21 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेजा। हालांकि, हिरासत में रहते हुए फहीम खान ने सीने में दर्द की शिकायत की, इसलिए उन्हें तुरंत सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बीच, पुलिस हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद फहीम खान ऑनलाइन अदालत के समक्ष पेश हुआ। अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। हालांकि, पुलिस हिरासत की मांग पर निर्णय अभी भी खुला रखा गया है। फहीम खान के खिलाफ पहले भी साइबर अपराध के मामले दर्ज हैं। उस पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्ट शेयर करके नागपुर में दंगे भड़काने की कोशिश करने का आरोप है। विशेष रूप से उसने पुलिस पर पथराव का समर्थन करते हुए वायरल पोस्ट किए थे।
अब तक 50 प्रतिशत आपत्तिजनक पोस्ट ब्लॉक कर दी गई हैं। शेष चौकियों पर भी शीघ्र ही नियंत्रण स्थापित कर लिया जाएगा। नागपुर में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए प्रशासन ने सुरक्षा उपाय कड़े कर दिए हैं। यह खुलासा हुआ है कि नागपुर हिंसा मामले में अफवाह और नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। साइबर सेल की जांच में पता चला कि किसी बांग्लादेशी व्यक्ति ने बांग्लादेश से यह मैसेज पोस्ट किया था। इस मामले में बांग्लादेशी कनेक्शन की चर्चाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए डीसीपी लोहित मतानी ने कहा कि किसी के प्रोफाइल में बांग्लादेश लिख देने से कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। स्वतंत्र जांच चल रही है। पुलिस सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और संदिग्ध आरोपियों की गहन जांच कर रही है। पुलिस ने बताया है कि नागपुर हिंसा मामले के मुख्य आरोपी फहीम खान के खिलाफ पहले ही साइबर अपराध का मामला दर्ज किया जा चुका है। पुलिस ने कहा कि उसने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट साझा करके हिंसा भड़काने की कोशिश की थी, इसके अलावा हिंसा में शामिल 06 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। इन आरोपियों ने पुलिस पर पथराव का समर्थन करते हुए पोस्ट डाले थे। साथ ही उन्होंने ’अल्लाहु अकबर’ और ’सर तन से जुदा’ जैसे भड़काऊ कैप्शन के साथ पोस्ट को वायरल कर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश की। कुछ लोगों ने औरंगजेब का नया वीडियो फैलाकर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश की। छत्रपति संभाजीनगर के खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग पिछले कुछ दिनों से की जा रही है। फिल्म ’छावा’ की रिलीज के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने इसमें दर्शाए गए इतिहास पर बयान दिया, उनके इस बयान के बाद औरंगजेब के मकबरे को लेकर पूरा विवाद शुरू हो गया।
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