चीन ने फिर बदला अरुणाचल के स्थानों का नाम, भारत का विरोध

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चीन द्वारा  भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने की खबर सामने आने के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने आपत्ति करते हुये पुनः स्पष्ट किया है कि नये नामों के गढे जाने से सच्चाई पर परदा नहीं डाला जा सकता है, अरुणाचल प्रदेश भारतीय गणराज्य का अहम हिस्सा है। चीन अरुणाचल प्रदेश में पहले भी अनेक स्थानों का नाम बदलने का प्रयास करता आ रहा है।

चीन ने फिर बदला अरुणाचल के स्थानों का नाम, भारत का विरोध

भारत पाक के बीच चल रहे तनावों के पटाक्षेप से पहले ही चीन ने नापाक हरकत करते हुये भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने की सूची जारी की है। इस घटनाक्रम के कारण भारत और चीन के बीच चल रहा सीमा विवाद फिर गहरा गया है क्योंकि चीन पिछले कुछ वर्षो से अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों के नाम बदल कर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दावे को मजबूत बनाने में लगा हुआ है। चीन पिछले एक अर्से से अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बता कर अपना दावा सिद्ध करने का प्रयास करता है जबकि भारत चीन के इस दावे को दृढता के साथ खारिज करता आ रहा है।

पुराना है सीमा विवाद


भारत चीन के बीच सीमा विवाद का लम्बा इतिहास है। मैकमोहन रेखा, जिसे 1914 में ब्रिट्रिश शासित भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों द्वारा सीमा रेखा के रुप में चिन्हित किया गया था, को भारत सीमा रेखा के रुप में स्वीकार करता है लेकिन चीन इसे मान्यता नहीं देता है। अरुणाचल प्रदेश की सीमायें चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ है। इसका लाभ लेते हुये चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है और इसका नाम ’’जगनान’’ रखा है। भारत का कहना है कि 1947 में आजादी और उसके बाद से यह क्षेत्र उसके द्वारा प्रशासित है। 1962 के भारत चीन युद्ध का एक मुख्य कारण सीमा विवाद भी था।

2017 से बदल रहा है नाम


भारत चीन के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन सदैव से उत्तेजनात्मक कार्यवाही करता आ रहा है जिस पर भारत सीधे बीजिंग को और अन्तर्राष्ट्रीय मंच के माध्यम से अपना विरोध व्यक्त करता आ रहा है। कई बार हिसंक झड़पे भी हुई है लेकिन वर्तमान में दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो चले थे।  जहां तक नाम बदलने का मामला है तो चीन पहले भी इस प्रकार की हरकत कर चुका है। चीन द्वारा 2017 में 6 स्थानों के नाम बदले गये थे। लगभग 4 वर्ष बाद 2021 में चीन ने एक साथ 15 स्थानों के नाम बदले और लगभग दो वर्ष बाद 2023 में 11 स्थानों के नाम बदलने की सूची जारी किया था। चीन की इस अनधिकृत हरकत का भारत ने लगातार विरोध किया। लगभग एक वर्ष पहले अप्रैल 2024 में भी चीन ने एक साथ 30स्थानों के नाम बदलने की सूची जारी की थी। चीन की इस हरकत का एक मात्र उद््देश्य अरुणाचल प्रदेश पर अपनी दावेदारी जताना है जिसका भारत विरोध करता आ रहा है। उसी कडी में चीन द्वारा पुनः नाम बदले की घोषणा की गई है जिसका भारत ने विरोध किया है।

भारत का विरोध


अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने को लेकर भारत ने एक बार फिर अपना विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुये लिखा है कि ’’ हमने देखा है कि चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के अपने व्यर्थ और बेतुके प्रयासों को जारी रखा है। हमारी सैद्धांतिक स्थिति के अनुरुप हम ऐसी कोशिशों को पूरी तरह खारिज करते है। नये नाम गढने से यह सच्चाई नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा।’’ भारत का इस संदेंश से स्पष्ट है कि वह अरुणाचल राज्य की सम्प्रभुता की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध है। 
    

चीन का यह कृत्य अब भारत और चीन के बीच का न होकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय है। चीन की इस कार्यवाही पर एक ओर भारत लगातार अपना विरोध जता रहा है तो दूसरी ओर तमाम देश भारत के दावे का समर्थन करते हुये चीन की एकतरफा कार्यवाही पर चिंता भी व्यक्त करते आ रहे  है। संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के प्रयासों की आलोचना करते हुये अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा माना है।
    

भारत पाक के बीच चल रहे तनावों के बीच चीन की इस हरकत को कई नजरिये से देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के समर्थन में खड़े चीन के प्रोपोगेंड़ा अभियान में लगे कई सोशल मीडिया एकाउंट और चीन के तमाम समाचार पत्रों पर भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसकी खिसियाहट में चीन द्वारा इस प्रकार के कदम उठाये गये है।
  

दावा किया जा रहा है कि भारत को तनाव में डाले जाने के लिये पहले पाक और अब चीन की यह कोशिश भारत के विकास की गति को धीमा करने का एक प्रयास भी है। क्योंकि पड़ोसी देशों द्वारा किये जा रहे इस प्रकार के कार्यो से देश के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान विकास के बजाय इन फालतू की समस्याओं में उलझ जाता है जिससे देश का विकास प्रभावित होता है। भारत द्वारा किये गये पाकिस्तान पर आक्रमण के समय चीन निर्मित हथियारों की विफलता भी चीन को उकसावे की कार्यवाही के लिये बाध्य किया है।

हरि मंगल

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