विदेशी दौरे पर गये सभी सांसद भारत हित में कार्य कर रहे हैं और उनके भाषणों की चर्चा भारत में हो रही है । ये सभी सांसद विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग के अनुसार पार्टी लाइन से ऊपर उठकर पाकिस्तान और आतंकवाद के विरुद्ध एक स्वर में भारत का पक्ष रख रहे हैं । इन दलों को सभी देशों में समर्थन प्राप्त हो रहा है। इन चर्चाओं में सबसे ऊपर नाम है कांग्रेस सांसद शशि थरूर का, जिनको दल का नेतृत्व सौंपे जाने पर उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस ने ही विरोध किया था, शशि थरूर की सफल यात्राओं को देखने के बाद भी कांग्रेस उनकी प्रतिभा की प्रशंसा करने के स्थान पर अपने प्रवक्ताओं से उनका उपहास करा रही है। शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने आतंक के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का संकल्प लेते हुए अमेरिका में 9/11 स्मारक का दौरा किया और आतंकवादी हमलों में मारे लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह एक रणनीतिक कदम था जिसने अमेरिका के लोगों के आतंकवाद के घावों को हरा कर दिया। ये दल अमेरिका के अतिरिक्त गुयाना,पनामा, कोलंबिया और ब्राजील का दौरा कर चुका है । इन सभी देशों ने भारत के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है।
शशि थरूर ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब पाकिस्तान में बैठकर कोई व्यक्ति यह नहीं सोच सकता कि वे सीमा पार करके आएंगे भारतीय नागरिकों की हत्या करेंगे और उन्हें दंड नहीं मिलेगा।अब उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी ।आपरेशन सिंदूर अब एक नया मापदंड बन चुका है। भारत ने स्पष्ट व कड़ा संदेश दिया है कि आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसका जवाब दिया जायेगा। पनामा की यात्रा के दौरान शशि थरूर ने श्री राम मंदिर पहुंचकर आरती भी की स्वाभाविक रूप से इससे उनकी अपनी कांग्रेस पार्टी के कुछ लोगों को धक्का पहुंचा होगा। कांग्रेस के एक अन्य नेता मनीष तिवारी भी तीखे तेवरों और तथ्यात्मक सटीकता के भारत का पक्ष रखते दिखाई दे रहे हैं । आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपने ही नेताओं पर आरोप लगाने लगा है कि वे भाजपा की भाषा बोल रहे हैं । कांग्रेस के प्रवक्ता अपने ही नेताओं पर हमलावर हो गये हैं।
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता व सांसद संजय झा के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिमंडल विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम राष्ट्र इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता पहुंचा। जकार्ता में भारतीय प्रतिनिधि मंडल का जोरदार स्वागत करते हुए प्रतिनिधियों को एक विशेष शॉल उढ़ाया गया । आतंक के खिलाफ लडाई में इंडोनेशिया पूरी ताकत के साथ भारत के साथ खड़ा है। यह दल अभी तक कतर, कुवैत, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन जैसे मुस्लिम देशों का दौरा कर चुका है। भारत मुस्लिम देशों को यह समझाने का भी प्रयास कर रहा है कि सिर्फ इसलिए कि पाकिस्तान एक मुस्लिम बहुल और परमाणु शक्ति संपन्न देश है अतः उसे भारत के खिलाफ उसके कृत्यों के लिए दोषमुक्त नहीं किया जा सकता। इस दल ने सिंगापुर में भी पाकिस्तान को बेनकाब किया। भारत मुस्लिम देशों को यह समझा रहा है कि आतंकवाद व आईएस एक जैसे हैं।
एआईएमआईएम नेता असद्दुदीन औवैसी भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया में ओवैसी के बयानों को लेकर बहस हो रही है क्योंकि पाकिस्तान को भरोसा था कि औवेसी साहब इस मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान के साथ खड़े होंगे। वहीं सांसद ओवैसी अपने बयान में पाकिस्तान को नकलची कहकर उसका मजाक उड़ा रहे हैं।
यूरोप दौरे पर गया पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. जे. अकबर वाला प्रतिनिधिमंडल भी चर्चा में रहा है। इस प्रतिनिधि मंडल ने यूरोप के सभी देशों, सीनेट और नेशनल असेंबली, थिक टैंक और विभिन्न भारतीय प्रवासियों के साथ चर्चा की है और परमाणु शक्ति समर्थित आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया है।
विरोधी दलों की महिला नेत्रियाँ सुप्रिया सुले, कनिमोझी, प्रियंका चतुर्वेदी सभी अपने अपने स्तरों पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं । प्रियंका चतुर्वेदी ने एक वक्तव्य में महाभारत काल का उद्धरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने भी संपूर्ण शांति के लिए युद्ध को अनिवार्य बताया है।
विरोधी दलों के नेताओं में एक अन्य उभरता हुआ नाम तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी का भी है जो अपनी पार्टी लाइन के विपरीत जाकर पाकिस्तान को बेनकाब कर रहे हैं, और दृढ़ता से भारत सरकार का पक्ष रख रहे हैं । इधर बंगाल में ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति बुरी तरह से फंसती दिखाई दे रही है क्योंकि बंगाल के मुर्शिदाबाद दंगो की जांच रिपोर्ट आ गई है जो यह खुलासा करती है कि जिस प्रकार पहलगाम में पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर मारा गया उसी प्रकार मुर्शिदाबाद में भी हिंदुओं को चुन -चुन कर मारा गया था। मुर्शिदाबाद के दंगे 10- 11 अप्रैल को हुए थे और पहलगाम आतंकी हमला ठीक दस दिनों बाद 22 अप्रैल को हुआ था।
इधर सरकार की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपने कूटनीतिक प्रयास तीव्र कर दिए हैं और जर्मनी जैसे देश का समर्थन जुटाने में सफलता प्राप्त की है। जयशंकर अपनी तथ्यपरक वाक्पटुता से विदेशी धरती पर पत्रकारों को निरुत्तर कर रहे हैं।
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