IHPL Cricket Fraud : कश्मीर में क्रिकेट की नई प्रतिभाओं को उभारने के उद्देश्य से आयोजित किए गए इंडियन हेवन प्रीमियर लीग ( IHPL) ने विवादों को जन्म दे दिया है। इंडियन हेवन प्रीमियर लीग बीसीसीआई अध्यक्ष मिथुन मन्हास के गृह राज्य जम्मू-कश्मीर में आयोजित किया गया था। अचानक ही इस टूर्नामेंट को खत्म कर दिया गया। सिर्फ इतना ही नहीं आयोजक पैसे का भुगतान किए बिना ही फरार हो गए। इसके कारण कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी, जिनमें क्रिस गेल, शाकिब अल हसन, जेसी राइडर जैसे बड़े नाम शामिल थे, कश्मीर में एक होटल में फंसे हुए हैं और उनका बकाया भुगतान अब तक नहीं किया जा सका है।
मिली जानकारी के अनुसार इंडियन हेवन प्रीमियर लीग का उद्देश्य कश्मीर में क्रिकेट के प्रति युवाओं को प्रोत्साहित करना और उभरते हुए खिलाड़ियों को एक मंच देना था। इस टूर्नामेंट का आयोजन मोहाली स्थित युवा सोसाइटी की ओर से किया गया था। टूर्नामेंट का प्रचार प्रसार बड़ी जोर शोर से किया गया था। इसके लिए क्रिकेट के बड़े-बड़े सितारों को मैदान में उतारा गया था। क्रिस गेल, शाकिब अल हसन, जेसी राइडर, डेवोन स्मिथ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को इस लीग में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। इन खिलाड़ियों की तस्वीरों के साथ बड़े-बड़े बिलबोर्ड्स शहर में लगाए गए थे, और इसे कश्मीर क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक मौका माना जा रहा था।
हालांकि, टूर्नामेंट में पहले ही मैचों के बाद समस्या खड़ी हो गई। खिलाड़ियों, अंपायरों, सहयोगी कर्मचारियों और होटल स्टाफ को उनकी सेवाओं के बदले में कोई भुगतान नहीं मिला। इन हालात ने खिलाड़ियों को बेहद नाराज कर दिया और उन्होंने मुकाबलों का हिस्सा बनने से मना कर दिया। भुगतान की मांग को लेकर जब आयोजक कहीं नजर नहीं आए, तो लीग अचानक बंद हो गई और होटल में फंसे खिलाड़ी अपना बकाया प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने लगे। इस घटनाक्रम में इंग्लैंड की अंपायर मेलिसा जूनिपर का नाम भी सामने आया है। उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें और अन्य अंपायरों को उनके काम के लिए कोई भुगतान नहीं मिला। होटल स्टाफ ने उन्हें बताया कि आयोजक लापता हैं, और जब पुलिस होटल पहुंची, तो इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस पूरे मामले में जम्मू-कश्मीर खेल परिषद की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। खेल परिषद की सचिव नुजहत गुल ने कहा कि उनका इस टूर्नामेंट से कोई लेना-देना नहीं है, हालांकि यह बताया गया कि आयोजकों ने बख्शी स्टेडियम का इस्तेमाल करने के लिए पैसे दिए थे। सवाल उठ रहा है कि एक अनजान संस्था को इतने बड़े टूर्नामेंट के आयोजन की अनुमति क्यों दी गई और क्या खेल परिषद ने आयोजन की वैधता पर कोई जांच की थी। इस मामले में कुछ सवालों का जवाब अब तक नहीं मिला है। आयोजनकर्ताओं के भागने से जहां क्रिकेट प्रेमी निराश हैं, वहीं कश्मीर के क्रिकेट सिस्टम पर भी सवाल उठने लगे हैं। यह मामला कश्मीर में क्रिकेट के भविष्य के लिए एक काले धब्बे की तरह साबित हो सकता है, क्योंकि ऐसे घोटाले स्थानीय खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा झटका हैं।
 
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