Operation Sindoor: सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी बोले– 'सरकार की पूरी छूट ने बनाया हर फैसला संभव'

खबर सार :-
सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन 'सिंदूर' भारत की सैन्य रणनीति और राजनीतिक नेतृत्व के बीच तालमेल का एक ऐतिहासिक उदाहरण बनकर उभरा है। यह ऑपरेशन केवल एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि यह एक रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध था, जिसने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो दिया। इससे यह भी प्रमाणित हुआ कि भारत अब निर्णायक और आत्मविश्वासी सैन्य दृष्टिकोण अपना चुका है।

Operation Sindoor: सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी बोले– 'सरकार की पूरी छूट ने बनाया हर फैसला संभव'
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर समय-समय पर सैन्य अधिकारियों और राजनीतिक व्यक्तियों के बयान आते रहते हैं। इस बीच देश की सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' को लेकर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान सरकार ने पहली बार राजनीतिक स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ सेना को पूरी तरह से स्वतंत्रता दी। यही नहीं, सेना के कमांडरों को बिना किसी पाबंदी के अपने विवेक और अनुभव के अनुसार निर्णय लेने की खुली छूट मिली, जिससे अभियान और अधिक प्रभावी हो पाया।

रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से बीच बनी आम सहमति

 सेनाध्यक्ष जनरल द्विवेदी का यह बयान 4 अगस्त को IIT मद्रास में दिए गए संबोधन का हिस्सा है, जिसे सेना द्वारा 10 अगस्त को सार्वजनिक किया गया। इस संबोधन में उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। अगले ही दिन यानी 23 अप्रैल को उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त लहजे में कहा–“बस बहुत हो गया”। उसके बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों के बीच यह आम सहमति बनी कि अब कुछ निर्णायक करना ज़रूरी है। सरकार ने सेना को यह अधिकार दिया कि वे तय करें कि अगली कार्रवाई क्या होगी। इस राजनीतिक स्पष्टता और विश्वास के कारण सेना ने बिना किसी प्रशासनिक अड़चन के रणनीति बनाई और उसे ज़मीन पर उतारा।

उत्तरी कमान में बनाई गई थी योजना

सेनाध्यक्ष के अनुसार, 25 अप्रैल को उत्तरी कमान में उच्च स्तरीय योजना बनाई गई, जिसके तहत 9 में से 7 आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट किया गया। इस अभियान में बड़ी संख्या में आतंकियों को ढेर किया गया। ऑपरेशन के बाद 29 अप्रैल को सेना प्रमुखों की प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई। जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन 'सिंदूर' को एक ‘शतरंज का खेल’ बताया। उन्होंने कहा कि हम ग्रे-ज़ोन में ऑपरेट कर रहे थे। यानी पारंपरिक युद्ध नहीं, लेकिन उससे बिल्कुल कम भी नहीं। हर कदम सोच-समझकर उठाया गया, जहां एक तरफ हम दुश्मन को मात दे रहे थे, वहीं कहीं जान जोखिम में डालने वाली चालें भी चलनी पड़ीं। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन केवल सैन्य सफलता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और विश्वास की मिसाल बन गया। इस दौरान पूरा देश एक साथ खड़ा हो गया और हर नागरिक ने इसे अपना मिशन माना। यही कारण था कि जब ऑपरेशन को समाप्त किया गया, तो लोगों ने सवाल किया– इसे क्यों रोका गया? इस बयान के साथ एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया कि 'सिंदूर' केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि नई रणनीतिक सोच और मजबूत राजनीतिक-सैन्य तालमेल का प्रतीक बन गया है।

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