आधुनिकता के बीच अपनी जड़ों की ओर लौटता भारतः 25 दिसंबर को देश मना रहा तुलसी पूजन दिवस

खबर सार :-
25 दिसंबर को भारत में 'तुलसी पूजन दिवस' (Tulsi Pujan Diwas) के रूप में मनाने की परंपरा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह पहल पश्चिमी प्रभाव के बीच भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों, आयुर्वेद और प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। तुलसी के औषधीय और आध्यात्मिक लाभों को जन-जन तक पहुँचाना ही इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है।

आधुनिकता के बीच अपनी जड़ों की ओर लौटता भारतः 25 दिसंबर को देश मना रहा तुलसी पूजन दिवस
खबर विस्तार : -

लखनऊः वैश्वीकरण के इस दौर में एक ओर जहाँ पूरी दुनिया 25 दिसंबर (25 December) को क्रिसमस (Christmas) के उल्लास में डूबी रहती है, वहीं भारत में अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की एक नई लहर भी दिखाई दे रही है। पिछले कुछ वर्षों में 'तुलसी पूजन दिवस' (Tulsi Pujan Diwas) का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। तुलसी पूजन दिवस का बढ़ता प्रभाव यह दर्शाता है कि आधुनिकता की दौड़ में भी भारतीय समाज अपनी जड़ों से कटा नहीं है। आज यह दिन महज पूजा-पाठ का जरिया नहीं रहा, बल्कि यह पर्यावरण को बचाने और आयुर्वेद की शक्ति को फिर से पहचानने का एक बड़ा आंदोलन बन गया है। लोग अब तुलसी के औषधीय गुणों और उसके पारिस्थितिक (Ecological) महत्व को समझ रहे हैं, जो हमारी संस्कृति और विज्ञान के गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।

Tulsi Pujan Diwas : क्यों चुना गया 25 दिसंबर का दिन?

तुलसी पूजन दिवस  (Tulsi Pujan Diwas) मनाने का उद्देश्य पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण के बीच युवा पीढ़ी को भारतीय जीवन दर्शन से जोड़ना है। कड़ाके की ठंड के इस मौसम में, जब स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं, तुलसी जैसी “जीवनदायिनी” औषधि की महत्ता और भी बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी पूजन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण शुद्ध रहता है।

Tulsi Pujan Diwas : विज्ञान और आध्यात्म का अनूठा संगम

तुलसी को भारतीय शास्त्रों में 'वृंदा' और 'विष्णुप्रिया' कहकर सम्मान दिया गया है, लेकिन इसका महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है। 

  • प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर: वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करने और ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने में सक्षम है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: आयुर्वेद में तुलसी को तनाव को कम करने और शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है। यह सर्दी, खांसी और वायरल संक्रमण के खिलाफ एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है।
  • सकारात्मक परिवेश: वास्तु और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, जिस आंगन में तुलसी का वास होता है, वहाँ मानसिक शांति और सुख-समृद्धि का वास माना जाता है।

Tulsi Pujan Diwas : देशव्यापी उत्सव और जागरूकता

25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के अवसर पर पूरे भारत में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान के पश्चात तुलसी को जल अर्पित करते हैं और सायंकाल में घी का दीपक जलाकर 'दीपदान' की परंपरा निभाते हैं। विभिन्न सामाजिक संस्थाएं इस दिन स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर तुलसी के पौधों का निःशुल्क वितरण करती हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य केंद्र बिंदु भावी पीढ़ी को यह समझाना है कि हमारी परंपराएं अंधविश्वास पर नहीं, बल्कि गहरे वैज्ञानिक और पर्यावरणीय सिद्धांतों पर आधारित हैं।

Tulsi Pujan Diwas : विरासत और विकास का तालमेल

तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) का बढ़ता चलन इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक भारत अब अपनी जड़ों की ओर लौटने में गर्व महसूस कर रहा है। यह प्रकृति की पूजा करने और स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने का एक मौन लेकिन सशक्त क्रांतिकारी संदेश है।

अन्य प्रमुख खबरें