लखनऊः पूरी दुनिया आज बड़े हर्ष और उल्लास के साथ क्रिसमस (Christmas) मना रही है। यह दिन ईसा मसीह (Jesus Christ) के जन्म की स्मृति में प्रति वर्ष 25 दिसंबर (25 December) को मनाया जाता है। शीतकालीन उत्तर भारत की कड़ाके की ठंड के बीच आज देशभर में क्रिसमस का त्यौहार (Christmas 2025 Celebration) पूरी भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ मनाया जा रहा है। 25 दिसंबर की सुबह होते ही गिरजाघरों (चर्चों) में घंटियों की गूँज और 'कैरोल्स' के सुरीले स्वरों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। यह पर्व केवल ईसाई समुदाय तक सीमित न रहकर अब एक वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव का रूप ले चुका है, जो 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना को चरितार्थ करता है। चर्चों में प्रार्थना, घरों में सजावट और बाजारों में चहल-पहल के 24 दिसम्बर की सुबह से ही क्रिसमस का रंग हर ओर नजर आ रहा है। क्रिसमस न केवल ईसाई समुदाय का बल्कि पूरे मानव समुदाय का त्योहार बन चुका है, जिसमें प्रेम, दया और आपसी सद्भाव का संदेश निहित है। हर साल की तरह इस बार भी लोगों ने अपने घरों, स्कूलों, रेस्ट्रॉरेंट और मॉल में क्रिसमस ट्री सजाए, रंग-बिरंगी लाइटें लगाईं और बच्चों ने सांता क्लॉज़ से उपहार पाने की उम्मीद में स्टॉकिंग्स टांगीं।
Happy Christmas Wishes : क्रिसमस का महत्व और परंपराएं
क्रिसमस (Christmas) का अर्थ है “क्राइस्ट का मास” यानी ईसा मसीह की उपासना का दिन। माना जाता है कि इसी दिन बेथलहम (Bethlehem) में मरियम को ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इस पर्व के माध्यम से लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम, करुणा और भाईचारे के भाव को साझा करते हैं। चर्चों में मध्यरात्रि की विशेष प्रार्थनाएं होती हैं और सामाजिक संगठनों द्वारा गरीबों एवं जरूरतमंदों की सहायता के कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं।

धार्मिक अनुष्ठान और आधी रात की प्रार्थना उत्सव की शुरुआत 24 दिसंबर की मध्यरात्रि 'मिडनाइट मास' के साथ हुई। लखनऊ के सेंट जोसेफ कैथेड्रल (St. Joseph's Cathedral) और दिल्ली के सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल (Sacred Heart Cathedral) समेत देश के प्रमुख चर्चों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे। मोमबत्तियों की रोशनी के बीच प्रभु यीशु के जन्म के संदेश को पढ़ा गया। पादरियों ने अपने संबोधन में दया, क्षमा और मानवता की सेवा पर विशेष जोर दिया, जो ईसा मसीह (Jesus Christ) के जीवन का मूल आधार था। सजावट और सांता क्लॉज़ (Santa Claus) का जादू बाजारों से लेकर घरों तक, क्रिसमस की रौनक हर जगह दिखाई दे रही है।

रंग-बिरंगे क्रिसमस ट्री, टिमटिमाती लाइटें और 'नेटिविटी सीन' (ईसा मसीह के जन्म की झांकी) के जरिए लोग अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। बच्चों में सांता क्लॉज़ को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। लाल कपड़ों और सफेद दाढ़ी वाले सांता ने न केवल उपहार बांटे, बल्कि समाज में खुशियां बांटने का संदेश भी दिया। सामाजिक समरसता का उदाहरण भारत में क्रिसमस को बहुधर्मीय एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। राजधानी लखनऊ के बाजारों में हजरतगंज से लेकर अमीनाबाद तक उत्सव का माहौल है। होटलों और रेस्तरां में विशेष 'क्रिसमस ब्रंच' और केक की खुशबू महक रही है। इसके साथ ही, कई सामाजिक संगठनों ने इस दिन को 'दान उत्सव' के रूप में मनाते हुए जरूरतमंदों को गर्म कपड़े और भोजन वितरित कर मानवता की सच्ची सेवा की मिसाल पेश की।

लखनऊ (Lucknow), दिल्ली (Delhi), मुंबई (Mumbai) और कोलकाता (Kolkata) समेत देश के सभी प्रमुख शहरों में चर्च सजाए गए हैं। प्रमुख पर्यटन स्थलों पर रोशनी और सजावट देखकर ऐसा लगता है मानो हर गली, हर चौराहा उत्सव में डूबा हो। होटल और कैफ़े में विशेष ‘क्रिसमस मेनू’ पेश किया गया है जबकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी क्रिसमस ऑफ़र चल रहे हैं। क्रिसमस के इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को बधाइयां, संदेश और उपहार देकर अपने रिश्तों को और मजबूत बना रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर Merry Christmas! के संदेशों की बाढ़ सी आ गई है।
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