Income Tax Bill 2025: संशोधित आयकर विधेयक से मुकदमों में आएगी कमी: बैजयंत पांडा

खबर सार :-
केंद्र सरकार की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को संशोधित आयकर विधेयक लोकसभा में पारित करा लिया है। इस विधेयक को आयकर प्रणाली में सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

Income Tax Bill 2025: संशोधित आयकर विधेयक से मुकदमों में आएगी कमी: बैजयंत पांडा
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से लोकसभा में सोमवार को 'संशोधित आयकर विधेयक, 2025' पारित कर दिया गया। इसे आयकर प्रणाली को लेकर देश में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।  इस विधेयक का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और अनावश्यक मुकदमों की संख्या को घटाना है। भाजपा नेता और सांसद बैजयंत पांडा ने इस विधेयक को "ऐतिहासिक और निर्णायक" करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब तक 1,500 से ज्यादा पुराने कानूनों को निरस्त या संशोधित किया जा चुका है। यह नया आयकर अधिनियम करदाताओं को न सिर्फ राहत देगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को और गति देगा।

बैजयंत पांडा ने कहा कि यह विधेयक विशेष रूप से मुकदमों और विवादों में कमी लाने में सहायक होगा, क्योंकि अब टैक्स की भाषा पहले से अधिक स्पष्ट और सहज होगी। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विधेयक पारित कराने के लिए बधाई दी। हालांकि, विपक्ष ने विधेयक के पारित होने के दौरान सदन में हंगामा किया, लेकिन उसके बावजूद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में संसदीय चयन समिति की 285 से अधिक सिफारिशों को शामिल किया गया है, जिसकी अध्यक्षता स्वयं बैजयंत पांडा कर रहे थे। बता दें, यह अधिनियम 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा। इस विधेयक के माध्यम से सरकार का प्रयास एक पारदर्शी, सरल और विवाद-मुक्त टैक्स सिस्टम स्थापित करने का है, जिससे करदाताओं को न केवल राहत मिलेगी, बल्कि न्यायिक बोझ भी घटेगा।

विधेयक की मुख्य विशेषताएं:

  • आधुनिक परिभाषाएं: विधेयक में 'पूंजीगत संपत्ति', 'लघु एवं छोटे उद्यम', 'लाभार्थी स्वामी' जैसे शब्दों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
  • पारदर्शिता में सुधार: टैक्स से जुड़े प्रावधानों को क्रॉस-रेफरेंसिंग के जरिए जोड़कर जटिलताओं को दूर किया गया है।
  • आवासीय संपत्ति से जुड़ी राहतें: मकान से आय, मानक कटौती, और होम लोन ब्याज जैसे पहलुओं को स्पष्ट किया गया है।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान और पेंशन योगदान: इनके लिए टैक्स उपचार को संरेखित किया गया है ताकि कंपनियों और कर्मचारियों दोनों को समान रूप से लाभ मिले।
  • राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश करते समय कहा कि यह न सिर्फ पुराने आयकर अधिनियम 1961 को प्रतिस्थापित करेगा, बल्कि इसे आधुनिक भारत के अनुरूप ढालने में मील का पत्थर साबित होगा।

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