MONSOON:हिमाचल से काशी तक भयानक मंज़र , जनजीवन अस्तव्यस्त

खबर सार :-
देशभर में भारी बारिश के साथ आंधी तूफान का कहर जारी है ।जम्मू कश्मीर,आसाम से लेकर उत्तर भारत और महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है |

MONSOON:हिमाचल से काशी तक भयानक मंज़र , जनजीवन अस्तव्यस्त
खबर विस्तार : -

 जम्मू कश्मीर से लेकर देवभूमि तक और हिमाचल से लेकर काशी तक,बारिश का कहर लागातार जारी है।ऐसे में पहाड़ों से पानी अब नदियों से होकर मैदानी इलाकों तक सैलाब बनकर पहुँच रहा है जिससे कई जगहों पर जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है ,वहीं गंगा किनारे बसे तीर्थों और मंदिरों पर भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

पहाड़ों पर मानसून का विकराल रूप  

देवभूमि उत्तराखंड की  विकासनगर की कालसी चकराता रोड पर लैंडस्लाइड से भयानक मंजर देखने को मिला ।रात होने तक रोड के दोनों ओर वाहन फसे रहे ।हालांकि देर रात मौके पर पहुंचकर कालसी थाना पुलिस ने जेसीबी से मलवा हटाकर आवाजाही फिरसे शुरू करवाई।वहीं जम्मू के उधमपुर में भी सुबह सुबह पहाड़ों से चट्टान गिरने से रास्ता जाम हो गया।गनीमत रही की कोई वाहन इसकी चपेट में नहीं आया। उधर उत्तराखंड की राजधनी देहरादून में बाढ़ सबकुछ बहा ले जा रही । देहरादून की स्वर्णा नदी उफान है और इसी बीच बीते दिन बुद्धवार को शाम 7 बजे रामपुर कैची मार्ग पर तीन लोग नदी की तेज धारा के बीच फंस गए,हालाँकि एनडीआरएफ की टीम समय रहते तीनो युवकों को बचा लिया नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था ।

संगम नगरी से काशी तक : गंगा किनारे वाला उफान 

मानसून की इस मार ने मैदानों में भी तांडव मचा रखा है।पहाड़ों का पानी गंगा-यमुना के रास्ते अब संगम नगरी प्रयागराज से काशी तक पहुँच चुका है।संगम नगरी के रिहायशी इलाके बाढ़ में समाते नज़र आ रहे हैं। वहीं मंदिरों और तीर्थों में भी गंगा का उफान पहुँच चुका है।प्रयागराज के प्रसिद्ध लेटे हनुमान जी मंदिर में भी गंगा के प्रवाह ने घुसपैठ कर दी है,हालांकि इस मंदिर में गंगा मैया का स्वागात ढोल नगाड़ों के साथ किया गया।डूबे हुए मंदिर के अंदर ही पूजा-अर्चना ,आरती हो रही है,मान्यता है की गंगा मैया जब भी अपने पुत्र यानी लेटे हनुमान जी को स्नान कराती हैं तब उनका भव्य स्वागत होता है।फिलहाल बाढ़ में डूब चुकी हनुमान जी की प्रतिमा को कपड़ों से ढककर उनके स्वरूप विग्रह को मंदिर की उपरी मंजिल पर पहुंचा दिया गया है।शहर के दोनों किनारों पर बाढ़ का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है।लाखों मकान ,दुकानें और झोपड़ियां इस सैलाब की भेट चढ़ गई हैं और लोग किसी तरह बस अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं।संगम नगरी में तो अब सड़के ही शमशान बन गयी हैं।बाढ़ से हालात ऐसे हैं की दरियागंज इलाकें में शमशान पूरी तरह नदी में समा गया है।

संगमनगरी ही नहीं ,गंगा में आई बाढ़ अब वाराणसी के घाटों पर पूरी तरह से हाबी हो गई है।सभी 84 घाट जलमग्न हो गए हैं,गंगा के इस उफान ने सबसे उचाई वाले नमो घाट को भी अपने आगोश में ले लिया है। नमो घाट पर बने विशाल 4 हाथ नमस्ते स्ट्रक्चर तक अब बाढ़ का पानी पहुँच चुका है जिसको देखते हुए प्रशासन ने नमो घाट पर नीचे जाने और फोटो लेने पर रोक लगा दी है।गंगा में उफान की वजह से गंगा घाट पर बने  मालवीय ब्रिज पर ट्रेन धीमी रफ़्तार से गुजर रही हैं।

ALERT:देशभर में मानसून की मार 

बता दें कि देशभर में मानसून के कहर को देखते हुए देश के ज्यादातर हिस्सों में अलर्ट जारी  कर दिया है।मैदानी इलाकों में भारी बारिश के चलते जलभराव,बाढ़ और ट्रैफिक से लोगों को  दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,वहीँ पहाड़ों पर फ्लैश फ्लड और भूस्खलन के मंडराते खतरे ने लोगों को खौफजदा कर दिया है।दिल्ली-एनसीआर में जहाँ बीते दिन मुसलाधार बारिश से कई जगह जलभराव हो गया वहीं आज भी बादलों की आवाजाही बने रहने की सम्भावना जताई गयी है।उत्तर प्रदेश और बिहार में भारी बारिश का संकट और बढ़ता जा रहा है तो वहीं झारखण्ड ,उत्तर उड़ीसा ,मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पूर्वी इलाकों में आंधी तूफ़ान के साथ बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया गया है।नार्थ ईस्ट में भी एक हफ्ते तक भारी बारिश की चेतावनी दी गयी है।जानकारी के मुताबिक देश के कई हिस्सों में तापमान में गिरावट आई है लेकिन बारिश से जीवन बेहाल हो चूका है।मौसम विभाग ने स्पष्ट कर दिया है की आने वाले 24 से 48 घंटे संवेदनशील रहने वाले हैं।राजस्थान में भी भारी बारिश से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है ,तो वहीं आकड़ों की माने तो राजस्थान की 30 से ज्यादा तहसीलों में बीते कुछ सालों में 10 से 80 फीसदी तक ज्यादा बारिश होने लगी है जिसका असर पूरे राजस्थान पर पड़ रहा है। 

कश्मीर से आसाम तक ,उत्तराखंड से काशी तक और राजस्थान से महारष्ट्र तक ,देश का हर कोना इस वक्त मानसून की मार झेल रहा है।ऐसे में लोगों से ये अपील की गयी है की अपने घरों के अंदर ही रहें ,निचले इलाकों से सुरक्षित जगह पर चले जाएँ और जरुरत पड़ने पर ही बहार निकलें।

 

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