जल्द शुरू होगी 'एसआईआर' प्रक्रिया, जनवरी तक देनी होगी रिपोर्ट

खबर सार :-
अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके पहले ही SIR प्रक्रिया को पूरा करना है। इसके लिए चुनाव आयोग ने कमर कस ली है। तैयारियों की समीक्षा के लिए अलग-अलग बैठकें की जा रही हैं। जिससे रणनीति के तहत तय समय में ही रिपोर्ट सौंपी जा सके।

जल्द शुरू होगी 'एसआईआर' प्रक्रिया, जनवरी तक देनी होगी रिपोर्ट
खबर विस्तार : -

कोलकाता: पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का प्रक्रिया आने वाले असेंबली इलेक्शन से पहले नवंबर के पहले हफ्ते में शुरू होने वाला है। पश्चिम बंगाल के चीफ इलेक्शन ऑफिसर के ऑफिस के एक सीनियर सोर्स ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इलेक्शन कमीशन ने गुरुवार को दिल्ली में हुई राज्यों के चीफ इलेक्शन ऑफिसर (CEO) की मीटिंग में यह इशारा दिया। मीटिंग की अध्यक्षता चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने की, जबकि कमीशन के दूसरे मेंबर सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी भी मौजूद थे।

अप्रैल के आखिर तक होने हैं चुनाव

अगले साल पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में असेंबली इलेक्शन होने हैं। कमीशन की फुल बेंच ने इन पांच राज्यों के CEO के साथ तैयारियों का रिव्यू करने के लिए अलग-अलग मीटिंग कीं। कमीशन के सोर्स के मुताबिक, SIR प्रक्रिया में इन राज्यों को खास प्राथमिकता दी जाएगी ताकि जनवरी के आखिर तक सारा काम पूरा हो सके। क्योंकि इन राज्यों में चुनाव अप्रैल के आखिर तक होने हैं, इसलिए कमीशन ने फील्ड लेवल के अधिकारियों—जिला चुनाव अधिकारियों, इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (EROs), असिस्टेंट EROs, और बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) की ट्रेनिंग और अपॉइंटमेंट पर खास ज़ोर दिया है।

सुरक्षा को लेकर जताई चिंता

सूत्रों का कहना है कि इस बार SIR प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगा। वोटर लिस्ट को अपडेट करने के प्रक्रिया को और ज़्यादा ट्रांसपेरेंट और आसान बनाने के लिए नए मोबाइल एप्लीकेशन डेवलप किए जा रहे हैं। इस बीच, पश्चिम बंगाल के CEO ने मीटिंग में BLO अधिकारियों, जो आमतौर पर स्कूल टीचर होते हैं, के लिए सिक्योरिटी की चिंता जताई। कई BLO ने पॉलिटिकल टेंशन की वजह से फील्ड में काम करने को लेकर इनसिक्योरिटी जताई है। कमीशन ने साफ किया कि BLO का रोल वोटर लिस्ट फॉर्म घर-घर बांटने, वोटर ID इकट्ठा करने और वोटर अटेंडेंस के वेरिफिकेशन तक ही लिमिटेड है। कमीशन ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि नकली नाम हटाने का आखिरी फैसला ERO का होगा।

ज़रूरत पड़ने पर वे ऑन-साइट जांच भी कर सकते हैं। अगर किसी BLO पर कोई पॉलिटिकल पार्टी दबाव डालती है, तो उन्हें सीधे कमीशन को बताने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद कमीशन ज़रूरत के हिसाब से पुलिस एक्शन शुरू करेगा और अगर ज़रूरी हुआ तो कानून के मुताबिक सिक्योरिटी या लीगल एक्शन लेगा।

अन्य प्रमुख खबरें