79 हजार करोड़ से खरीदे जाएंगे भारतीय सेना के लिए नए हथियार, मिली मंजूरी

खबर सार :-
केंद्र की मंज़ूरी से तीनों सशस्त्र बलों के लिए 79,000 करोड़ रुपये की लागत से हथियार खरीदे जाएँगे। डीएसी की बैठक में लिए गए फ़ैसलों से सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी। सरकार के इस फैसले से तीनों ही सेनाओं को मजबूती मिलेगी ।

79 हजार करोड़ से खरीदे जाएंगे भारतीय सेना के लिए नए हथियार, मिली मंजूरी
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने तीनों सशस्त्र बलों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हथियारों और गोला-बारूद की खरीद हेतु ₹79,000 करोड़ की मंज़ूरी दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DCA) की बैठक में लिए गए इन फैसलों से सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी। भारतीय सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम मार्क-2 की खरीद से दुश्मन के लड़ाकू वाहनों को बेअसर करने की उसकी क्षमता बढ़ेगी।

बढ़ेगी भारतीय सेना की क्षमता

साउथ ब्लॉक में हुई बैठक के दौरान, विभिन्न सेवाओं से लगभग ₹79,000 करोड़ मूल्य के प्रस्तावों को मंज़ूरी दी गई। भारतीय सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम मार्क-2, ग्राउंड बेस्ड मोबाइल ELINT सिस्टम (GBMES) और मैटेरियल हैंडलिंग क्रेन के साथ हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMV) की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) प्रदान की गई। नाग मिसाइल सिस्टम दुश्मन के लड़ाकू वाहनों, बंकरों और अन्य क्षेत्रीय किलेबंदी को बेअसर करने की भारतीय सेना की क्षमता को बढ़ाएगा, जबकि GBMES दुश्मन के बारे में 24 घंटे इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी प्रदान करेगा। एचएमवी के शामिल होने से विविध भौगोलिक क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को रसद सहायता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

डीएसी बैठक में लिया गया फैसला

भारतीय नौसेना के लिए लैंडिंग प्लेटफ़ॉर्म डॉक्स (एलपीडी), 30 मिमी नेवल सरफेस गन (एनएसजी), एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडो (एएलडब्ल्यूटी), इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इन्फ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम, और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट के लिए स्मार्ट गोला-बारूद खरीदा जाएगा। एलपीडी की खरीद से भारतीय नौसेना, भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ जल-थलचर अभियान चलाने में सक्षम होगी। इससे शांति अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत में भारतीय नौसेना की तैनाती में भी मदद मिलेगी। डीआरडीओ की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला में स्वदेशी रूप से विकसित एएलडब्ल्यूटी, पारंपरिक, परमाणु और छोटी पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है।

डीएसी बैठक में भारतीय वायु सेना के लिए लंबी दूरी की लक्ष्य विनाश प्रणाली और अन्य प्रस्तावों के लिए एओएन को मंजूरी दी गई। यह प्रणाली स्वचालित टेक-ऑफ, नेविगेशन, लक्ष्य का पता लगाने और पेलोड डिलीवरी में सक्षम है, जिससे वायु सेना को महत्वपूर्ण लाभ मिलता है।

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