Aadhar Authentication Transaction: आधार फेस ऑथेंटिकेशन में क्रांति, छह महीनों में दोगुना हुए लेनदेन, 200 करोड़ का ऐतिहासिक आंकड़ा पार

खबर सार :-
केंद्र सरकार ने आधार आधारित फेस ऑथेंटिकेशन से जुड़ा एक आंकड़ा सार्वजनिक किया है, जिसके अनुसार पिछले छह महीने में लेन-देन का आंकड़ा बढ़कर दोगुना हो गया है। भारतीयों ने इस अवधि में 200 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 100 करोड़ था।

Aadhar Authentication Transaction: आधार फेस ऑथेंटिकेशन में क्रांति, छह महीनों में दोगुना हुए लेनदेन, 200 करोड़ का ऐतिहासिक आंकड़ा पार
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली: भारत के डिजिटल विकास के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर पार करते हुए, आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन प्रणाली ने मात्र छह महीनों में 100 करोड़ से बढ़कर 200 करोड़ लेनदेन का आंकड़ा पार कर लिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 10 अगस्त 2025 को जारी रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रगति देश की तकनीकी दक्षता और नागरिकों की डिजिटल सेवा के प्रति बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाती है।

आधार फेस ऑथेंटिकेशन एक आधुनिक और सुरक्षित पहचान सत्यापन प्रणाली है, जिससे उपयोगकर्ता बिना किसी दस्तावेज या शारीरिक संपर्क के, महज चेहरे की पहचान से अपनी पहचान प्रमाणित कर सकते हैं। यह प्रणाली नागरिकों को कभी भी, कहीं भी अपनी पहचान साबित करने की सुविधा देती है, जिससे कई सरकारी और निजी सेवाओं तक त्वरित पहुंच संभव हो पाई है।

200 करोड़ के लेनदेन का आंकड़ा पारः भुवनेश कुमार

यूआईडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इतने कम समय में 200 करोड़ लेनदेन का आंकड़ा पार करना यह दर्शाता है कि देशभर में नागरिक और सेवा प्रदाता आधार के इस सुरक्षित और समावेशी इकोसिस्टम पर भरोसा कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह न केवल एक तकनीकी सफलता है, बल्कि यह गांवों से लेकर शहरों तक डिजिटल समावेशन की दिशा में एक बड़ा कदम है। 2024 के अंत तक जहां फेस ऑथेंटिकेशन के 50 करोड़ लेनदेन हुए थे, वहीं जनवरी 2025 तक यह संख्या बढ़कर 100 करोड़ पहुंच गई। आश्चर्यजनक रूप से, इसके अगले छह महीनों में यह आंकड़ा फिर से दोगुना होकर 200 करोड़ तक जा पहुंचा।

देश को सशक्त बनाने में निभा रहा अहम भूमिका

मंत्रालय ने बताया कि यह सफलता केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह प्रमाण है कि जब तकनीक को समावेशिता और नागरिक सशक्तिकरण के साथ जोड़ा जाता है, तो यह देश को आत्मनिर्भर और डिजिटल रूप से सशक्त बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। सरकार, बैंक और अन्य सेवा प्रदाता अब इस तकनीक के माध्यम से लाभार्थियों को बिना रुकावट सेवाएं प्रदान कर पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पहले पहचान की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हुआ करती थी, अब वहीं लोग मात्र फेस स्कैन से सब्सिडी, बैंकिंग और सरकारी सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं। भारत का यह कदम उसे दुनिया के सबसे उन्नत और समावेशी डिजिटल देशों की कतार में लाकर खड़ा करता है।

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