लखनऊः भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था अब दुनिया की ऊंचाइयां छूने लगी है। परिणाम भी ऐसे आ रहे हैं, जिससे कि केंद्र सरकार के दावों पर संदेह नहीं किया जा सकता है। दुनिया के कई देश अपने विकास और प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी के लिए भारत के कुछ वर्षां में किए गए प्रयासों का अनुसरण करने लगे हैं। कुछ देश तो भारत के साथ अर्थिक पहलुओं पर समझौता करने के लिए लालायित हैं। जीडीपी के मामले में हमारा देश पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के मुकाम तक पहुंच चुका है।
कई देश तो ऐसे आंकड़ों में काफी पीछे छूट चुके हैं। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि विकसित देशों में फ्रांस, इटली और कनाडा भी पीछे छूट चुके हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि आर्थिक मामलों के जानकार बताते हैं कि हमारा देश 2030 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा। केंद्र सरकार का भी अनुमान है कि वर्तमान वित्तीय साल में हमारे देश की जीडीपी वृद्धि 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है। देश के आर्थिक सुधार में कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की सोच का भी काफी प्रभाव रहा है। हम पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर रहे हैं, इससे हमारे देश की समृद्धि पर असर पड़ रहा था। लेकिन अब हम ज्यादातर वस्तुओं के आयात से बचने लगे हैं, लेकिन निर्यात पर सरकार का फोकस बढ़ता रहा है।
भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश को अपने उत्पादों का निर्यातक साझीदार बनाने में सफलता हासिल की है। विश्व के कई देशों में किए जाने वाले निर्यात का 17 फीसदी केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में होता है। चीन से भी अब आयात कम हो रहा है। चीन से खरीदी जाने वाली वस्तुओं में कुछ का निर्माण भारत में भी होने लगा है। इनके निर्माताओं को सरकारी की ओर से सरकारी बजट में प्रोत्साहन भी मिलता है। इसका परिणाम यह है कि देश में विदेशी निवेश बढ़ा है।
आर्थिक थिंकटैंकों का मामना है कि एनडीए सरकार अगले कुछ सालों में भारत का विकास और तेज होगा। आर्थिक विकास के लिए सरकार कुछ क्षेत्रों में विशेष ध्यान दे रही है। इसमें मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, स्किल एजुकेशन और सुलभ आवागमन शामिल हैं। रेल लाइनों के दोहरीकरण, कस्बों में मंडियां और धार्मिक पर्यटन के कारण भी देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है। माना जा रहा है कि वर्तमान में 2.1 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ोत्तरी हुई है। बाजारों की दशा में भी बड़ा बदलाव आया है। यहां वस्तुओं की थोक महंगाई भी कम हुई है।
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