बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025: मुंबई में आयोजित 12वें बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक पॉलिटिकल टेंशन और तेज़ तकनीकी बदलावों से आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि यह कॉन्क्लेव मौजूदा चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श करने का उपयुक्त अवसर है। पिछले वर्ष उन्होंने इस कॉन्क्लेव में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया था और उस समय टैक्सेशन सेक्टर में चल रहे सुधारों पर बात की थी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कई रेगुलेटरी सुधार किए गए हैं। आरबीआई ने हाल ही में एक नया रेगुलेशन फ्रेमवर्क जारी किया है, जिसमें एक कंसल्टेटिव प्रोसेस अपनाया गया है। इस प्रक्रिया को और अधिक ओपन और पारदर्शी बनाने का प्रयास जारी है ताकि नीतियों का लाभ सभी हितधारकों तक समान रूप से पहुंचे।
संजय मल्होत्रा ने अपने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) बयान का हवाला देते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के हित के लिए फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अनिवार्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शॉर्ट-टर्म ग्रोथ को यदि फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की कीमत पर हासिल किया जाए तो इसका असर दीर्घकालिक विकास पर नकारात्मक हो सकता है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजिकल तरक्की और डिजिटल बैंकिंग के युग में कोई भी रेगुलेटर सिस्टम को एक ही स्तर पर नहीं रख सकता, लेकिन उसकी भूमिका स्थिरता, निष्पक्षता और मजबूती सुनिश्चित करने की होती है।
गवर्नर ने कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) ने भारत के क्रेडिट कल्चर को पूरी तरह बदल दिया है। इस कानून ने न केवल बैंकों की रिकवरी क्षमता को बढ़ाया है बल्कि निवेशकों का भरोसा भी मजबूत किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक एसबीआई 2018 में घाटे में था, लेकिन आज यह 100 बिलियन डॉलर की वैल्यू वाली कंपनी बन गया है। यह उपलब्धि रेगुलेटरी और स्ट्रक्चरल सुधारों के कारण संभव हुई है।
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