आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक पर लगाया 61.95 लाख रुपये का जुर्माना

खबर सार :-
आरबीआई ने जुर्माना लगाकर यह संदेश दिया है कि नियामक अनुपालन में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े निजी बैंक से भी नियमों के सख्त पालन की अपेक्षा की जाती है। यह कार्रवाई बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता, उपभोक्ता हितों की सुरक्षा और वित्तीय अनुशासन को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है।

आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक पर लगाया 61.95 लाख रुपये का जुर्माना
खबर विस्तार : -

RBI Action: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग नियमों और निर्देशों का पालन न करने के मामले में कोटक महिंद्रा बैंक पर 61.95 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच, बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट (बीएसबीडी), बिजनेस कोरस्पोंडेंट (बीसी) गतिविधियों और क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) से जुड़े नियमों के उल्लंघन के आधार पर की गई है।

जानें किन नियमों के उल्लंघन पर लगा जुर्माना

आरबीआई के अनुसार, यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 47ए(1)(सी) को धारा 46(4)(आई) के साथ तथा क्रेडिट सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 25(1)(iii) को धारा 23(4) के साथ पढ़ते हुए लगाए गए अधिकारों के तहत लगाया गया है। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई पूरी तरह वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है।

निरीक्षण के बाद सामने आई खामियां

आरबीआई ने बैंक की 31 मार्च, 2024 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में वैधानिक निरीक्षण (आईएसई 2024) किया था। इस पर्यवेक्षी मूल्यांकन के दौरान यह पाया गया कि बैंक ने आरबीआई के कई निर्देशों और सीआईसी नियमों का पालन नहीं किया। इन्हीं निष्कर्षों के आधार पर बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

बीएसबीडी खातों में अनियमितता

जांच में सामने आया कि बैंक ने कुछ ऐसे ग्राहकों के लिए अतिरिक्त बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट खोल दिए, जिनके पास पहले से ही बीएसबीडी खाता मौजूद था। आरबीआई के नियमों के अनुसार, किसी एक ग्राहक को एक से अधिक बीएसबीडी खाते रखने की अनुमति नहीं है। यह वित्तीय समावेशन के उद्देश्य के विपरीत माना जाता है। आरबीआई ने यह भी पाया कि कोटक महिंद्रा बैंक ने बिजनेस कोरस्पोंडेंट्स के साथ ऐसे कार्यों के लिए समझौता किया, जो उनके निर्धारित कार्यक्षेत्र में शामिल नहीं थे। बीसी मॉडल का उद्देश्य सीमित सेवाओं के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना है, लेकिन बैंक द्वारा इसका दायरा नियमों से परे बढ़ाया गया।

क्रेडिट सूचना कंपनियों को गलत जानकारी

इसके अलावा, कुछ उधारकर्ताओं से संबंधित मामलों में बैंक द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों को गलत या त्रुटिपूर्ण जानकारी दी गई। इससे उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल और भविष्य की वित्तीय साख प्रभावित हो सकती है, जिसे आरबीआई ने गंभीर नियामक चूक माना। आरबीआई ने नोटिस के जवाब में बैंक द्वारा दी गई लिखित और मौखिक दलीलों पर विचार किया। इसके बावजूद, केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उल्लंघन साबित होते हैं और मौद्रिक जुर्माना लगाया जाना उचित है।

आरबीआई की सफाई

केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल वैधानिक और नियामक अनुपालन में कमियों के आधार पर की गई है। इसका उद्देश्य बैंक और उसके ग्राहकों के बीच हुए किसी लेनदेन या समझौते की वैधता पर कोई टिप्पणी करना नहीं है।

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