मुंबईः भारत की स्टील इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2030-31 तक 300 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) क्रूड स्टील की क्षमता को हासिल करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उस तक पहुंचना मुश्किल नहीं लग रहा है। एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी (एमपीएफएएसएल) की रिपोर्ट में भारत में स्टील उत्पादन से जुड़े बेहतरीन आंकड़े पेश किए गए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में स्टील उत्पादन की वृद्धि दर चीन और वैश्विक औसत दोनों से आगे निकल गई है। 2016 और 2024 के बीच, भारत ने लगभग 5 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज की थी, जबकि चीन के लिए यह बढ़ोत्तरी महज 2.76 प्रतिशत और वैश्विक स्तर पर उससे भी कम 1.77 प्रतिशत थी।
एमपीएफएएसएल की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का स्टील उत्पादन 2020 से लगातार घट रहा है। वहीं दूसरी तरफ, भारत ने इस अवधि के दौरान 8 प्रतिशत की त्वरित सीएजीआर दर्ज की। यह वृद्धि ग्लोबल स्टील इंडस्ट्री में भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है। वित्त वर्ष 2024-25 तक, भारत ने 205 एमटीपीए की स्थापित क्षमता हासिल कर ली है, इसके बाद प्रमुख स्टील कंपनियों द्वारा 2031 तक 167 एमटीपीए की प्रस्तावित क्षमता का विस्तार करने की योजनाएं हैं। हालांकि, इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत की स्टील की खपत में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि भारत इंफ्रास्ट्रक्चर, किफायती आवास और विनिर्माण में निवेश में तेजी ला रहा है। भारत की स्टील की खपत वर्तमान में वैश्विक औसत 219 किलोग्राम की तुलना में प्रति व्यक्ति 93.4 किलोग्राम है। इस खपत अंतर को पाटने के लिए स्टील बनाने की क्षमता में पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता होगी, जिससे 300 मिलियन टन कच्चे स्टील की क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने की रणनीतिक आवश्यकता को बल मिलेगा।
लक्ष्य कठिन, मगर हासिल करना मुश्किल नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के समक्ष स्टील उत्पादन से जुड़ी अनेकों चुनौतियां हैं, लेकिन 2030-31 तक 300 एमटीपीए स्टील क्षमता का लक्ष्य बहुआयामी रणनीति के माध्यम से हासिल किया जाएगा, जो पांच महत्वपूर्ण लीवरों पर निर्भर है। तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर के नेतृत्व वाली वृद्धि से प्रेरित होकर भारत का इस्पात उत्पादन हाल के वर्षों में बढ़ा है, जिससे दुनिया भर में चीन के बाद भारत दूसरे सबसे बड़े स्टील उत्पादक के रूप में स्थापित हुआ है, जो दुनिया के उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक, भारत मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग और नीति समर्थन के बीच इस परिवर्तन को आगे बढ़ा रहा है।
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