नई दिल्लीः भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इस वजह से भारत हर महीने कोई न कोई नया रिकॉर्ड कायम कर रहा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी यानी आईईए की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2024 में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर की बिक्री में 20 प्रतिशत का उछाल आया है, जिसकी वजह से वाहनों की बिक्री का आंकड़ा बढ़कर 7 लाख तक पहुंच गया है। भारत लगातार दूसरे साल चीन को पछाड़कर इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
आईईए की ग्लोबल ईवी आउटलुक 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक थ्री-व्हीलर बाजार पूरी तरह से सेंट्रलाइज है, जिसमें इलेक्ट्रिक और पारंपरिक थ्री-व्हीलर की बिक्री का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चीन और भारत में तैयार होता है। पिछले तीन वर्षों में चीन में थ्री-व्हीलर का इलेक्ट्रिफिकेशन घटकर 15 प्रतिशत से भी कम हो गया है। जबकि भारत में थ्री-व्हीलर की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इस कारण 2023 में, चीन को पीछे छोड़कर भारत इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन गया और 2024 में नंबर एक की पोजीशन बरकरार है। भारत में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर की बिक्री में 20 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है। एक साल में 7,00,000 वाहन बिके हैं।
भारत सरकार लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के काम में जुटी है, जिसका मकसद प्रदूषण को कम करना और पेट्रोल व डीजल पर वाहनों की निर्भरता को घटाना है। इसी मकसद से कई योजनाएं शुरू की गई है। नई पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत सरकार के समर्थन से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने की यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहने की संभावना है। इस योजना ने 2024 में कॉमर्शियल उपयोग के लिए 3,00,000 से अधिक इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर को रोल-आउट करने में सहायता की है। आईईए की रिपोर्ट के अनुसार, चीन, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया दुनिया के सबसे बड़े टू और थ्री-व्हीलर बाजार हैं। आंकड़ों में यहां 2024 की वैश्विक बिक्री का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है। इन देशों में टू और थ्री-व्हीलर को निजी यात्री परिवहन के प्राथमिक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के तेजी से गतिशील इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में 2024 में कुल 220 ओईएम हैं, जो 2023 में 180 थे। हालांकि 2024 में देश में बेचे गए 1.3 मिलियन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में से 80 प्रतिशत, जो कि कुल टू-व्हीलर बाजार का 6 प्रतिशत है, चार मार्केट लीडर्स ने संयुक्त रूप से दर्ज करवाया है। जबकि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर का अग्रिम खरीद मूल्य सामान्य टू-व्हीलर की तुलना में अधिक है। अब कम्पटीशन बढ़ने की वजह से ओईएम को अधिक किफायती इलेक्ट्रिक मॉडल पेश करने के लिए प्रेरित कर रही है।
आईईए रिपोर्ट के अनुसार सरकार की ओर से मिल रहा नीतिगत समर्थन इलेक्ट्रिक और आईसीई टू-व्हीलर मॉडल के बीच अफॉर्डेबिलिटी अंतर को पाटने में भी मदद कर रहा है, जिसमें नई पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव क्रांति इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई- ड्राइव) नीति, पहले से ही इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम और फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एफएएमई)-II के उपायों के तहत प्रदान की गई वित्तीय सहायता को जारी रखने में मदद कर रही है। इस योजना को अभी मार्च 2026 तक संचालित करने का निर्णय लिया गया है। जो कि लगभग 2.5 मिलियन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के रोल-आउट का लक्ष्य हासिल करने में मददगार साबित होगी। आंकड़ों पर गौर करें, तो पिछली एफएएमई-II नीति के तहत लक्षित 1 मिलियन से अधिक का विस्तार हुआ है। भारत में 80 सबसे बड़े इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माताओं ने 2024 में 10 मिलियन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की संयुक्त उत्पादन क्षमता दिखाई है, जो कि समान अवधि में घरेलू बिक्री का लगभग 8 गुना है। ऐसे में अगर सभी ओईएम घोषणाएं सफल होती हैं, तो निकट भविष्य में उत्पादन क्षमता बढ़कर 17 मिलियन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब लोग पेट्रोल और डीजल की जगह सीएनजी और इलेक्ट्रिक कारों को खरीदने में अधिक रुचि ले रहे हैं। आईईए की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इलेक्ट्रिक कारों की कुल बिक्री 2024 में मात्र 2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1,00,000 यूनिट दर्ज हुई थी। अब वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 35,000 इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री दर्ज की गई, जो कि सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की वृद्धि मानी जा रही है। भारत में, ईवी पर उच्च आयात शुल्क और 2024 में चीनी आयात का हिस्सा 15 प्रतिशत से नीचे रहा है। इसलिए सबसे सस्ती बैटरी इलेक्ट्रिक कार मॉडल को चीनी ओईएम ने स्थानीय रूप से निर्मित किया गया था, वहीं, आयातित चीनी बीईवी की औसत कीमत घरेलू निर्माताओं द्वारा बनाए गए मॉडल की तुलना में दोगुनी थी। इसलिए भारतीय कार निर्माताओं द्वारा निर्मित सभी बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) मॉडल 2024 में 20,000 डॉलर से कम कीमत पर शुरू हुए, जबकि आयातित चीनी में से बीईवी मॉडल की कीमत इससे कहीं अधिक थी।
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