भारत की स्पेस इकोनॉमी 10 वर्षों में 45 अरब डॉलर की होगी : डॉ. जितेंद्र सिंह

खबर सार :-
भारत की तेजी से बढ़ती स्पेस इकोनॉमी आने वाले दशक में देश की तकनीकी और आर्थिक शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। सरकार के सुधारों, स्टार्टअप की सक्रिय भूमिका और लगातार हो रहे इनोवेशन ने भारत को वैश्विक स्पेस उद्योग में अग्रणी स्थान दिलाया है। स्पेस आधारित सेवाओं के विस्तार से आम नागरिकों के जीवन स्तर में भी महत्वपूर्ण सुधार दर्ज हो रहा है।

भारत की स्पेस इकोनॉमी 10 वर्षों में 45 अरब डॉलर की होगी : डॉ. जितेंद्र सिंह
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नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत की स्पेस इकोनॉमी तेज गति से विस्तार कर रही है। वर्तमान में इसका मूल्य लगभग 8 अरब डॉलर है और अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में यह 44-45 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। वे इंडिया इंटरनेशनल स्पेस कॉन्क्लेव (IISC 2025) को संबोधित कर रहे थे, जिसकी थीम एक्सपैंडिंग हॉरिजोन: इनोवेशन, इंक्लूजन एंड रेजिलिएंस इन द न्यू स्पेस एज रखी गई है।

स्पेस सेक्टर में तेजी से बढ़ता वैश्विक आकर्षण

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत स्पेस सेक्टर में जुड़ाव और निवेश के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बन रहा है। हाल के महीनों में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने भारत का दौरा किया है, जो इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया है, जहां टैलेंट, टेक्नोलॉजी और इन्वेस्टमेंट मिलकर स्पेस इकोनॉमी को नई दिशा दे रहे हैं।

स्टार्टअप और युवाओं ने बदला स्पेस सेक्टर का चेहरा

डॉ. सिंह ने बताया कि स्पेस सेक्टर के अनलॉक होने के बाद यह क्षेत्र आम नागरिकों, छात्रों और स्टार्टअप के लिए खुल गया है, जो पहले पूरी तरह सीमित था। उन्होंने कहा कि आज हजारों लोग रॉकेट लॉन्च देख रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप उभर चुके हैं, जिनमें से अधिकांश विदेशी निवेश आकर्षित कर रहे हैं और तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।

इनोवेशन में भारत का बढ़ता योगदान

केंद्रीय मंत्री ने भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए चंद्रयान के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने, चंद्रमा पर पानी की खोज, सफल मंगलयान मिशन और एक साथ 104 उपग्रहों के प्रक्षेपण को ऐतिहासिक उपलब्धियां बताया। उन्होंने कहा कि इन प्रगतियों ने भारत को वैश्विक स्पेस शक्तियों की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया है।

ईज ऑफ लिविंग में 70 प्रतिशत  स्पेस एप्लीकेशनों का योगदान

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत के लगभग 70 प्रतिशत  स्पेस एप्लीकेशन सीधे तौर पर ईज ऑफ लिविंग को सपोर्ट करते हैं। गति शक्ति के माध्यम से इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना, स्वामित्व के जरिए लैंड मैपिंग, उपग्रह आधारित आपदा प्रबंधन, दूरदराज क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन और रेलवे सुरक्षा सिस्टम ऐसे उदाहरण हैं, जो देश को तकनीकी रूप से सशक्त बना रहे हैं।

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