मुंबईः नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति की नींव उसके मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती पर टिकी है। उन्होंने जोर दिया कि केवल क्रमिक सुधारों से भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग लीडर नहीं बन सकता। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब ने बुधवार को ‘रिइमेजनिंग मैन्युफैक्चरिंग : इंडियाज रोडमैप टू ग्लोबल लीडरशिप इन एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग’ नामक एक व्यापक रोडमैप पेश किया।
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह रोडमैप 2035 तक भारत को एक एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के रूप में स्थापित करने का समयबद्ध मार्ग निर्धारित करता है। इसमें मैन्युफैक्चरिंग के डीएनए में फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को एकीकृत करने की बात कही गई है ताकि "मेड इन इंडिया" को वैश्विक प्रतिस्पर्धी पहचान मिल सके। उन्होंने कहा, “यह पहल भारत के औद्योगिक परिदृश्य को आधुनिकता, दक्षता और स्थायित्व के नए स्तर तक पहुंचाएगी।”

इस मौके पर मौजूद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारत को तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए सामान्य व्यवसायिक ढांचे से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि फ्रंटियर टेक्नोलॉजी, यानी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संगम, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ऑटोमेशन, दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को नया आयाम देगा।
रोडमैप में यह परिकल्पना की गई है कि 2035 तक भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 25 प्रतिशत से अधिक योगदान देगा। इसके साथ ही यह क्षेत्र 10 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित करेगा। योजना का उद्देश्य भारत को 2035 तक एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के शीर्ष तीन वैश्विक केंद्रों में शामिल करना है। यह लक्ष्य 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत प्रमुख क्षेत्रों में फ्रंटियर टेक्नोलॉजी को समय पर नहीं अपनाता है, तो देश को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है। अनुमान है कि इससे 2035 तक लगभग 270 अरब अमेरिकी डॉलर और 2047 तक करीब 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के संभावित मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी से देश वंचित रह सकता है।
नीति आयोग का फ्रंटियर टेक हब एक एक्शन टैंक के रूप में कार्य कर रहा है, जो सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के सहयोग से 20 से अधिक प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी विकास का रोडमैप तैयार कर रहा है। इसका उद्देश्य 2047 तक समृद्ध, मजबूत और तकनीकी रूप से सक्षम भारत की नींव रखना है।
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