स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को 16,000 एमएसएमई बना रहे सशक्त, रक्षा आत्मनिर्भरता के नए युग की ओर भारत

खबर सार :-
भारत तेजी से एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। रिकॉर्ड उत्पादन, ऐतिहासिक निर्यात, बढ़ती निजी सहभागिता और 16,000 एमएसएमई की सक्रिय भूमिका ने देश की आत्मनिर्भरता को नई ऊंचाई दी है। बढ़ते रक्षा बजट और नीतिगत सुधारों ने इस परिवर्तन को गति दी है। आने वाले वर्षों में भारत रक्षा क्षेत्र में नई वैश्विक पहचान बनाने के लिए तैयार है।

स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को 16,000 एमएसएमई बना रहे सशक्त, रक्षा आत्मनिर्भरता के नए युग की ओर भारत
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः केंद्र सरकार के अनुसार भारत अब रक्षा आत्मनिर्भरता और तकनीकी संप्रभुता के एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है। ‘रणनीतिक सहयोग’ और ‘साहसिक नीतिगत सुधारों’ के चलते रक्षा उत्पादन, निर्यात और अनुसंधान सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम में अत्याधुनिक तकनीक के तेज़ी से इंटीग्रेशन ने भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में मजबूत आधार दिया है।

रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक छलांग

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपए के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि घरेलू रक्षा उद्योग तेजी से मजबूत हो रहा है। 2014 में जहां रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपए से भी कम था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 23,622 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो भारत की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है। भारत अब 100 से अधिक देशों—जिनमें अमरीका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे प्रमुख साझेदार भी शामिल हैं—को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। यह उपलब्धि न सिर्फ स्वदेशी उत्पादन क्षमता की मजबूती को दिखाती है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाज़ार में भारत की बढ़ती प्रतिस्पर्धा को भी उजागर करती है।

निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी

कुल रक्षा उत्पादन में डीपीएसयू और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान 77 प्रतिशत है, जबकि निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है। यह आंकड़े वित्त वर्ष 2023-24 के 21 प्रतिशत से अधिक हैं, जो संकेत देता है कि निजी उद्योग रक्षा ईकोसिस्टम में तेजी से बड़ी भूमिका निभा रहा है। सरकार का लक्ष्य रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाना और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपए के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करना है। मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह लक्ष्य अब पहले से अधिक यथार्थवादी दिखाई दे रहा है।

एमएसएमई—स्वदेशी रक्षा ढांचे की रीढ़

वित्त वर्ष 2023-24 में स्वदेशी रक्षा उत्पादन 1,27,434 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपए की तुलना में 174 प्रतिशत की वृद्धि है। इस अभूतपूर्व उछाल में करीब 16,000 एमएसएमई की भूमिका केंद्रीय रही है। ये छोटे और मध्यम उद्योग अनुसंधान, घटक निर्माण, तकनीकी सुधार और सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण योगदान देकर रक्षा आत्मनिर्भरता को नई दिशा दे रहे हैं।

रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि

रक्षा बजट भी पिछले वर्षों में लगातार बढ़ा है। 2013-14 में यह 2.53 लाख करोड़ रुपए था, जबकि 2025-26 में इसके 6.81 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। यह सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और रक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ा कदम है।

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