GST Tax Reform: सरकार का बड़ा टैक्स रिफॉर्म: केवल दो जीएसटी स्लैब, लग्जरी वस्तुओं पर 40 प्रतिशत विशेष टैक्स का प्रस्ताव

खबर सार :-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन के दौरान जीएसटी की दरों में संशोधन के संकेत दिए हैं। केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों को सरल बनाने के लिए 12 प्रतिशत औऱ 18 प्रतिशत की स्लैब को हटाने का प्रस्ताव दिया है। जानिए यह नई टैक्स प्रणाली उपभोक्ताओं को कितना प्रभावित करेंगी

GST Tax Reform:  सरकार का बड़ा टैक्स रिफॉर्म: केवल दो जीएसटी स्लैब, लग्जरी वस्तुओं पर 40 प्रतिशत विशेष टैक्स का प्रस्ताव
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश की टैक्स व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढांचे में एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है। इस प्रस्ताव के अनुसार अब केवल दो टैक्स स्लैब- 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रहेंगे, जबकि अत्यधिक लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत तक का विशेष टैक्स लगेगा। यह संशोधित जीएसटी ढांचा इस साल दिवाली से पहले लागू किया जा सकता है।

वित्त मंत्रालय ने इस नई संरचना का प्रस्ताव राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (GoM) को भेजा है, जो जीएसटी दरों की समीक्षा कर रही है। मौजूदा समय में जीएसटी के पांच मुख्य स्लैब हैं- 0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। इनमें से 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत दरों को हटाकर उन्हें क्रमशः 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत में समाहित किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में 12 प्रतिशत स्लैब में आने वाली लगभग 99 प्रतिशत वस्तुएं अब 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आ जाएंगी। वहीं, 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आने वाली लगभग 90 प्रतिशत वस्तुएं 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में चली जाएंगी। इससे न केवल टैक्स प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी सीधा लाभ मिलेगा।

लग्जरी वस्तुओं पर विशेष दर जारी रहने की संभावना

हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि शराब, तंबाकू, ड्रग्स, जुआ जैसी हानिकारक और लग्जरी वस्तुओं पर विशेष टैक्स दर (40 प्रतिशत) जारी रहेगी। इन उत्पादों पर कर दरों में कोई रियायत नहीं दी जाएगी ताकि सरकार का राजस्व भी प्रभावित न हो और सामाजिक दृष्टिकोण से इन वस्तुओं के उपयोग पर नियंत्रण भी बना रहे।

पीएम मोदी ने दिए संकेत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन में टैक्स संरचना को सरल बनाने का संकेत दिया था। इसके तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने इस दिशा में कदम उठाते हुए GoM को यह प्रस्ताव भेजा है। इस बदलाव से न केवल करदाताओं को राहत मिलेगी, बल्कि छोटे और मंझोले व्यवसायों को भी जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में सुविधा होगी। अब देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकारें इस प्रस्ताव को किस तरह स्वीकार करती हैं और कितना समर्थन देती हैं।

केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर उद्योग जगत की राय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर की गई घोषणा, जिसमें आगामी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों की बात कही गई, को उद्योग विशेषज्ञों और व्यापार जगत के नेताओं ने एक महत्वपूर्ण और समयानुकूल कदम बताया है। उनका मानना है कि यह सुधार न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा, बल्कि आम नागरिक, छोटे उद्योगों (एमएसएमई), महिलाओं, किसानों और मध्यम वर्ग के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।

उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी की वर्तमान संरचना जटिल है और इसमें दरों को युक्तिसंगत बनाए जाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के कृष्ण अरोड़ा ने उम्मीद जताई कि उपभोग की वस्तुओं पर दरें 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की जा सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत और बाजार में मांग में वृद्धि होगी, विशेषकर एमएसएमई के लिए।

ईवाई के सुधीर कपाड़िया ने इसे एक ‘बहुत जरूरी सुधार’ बताया और कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई स्पष्ट समय-सीमा (दिवाली तक) से पता चलता है कि सरकार इस सुधार को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि अब इन सुधारों को तत्काल प्रभाव से लागू करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय ने एक सरलीकृत द्वि-स्तरीय जीएसटी प्रणाली का प्रस्ताव रखा है, जिसमें मानक और रियायती स्लैब के साथ-साथ चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष दरें होंगी। यह बदलाव जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) की सिफारिशों पर आधारित होंगे।

केपीएमजी के अभिषेक जैन के अनुसार, सरकार द्वारा दो-दर वाली संरचना और इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड को सुव्यवस्थित करने की योजना जीएसटी प्रणाली को अधिक कुशल, पारदर्शी और संतुलित बनाएगी। इससे सरलता और वित्तीय विवेक के बीच संतुलन स्थापित होगा, जो किसी परिपक्व कर व्यवस्था की निशानी है। कुल मिलाकर, उद्योग विशेषज्ञों ने इन प्रस्तावित सुधारों को भारत की कर प्रणाली के विकास में एक मील का पत्थर करार दिया है और उम्मीद जताई है कि यह सुधार आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और उपभोक्ता संतुष्टि को गति देंगे।

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