FIR on GENSOL: पीएफसी ने जेनसोल पर दर्ज कराया मुकदमा

खबर सार :-
सरकारी कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इससे पूर्व सेबी ने एनएसई के अधिकारियों को भेजकर कंपनी के संयंत्र की जांच कराई थी, जिसमें लंबे समय से कंपनी में काम बंद होने औ

FIR on GENSOL: पीएफसी ने जेनसोल पर दर्ज कराया मुकदमा
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के नाम पर 30,000 गाड़ियां बनाने का ऑर्डर लेने और लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने के मामले में जेन सोल कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। सरकारी कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) लिमिटेड ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इससे पूर्व सेबी ने एनएसई के अधिकारियों को भेजकर कंपनी के संयंत्र की जांच कराई थी, जिसमें लंबे समय से कंपनी में काम बंद होने और अन्य अनियमितताओं की जानकारी मिली थी।

 लोन के लिए फर्जी दस्तावेजों का किया था इस्तेमाल

सरकारी फाइनेंशियल कंपनी के मुताबिक पीएफसी ने फर्जी दस्तावेज जारी करने के मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई है। पीएफसी अपने हितों की रक्षा करने और अपने परिचालन में पारदर्शिता बनाए रखते हुए अपने लोन की वसूली सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। कैब सेवाएं प्रदान करने वाली ऑल-इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) ऐप ब्लूस्मार्ट की प्रमोटर कंपनी जेनसोल ने कथित तौर पर अपने दो क्रेडिटर्स-पीएफसी और इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) से जाली लेटर बनवाए थे। कंपनी का मकसद निवेशकों को यह दिखाना था कि वह नियमित रूप से अपने लोन का भुगतान कर रही है। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने क्रेडिटर्स के साथ लेटर की पुष्टि करने का काम शुरू किया। सरकारी कंपनी ने यह भी जानकारी दी है कि वह अपनी एंटी-फ्रॉड नीति के तहत आंतरिक रूप से भी इस पूरे मामले की जांच कर रही है। उनकी जांच का फोकस पीएफसी द्वारा फंड इलेक्ट्रिक वाहनों की गुम डिलीवरी रसीदों पर केंद्रित होगा। 

978 करोड़ रुपये का लिया था लोन

जेनसोल ने ऑनलाइन ग्रीन टैक्सी सेवा चलाने और इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए पीएफसी और आईआरईडीए से 978 करोड़ रुपये का लोन लिया था। यह कैब सर्विस दिल्ली एनसीआर और बेंगलुरु में अपनी बेहतर सर्विस को लेकर काफी लोकप्रिय हो गई थी। कंपनी की ओर से लोन की रकम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने में किया जाना था, लेकिन 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एक कार डीलरशिप के माध्यम से प्रमोटरों से जुड़ी अन्य कंपनियों को भेज दी गई। यही नहीं कुछ पैसे का इस्तेमाल लग्जरी खरीद के लिए किया गया, जिसमें डीएलएफ कैमेलियास में फ्लैट शामिल हैं, जहां एक अपार्टमेंट की कीमत 70 करोड़ रुपये से शुरू होती है। इसी बीच सेबी के पास शिकायत पहुंच गई। जब सेबी ने मामले की जांच करवाई तो जेनसोल कंपनी 262.13 करोड़ रुपये की राशि का हिसाब ही नहीं दे पाई। तब सेबी ने 15 अप्रैल, 2025 को एक विस्तृत अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें बताया गया कि आखिरकार जेनसोल कंपनी में किस प्रकार की और क्या-क्या गड़बड़ियां थीं। 

प्रमोटर्स पर कंपनी को अपनी गुल्लक की तरह इस्तेमाल करने का आरोप

सेबी के आदेश में कहा गया कि अनमोल और पुनीत सिंह जग्गी सहित जेनसोल के प्रमोटरों ने कंपनी को अपने निजी 'गुल्लक' की तरह इस्तेमाल किया। प्रमोटरों ने लोन राशि को अपने बैंक खाते में या संबंधित किसी संस्था के खाते में डायवर्ट करा दिया था। जेनसोल ने वित्त वर्ष 2022 और 2024 के बीच आईआरईडीए और पीएफसी से 977.75 करोड़ का लोन लिया था। इसमें 663.89 करोड़ रुपये विशेष रूप से 6,400 ईवी की खरीद के लिए थे। हालांकि, जब मामला खुला, तो कंपनी ने केवल 4,704 वाहन खरीदने की बात स्वीकार की, जिनकी कीमत 567.73 करोड़ रुपये थी। इसे सप्लायर गो-ऑटो द्वारा वेरीफाई भी किया गया था। सेबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उसे पुणे में जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) प्लांट में ‘कोई मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि’ नहीं मिली, और साइट पर केवल दो से तीन मजदूर मौजूद थे।

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