नई दिल्ली: भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने गुरुवार को सरकार द्वारा घोषित जीएसटी 2.0 सुधारों का स्वागत किया। फिक्की के मुताबिक, इन सुधारों से भारत की कर प्रणाली में पूर्वानुमान और पारदर्शिता आएगी, साथ ही कई सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सुधारा जाएगा, जिससे उद्योगों को राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
फिक्की ने कहा कि जीएसटी परिषद ने 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होने वाली द्वि-स्तरीय जीएसटी फ्रेमवर्क को मंजूरी दी है, जिसका लाभ श्रम-प्रधान उद्योगों, परिवारों और उपभोग-संचालित विकास को मिलेगा। इन सुधारों से उपभोक्ता केंद्रित और विकास-उन्मुख सुधार लागू होंगे, जो भारतीय कर प्रणाली को पारदर्शी, पूर्वानुमान योग्य और स्थिर बनाएंगे। कपड़ा, उर्वरक और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार से आयात पर निर्भरता कम होगी और भारतीय वस्तुओं की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।
फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी 2.0 के सुधारों से विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा। इनमें श्रम-प्रधान उद्योग, एमएसएमई, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, और ऑटोमोबाइल उद्योग शामिल हैं। इन सुधारों से उपभोक्ताओं की लागत कम होगी और उपभोग-संचालित विकास को बढ़ावा मिलेगा। अग्रवाल ने कहा कि इस सुधार से वर्गीकरण संबंधी विवादों में कमी आएगी और अनुपालन में सुधार होगा, जिससे कर चोरी में भी कमी आएगी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इन सुधारों के राजस्व पर निहितार्थ हो सकते हैं, लेकिन यह भी कहा कि दरों में कमी से उपभोग की मांग बढ़ेगी और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
फिक्की ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी से घरेलू बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आवश्यक वस्तुओं जैसे साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर जीएसटी दरों में कमी से घरेलू बजट पर दबाव कम होगा और उपभोग बढ़ेगा। इसी तरह, कृषि से संबंधित वस्तुओं पर कम दरें किसानों की लागत कम करेंगी और ग्रामीण आय को बढ़ावा मिलेगा, जो खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा। यह भी कहा कि पूंजीगत वस्तुओं और औद्योगिक इनपुट पर जीएसटी दरों में कमी से विनिर्माण लागत में कमी आएगी, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी और उद्योगों को नई दिशा मिलेगी।
फिक्की के अनुसार, श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे हस्तशिल्प, कपड़ा, चमड़ा, जूते, संगमरमर, ग्रेनाइट और खिलौनों पर कर में राहत मिलने से एमएसएमई को मजबूती मिलेगी, पारंपरिक आजीविका को बचाया जाएगा और नए रोजगार सृजित होंगे। यह कदम सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'स्वदेशी उत्पादों' को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है।
फिक्की ने यह भी कहा कि सीमेंट, रिन्यूएबल एनर्जी डिवाइस और निर्माण सामग्री पर जीएसटी में कमी से आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह सरकार के 'सभी के लिए आवास' विजन को साकार करने में मदद करेगा। इन सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिलेगी और विकास की गति तेज होगी।
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