त्योहारी मांग ने बढ़ाई बाजार की रौनक, GST 2.0 सुधारों और शुभ मुहूर्त में डिलीवरी से मिली रफ्तार

खबर सार :-
त्योहारी सीजन में बाजार की रौनक और उपभोक्ताओं की भारी भागीदारी से यह स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लौट रही है। ऑटो, ज्वेलरी और लोकल प्रोडक्ट्स की रिकॉर्ड बिक्री, साथ ही GST 2.0 सुधारों का सकारात्मक असर, इस सीजन को अब तक का सबसे मजबूत बना रहा है। यह ट्रेंड आने वाले महीनों में आर्थिक ग्रोथ को और रफ्तार दे सकता है।

त्योहारी मांग ने बढ़ाई बाजार की रौनक, GST 2.0 सुधारों और शुभ मुहूर्त में डिलीवरी से मिली रफ्तार
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली / मुंबई: भारत में इस साल फेस्टिव सीजन ने देश की अर्थव्यवस्था में एक नई ऊर्जा भर दी है। ऑटोमोबाइल, गोल्ड, सिल्वर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स में रिकॉर्ड बिक्री देखी जा रही है। जीएसटी 2.0 सुधारों और उपभोक्ताओं की सकारात्मक भावनाओं ने बाजार को मजबूती दी है।

सोने-चांदी की रिकॉर्ड बिक्री

धनतेरस के दिन सोने और चांदी की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (GJC) के अनुसार, वैल्यू में करीब 25 प्रतिशत  की वृद्धि दर्ज की गई। GJC अध्यक्ष राजेश रोकड़े का कहना है कि इस बार की त्योहारी बिक्री 50,000 करोड़ से अधिक पार कर सकती है। हल्की हॉलमार्क ज्वेलरी और गोल्ड कॉइन की मांग में जबरदस्त इजाफा देखा गया, वहीं पूजा संबंधित चांदी उत्पादों की मांग में 40% तक की बढ़ोतरी हुई है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी तेजी

धनतेरस और दिवाली पर कार डिलीवरी शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर की जा रही है। टाटा मोटर्स के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी अमित कामत के मुताबिक, इस अवधि में कंपनी 25,000 से अधिक वाहनों की डिलीवरी करने की योजना में है। उन्होंने इसे मजबूत मांग और GST सुधारों के संयुक्त प्रभाव का परिणाम बताया। हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (HMIL) के सीओओ तरुण गर्ग के अनुसार, ग्राहकों से शानदार रिस्पॉन्स मिल रहा है। कंपनी इस बार लगभग 14,000 यूनिट्स की डिलीवरी की उम्मीद कर रही है, जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 20 प्रतिशत अधिक है।

व्यापारिक संगठनों का उत्साह

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, पूरे भारत में इस धनतेरस पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ है। अकेले ज्वेलरी सेगमेंट ने 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दिया। वहीं, दिल्ली जैसे प्रमुख बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन को संभव बनाया।

 

अन्य प्रमुख खबरें