नई दिल्ली: वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत का इक्विटी बाजार मजबूती से अपनी स्थिति बनाए रखेगा। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय इक्विटी बाजार पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव बहुत ही सीमित होगा, और यह भारतीय निवेशकों के योगदान से सुरक्षित रहेगा।
एचएसबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय बाजारों के लिए अभी भी जोखिम कारकों में सुधार हो रहा है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ का भारतीय कंपनियों की आय पर बहुत कम प्रभाव होगा, क्योंकि बीएसई 500 कंपनियों में से केवल 4% कंपनियां ही अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं। रिपोर्ट के अनुसार, फार्मास्युटिकल क्षेत्र को टैरिफ से छूट मिलने से, इन कंपनियों के लिए जोखिम काफी कम हो गया है। इसके साथ ही, एचएसबीसी ने भारतीय बाजारों में घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी की सराहना की। जुलाई में म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए रिकॉर्ड निवेश देखा गया, जो भारतीय इक्विटी बाजार के लिए सबसे मजबूत सहायक साबित हो रहा है।
ब्रोकरेज ने यह भी संकेत दिया कि सरकारी कर प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में कमी के कारण उपभोग की संभावनाएं बेहतर हो रही हैं, जिससे भारतीय बाजारों में स्थिरता बनी रहती है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय बाजार की वृद्धि संभावनाएं फिलहाल सीमित हैं और वेतन वृद्धि में तेजी आने तक व्यापक सुधार की उम्मीद नहीं है।
एचएसबीसी के अनुसार, 2025 में आय वृद्धि 8-9 प्रतिशत तक सीमित रह सकती है, जबकि कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए आय वृद्धि का अनुमान 11 प्रतिशत है। इस बीच, विदेशी निवेशकों की कम भागीदारी के बावजूद भारतीय और चीनी बाजारों में स्थिरता बनी रहेगी, क्योंकि ये दोनों बाजार स्थानीय निवेशकों द्वारा संचालित होते हैं।
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