नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2,000 रुपए से अधिक के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) आधारित लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने की कोई योजना नहीं है। यह बयान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की है। यह स्पष्टीकरण उस समय आया जब कर्नाटक के कई छोटे व्यापारियों को यूपीआई लेनदेन के आंकड़ों के आधार पर जीएसटी नोटिस जारी किए गए, जिससे भ्रम और चिंता का माहौल बना।
वित्त राज्य मंत्री ने आगे कहा कि देश में जीएसटी दरें और छूटें जीएसटी परिषद की सिफारिशों के अनुसार तय होती हैं, और किसी भी नई नीति को लागू करने से पहले परिषद की सहमति आवश्यक होती है। कर्नाटक में नोटिस जारी किए जाने को लेकर विपक्ष और राज्य सरकार के बीच खींचतान तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दावा किया कि ये नोटिस राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी किए गए हैं, न कि केंद्र सरकार द्वारा। उन्होंने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के इस बयान को ‘हास्यास्पद’ बताया कि राज्य की इसमें कोई भूमिका नहीं है। जोशी ने पूछा कि यदि यह केंद्र सरकार का आदेश होता, तो अन्य राज्यों में भी ऐसे नोटिस जाते। लेकिन केवल कर्नाटक में ही यह हो रहा है। उन्होंने इसे राज्य सरकार की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करार दिया।
जीएसटी संरचना के अनुसार, कर प्रणाली दो हिस्सों में बंटी है — केंद्रीय जीएसटी (CGST) और राज्य जीएसटी (SGST)। इस संदर्भ में स्पष्ट किया गया कि कर्नाटक के व्यापारियों को जारी किए गए नोटिस राज्य के अधीनस्थ कर अधिकारियों द्वारा भेजे गए हैं। सरकार के इस स्पष्टीकरण के बाद उम्मीद है कि व्यापारियों के बीच उपजी आशंकाएं दूर होंगी, और डिजिटल भुगतान को लेकर विश्वास बहाल होगा।
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