भारतीय कंपनियों के लिए2028 तक एआई और क्लाइमेट चेंज होंगे बड़ा बिजनेस जोखिम

खबर सार :-
रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारतीय कंपनियों के लिए साइबर अटैक मौजूदा समय का सबसे बड़ा जोखिम है, जबकि 2028 तक एआई और क्लाइमेट चेंज नए प्रमुख खतरों के रूप में उभरेंगे। मजबूत रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम, स्किल्ड वर्कफोर्स और बढ़ती साइबरसिक्योरिटी इंडस्ट्री भारत को सुरक्षा और स्थिरता के नए मार्ग पर ले जा रही है। कंपनियों के लिए रणनीतिक तैयारी अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गई है।

भारतीय कंपनियों के लिए2028 तक एआई और क्लाइमेट चेंज होंगे बड़ा बिजनेस जोखिम
खबर विस्तार : -

Business Risk 2028 भारतीय कंपनियों ने साइबर अटैक और डेटा ब्रीच को मौजूदा समय का सबसे बड़ा बिजनेस जोखिम माना है, जबकि 2028 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और क्लाइमेट चेंज को उभरते हुए भविष्य के जोखिम के रूप में चिन्हित किया है। बुधवार को जारी एऑन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय उद्योग डिजिटल व्यवधान, टैलेंट मैनेजमेंट और तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल के बीच अभूतपूर्व चपलता का प्रदर्शन कर रहा है।

साइबर हमले और डेटा ब्रीच सबसे बड़ा मौजूदा खतरा

एऑन के भारत प्रमुख ऋषि मेहरा के अनुसार, कंपनियों के लिए साइबर अटैक लगातार शीर्ष जोखिम बने हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि 92.9 प्रतिशत भारतीय रेस्पॉन्डेंट्स के पास साइबर अटैक से निपटने के लिए योजनाएं और फॉर्मल रिव्यू मौजूद हैं, जिससे स्पष्ट है कि खतरे की गंभीरता को लेकर उद्योग बेहद सतर्क है। वहीं, प्रॉपर्टी डैमेज के लिए 90.9 प्रतिशत कंपनियों ने भी पूर्व योजना तैयार कर रखी है।

टैलेंट मैनेजमेंट और फाइनेंशियल जोखिमों की चुनौती

रिपोर्ट बताती है कि भारतीय कंपनियों के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। लगभग 55 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स टैलेंट रिटेंशन को अपनी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल कर रहे हैं। फाइनेंशियल जोखिमों में, 63.6 प्रतिशत कंपनियां एक्सचेंज रेट फ्लक्चुएशन से प्रभावित हुई हैं। इसके अलावा, 46.2 प्रतिशत कंपनियों को बिजनेस इंटरप्शन और 77.8 प्रतिशत कंपनियों को प्रॉपर्टी डैमेज से नुकसान हुआ है। कैश फ्लो और लिक्विडिटी संकट भी आधे से अधिक व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम के रूप में उभर रहा है।

रिस्क मैनेजमेंट हो रहा है मजबूत

भारतीय उद्योग तेजी से रिस्क मैनेजमेंट को औपचारिक रूप दे रहा है। लगभग 70 प्रतिशत कंपनियों ने अपनी डेडिकेटेड रिस्क और इंश्योरेंस टीम बना ली है। वहीं 64.9 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स इंश्योरेबल रिस्क की कुल लागत का आकलन कर रहे हैं। यह संकेत देता है कि कंपनियां संभावित खतरों की सटीक पहचान और उनसे बचाव की दिशा में अधिक संगठित रूप से काम कर रही हैं।

भारत बन रहा साइबरसिक्योरिटी का ग्लोबल हब

आईटी मंत्रालय के अनुसार, देश में 400 से अधिक स्टार्टअप्स और 6.5 लाख से अधिक साइबर प्रोफेशनल्स तेजी से बढ़ती 20 अरब डॉलर की साइबरसिक्योरिटी इंडस्ट्री को मजबूती दे रहे हैं। सीईआरटी-इन अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए एक विश्वसनीय साइबर सुरक्षा ढांचा तैयार कर रहा है, जो डिजिटल इंडिया के विजन को समर्थन देता है।

 

 

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