Boycott Turkiye Azarbaijan: भारत से तुर्किये-अजरबैजान जाने के लिए वीजा आवेदनों में 42 प्रतिशत की गिरावट

खबर सार :-
भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान आतंकवाद समर्थित देश पाकिस्तान का साथ देना तुर्किये और अजरबैजान जैसे देशों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। इन देशों की हरकतों ने नाराज भारतीय जनता, व्यापारियों और सरकार ने पाकिस्तान का सहयोग करने वाले देशों को सबक सिखाना शुरू कर दिया है। देश के कई हिस्सों से तुर्किये और अजरबैजान जाने के लिए वीजा का आवेदन करने वालों की संख्या में 42 फीसदी से अधिक की कमी आई है।

Boycott Turkiye Azarbaijan: भारत से तुर्किये-अजरबैजान जाने के लिए वीजा आवेदनों में 42 प्रतिशत की गिरावट
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के दौरान तुर्किये और अजरबैजान के लिए पाकिस्तान का सहयोग करना नुकसान का सौदा साबित हो रहा है। भारत की जनता आतंकवाद समर्थित पाकिस्तान का सहयोग देने वालों का बॉयकाट करने का मन बना लिया है। भारत सरकार ने वर्तमान परिस्थितियों और जनता की मांग को ध्यान में रखकर तुर्किये के खिलाफ कई प्रकार के कड़े फैसले लिए हैं, जिसमें तुर्किये की कंपनी सेबी का सिक्योरिटी क्लीयरेंस रद्द करने का फैसला सबसे अहम है। इसके अलावा अडानी समूह ने सेलेकी के साथ पार्टनरशिप रद्द कर दी। सेब व्यापारियों ने सेब का आय़ात करने से मना कर दिया। जेएनयू ने इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ करार निलंबित कर दिया। अब तुर्किये और अजरबैजान जाने के लिए वीजा का आवेदन करने वालों की संख्या में 42 प्रतिशत की तीव्र गिरावट दर्ज की गई है।

भारत-पाक संघर्ष के दौरान तुर्किये और अजरबैजान दोनों ही देशों ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। हथियार समेत कई जरूरी सुविधाएं मुहैया कराईं, जिसके चलते भारतीयों ने विरोध स्वरूप तुर्किये और अजरबैजान का बॉयकाट शुरू कर दिया है। वीजा प्रॉसेसिंग प्लेटफॉर्म एटलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार, मात्र 36 घंटों के भीतर, वीजा आवेदन प्रक्रिया को बीच में ही छोड़ने वाले यूजर्स की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। एटलिस के संस्थापक और सीईओ मोहक नाहटा के अनुसार तुर्किये और अजरबैजान को लेकर भारतीयों की प्रतिक्रिया तीव्र और व्यवहारिक थी। अब देश के लोगों को कुछ गंतव्यों से बचने के लिए कहने की आवश्यकता नहीं है। वे सहज ज्ञान, जानकारी और विकल्पों तक पहुंच के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं। यह मॉडर्न ट्रैवल को दिखाता है। इसी भावना में हमने भारत के साथ खड़े होकर और राष्ट्रीय भावना के साथ एकजुटता दिखाते हुए तुर्की और अजरबैजान के लिए सभी मार्केटिंग प्रयासों को भी रोक दिया।

दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों का हाल

दिल्ली और मुंबई से आने वाले यात्रियों के बॉयकाट ने तुर्की जाने के लिए आवेदनों में 53 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करवाई, जबकि टियर 2 शहरों की श्रेणी में आने वाले इंदौर और जयपुर से आने वाले यात्रियों की रुचि पर आंशिक प्रभाव पड़ा है, जो केवल 20 प्रतिशत कम हुआ है। वहीं, दूसरी ओर अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करने वाले यात्रियों की प्रकृति में भी बदलाव आया। पारिवारिक यात्राओं सहित ग्रुप वीजा रिक्वेस्ट में लगभग 49 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि सोलो और कपल रिक्वेस्ट में 27 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इससे पता चलता है कि ग्रुप ट्रैवलर्स, जो अक्सर पहले से योजना बनाते हैं और राजनीतिक भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, व्यक्तिगत यात्रियों की तुलना में अधिक निर्णायक रूप से प्रतिक्रिया करते हैं।

युवा वर्ग का निर्णय सराहनीय

एटलिस डेटा ने तुर्किये और अजरबैजान का बॉयकाट करने वालों की उम्र और इरादे के बारे में भी शुरुआती संकेत प्रकट किए हैं। इसमें 25 से 34 वर्ष की आयु के यात्रियों के जल्दी से अपना रास्ता बदलने की संभावना सबसे अधिक थी, जिन्होंने तुर्की के लिए मिड-प्रोसेस एप्लिकेशन गिरावट में 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है। सबसे रोचक बात यह है कि महिला यात्रियों के गंतव्य को पूरी तरह से बदलने की संभावना अधिक थी, जिसमें वियतनाम या थाईलैंड जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लिए आवेदन फिर से शुरू करने की प्रवृत्ति 2.3 गुना अधिक थी। जब तुर्की और अजरबैजान का रुझान कम हुआ, तो वैकल्पिक गंतव्यों की लोकप्रियता में उछाल आया। आंकड़ों से पता चला कि इसके बाद के दिनों में वियतनाम, इंडोनेशिया और मिस्र के लिए आवेदनों में 31 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।

 

 

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