इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वाशिंगटन डीसी स्थित 'व्हाइट हाउस' में दो दिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 'नोबेल शांति पुरस्कार' के लिए नॉमिनेट करने का ऐलान करके सबको चौंका दिया। इस खुलासे को सुनकर ट्रंप भी हैरान हो गए और मुस्कुराते हुए कहा कि मुझे तो मालूम ही नहीं था। नेतन्याहू से पूर्व पाकिस्तान की सरकार ने भी डोनाल्ड ट्रंप को शांति पुरस्कारों से सम्मानित करने का ऐलान किया था, जो निश्चित तौर पर दोनों देशों की अमेरिकी सरकार की कृपा पाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ नोबेल शांति पुरस्कारों की वैश्विक स्तर पर चर्चा होते देख दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी खुद को नहीं रोक पाये। उन्होंने लाइम लाइट में आने के लिए एक बार फिर से नोबेल शांति पुरस्कार पाने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी है। जबकि उन्हें अच्छी तरह से पता है कि शासन और प्रशासन से जुड़े बेहतरीन कार्यों की ऐसी कोई कैटेगरी ही नहीं बनी है, जिसमें किसी को नोबेल पुरस्कार दिया गया हो।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान सोमवार को ट्रंप के शांति प्रयासों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि मैं न सिर्फ इजराइलियों, बल्कि यहूदी समुदाय और दुनियाभर के लाखों प्रशंसकों की तरफ से आपके (ट्रंप) नेतृत्व की तारीफ और सम्मान करता हूं। आपने न सिर्फ 'फ्री वर्ल्ड' का नेतृत्व किया, बल्कि न्याय के पक्ष में शांति और सुरक्षा की दिशा में भी मजबूत कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले ही कई बड़े मौकों पर सकारात्मक भूमिका निभाई है। उन्होंने अब्राहम समझौते को संभव बनाया है। ट्रंप एक के बाद एक दुनिया के कई देशों और क्षेत्रों में शांति स्थापित कर रहे हैं। इसीलिए मैं आपको वह पत्र सौंप रहा हूं, जो मैंने नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा है। इस पत्र में मैंने आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है और यह पूरी तरह से योग्य सम्मान है। वहीं दूसरी तरफ, नामांकन पत्र प्राप्त होने के बाद ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। यह मुझे पता नहीं था। वाह! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। ट्रंप ने मीडिया को बताया कि उन्हें गाजा में जल्द ही सीजफायर होने की उम्मीद है। स्टीव विटकॉफ इसी सप्ताह दोहा की यात्रा पर जा रहे हैं। वहीं, नेतन्याहू भी गुरुवार तक वॉशिंगटन में रहेंगे, जहां उनकी अमेरिकी सांसदों से मुलाकात होगी। इस दौरान हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि गाजा में पूरी तरह से सीज फायर सुनिश्चित किया जाए।
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप अपने बयानों की वजह से सबसे अधिक चर्चा में रहते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ट्रंप की ओर से अपने बयानों में बार-बार बदलाव किया जाना है। इसकी वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति और उनकी बातों की पूरी दुनिया में जो शाख बनी हुई थी, उसको निश्चित तौर पर झटका लगा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर टाइम्स मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में किए गए कामों का जिक्र किया था। इस इंटरव्यू के बाद रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रंप ने साक्षात्कार में 32 ऐसे दावे किए थे, जो पूरी तरह से झूठे और भ्रामक थे। इससे पूर्व 10 मई को ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान कर सबको चौंका दिया था। हैरानी की बात तो यह थी कि सीजफायर का ऐलान ना तो भारत की ओर से हुआ और ना ही पाकिस्तान की ओर से किया गया। इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर होने का ऐलान कर दिया, लेकिन इसके कुछ ही दिनों के बाद वह सीजफायर कराने के अपने दावे से मुकर गए थे।
वॉशिंगटन पोस्ट की हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट का जिक्र करना बहुत जरूरी है, जिसके अनुसार डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उन्होंने अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर टाइम्स मैगजीन को जो साक्षात्कार दिया था, उसमें ट्रंप ने 32 ऐसे दावे किए थे, जो पूरी तरह से झूठे और भ्रामक थे। रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति के तौर पर पहला कार्यकाल भी झूठ से भरा हुआ था। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2017 से जनवरी 2021 के बीच 30,573 झूठ बोले थे। इस तरह उन्होंने रोजाना औसतन 21 झूठे दावे किए थे। वहीं दूसरी तरफ, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सबसे प्रमुख और मजबूत समर्थक की भूमिका निभाने वाले अरबपति कारोबारी और स्टारलिंक कंपनी के सीईओ एलन मस्क भी ट्रंप से नाराज हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में मिला डीओजीई का पद छोड़ दिया और ‘अमेरिका पार्टी’ के नाम से नई राजनीतिक पार्टी बना ली है। एलन मस्क ने अमेरिका में चुनावों के दौरान डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए 30 करोड़ डालर का योगदान दिया था, लेकिन सरकार में शामिल होने के बाद ट्रंप ने उनकी सलाह को कोई अहमियत नहीं दी, जिसकी वजह से एलन मस्क ने ट्रंप का साथ छोड़ दिया। अब ऐसे में पाकिस्तान और इजराइल की ओर से डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट करने की मंशा को बखूबी समझा जा सकता है।
अब बात करते हैं, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की, जिन्होंने राजनीति में आने के बाद खुद को आम इंसान के रूप में जमकर प्रचारित किया और अपनी पार्टी का नाम भी ‘आम आदमी पार्टी’ रखा, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनके तेवर पूरी तरह से बदल गये और वो खुद को ‘आम’ से ‘खास’ समझने लगे। उन्होंने वो सब कुछ किया, जो सत्ता में आने से पूर्व कभी नहीं करने का दावा करते थे। दिल्ली में मुख्यंत्री रहने के दौरान अरविंद केजरीवाल ने सारी वीआईपी सुविधाएं लीं। उन्होंने अपने लिए शीश महल बनवाया, उनकी सरकार के पांच से अधिक मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और वे जेल गये, अरविंद केजरीवाल खुद भी मुख्यमंत्री रहते जेल गये, विधानसभा में खुद को दिल्ली की जनता का भगवान बताकर सुर्खियां बटोरीं, मुख्यमंत्री आवास में आप नेत्री व राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की गई। इसके बाद जब वर्ष 2025 में विधानसभा का चुनाव हुआ तो दिल्ली की जनता ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया। तब भी वे सरकारी बंगला छोड़ने को राजी नहीं थे। खूब पैंतरेबाजी की लेकिन शीशमहल हाथ से चला गया। अब अरविंद केजरीवाल पंजाब में सेटल हो गये हैं, वहां पंजाब की सरकार और राजनीति में अपना पूरा दखल दे रहे हैं, लेकिन जब भी कोई बड़ा राजनीतिक मुद्दा उठता है, तो बहती गंगा में अपना हाथ धोने से खुद को रोक नहीं पाते हैं।
अरविंद केजरीवाल का नोबेल पुरस्कारों को लेकर बयानबाजी करना भी लाइम लाइट में आने का एक मौका माना जा रहा है। केजरीवाल इससे पहले भी नोबेल पुरस्कार की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। इस बार उन्होंने पंजाब के मोहाली में एक बुक लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री भगवंतमान और अपनी पार्टी के नेताओं की मौजूदगी में यह इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जितने दिन हमारी सरकार रही, हमें काम करने नहीं दिया गया, फिर भी हमने काम करके दिखाया। इसलिए ऐसा लगता है कि मुझे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। केजरीवाल ने नोबेल पुरस्कारों को पाने की अपनी इच्छा पहली बार 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान जाहिर की थी। जब उन्होंने कहा था कि 'एलजी दिल्ली सरकार के कामों में अड़ंगा लगाते हैं और बावजूद इसके इतने सारे काम कर दिए हैं कि मुझे नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। जबकि, अब तक अरविंद केजरीवाल के लिए नोबेल पुरस्कारों को लेकर किसी भी तरह का कोई नॉमिनेशन नहीं किया गया है।
नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 1901 में अल्फ्रेड नोबेल की याद में की गई थी। अब तक यह प्राइज अलग-अलग कैटगरी में 627 बार 1012 लोगों और संगठनों को दिया जा चुका है। इनमें कुछ कैटेगरी में एक से ज्यादा बार नोबेल पुरस्कार मिलने के साथ ही कुल 976 लोगों और 28 संगठनों को नोबेल पुरस्कार मिले हैं। फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मेडिसिन, लिट्रेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस जैसे छह कैटगरी में नोबेल दिए जाते हैं। मसलन, अरविंद केजरीवाल जिस कैटगरी के लिए अपनी इच्छा जाहिर कर रहे हैं, उस कैटगरी में नोबेल पुरस्कार अब तक किसी को नहीं दिया गया है।
अन्य प्रमुख खबरें
Trump Threatens Russia: रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी में डोनाल्ड ट्रंप
PM Modi Namibia Visit: नामीबिया में पीएम मोदी का जोरदार स्वागत, 21 तोपों की दी गई सलामी
लंदन में गूंजा भारत का समुद्री विजन, भारत बनेगा जहाज निर्माण में अग्रणी
Rafale Fake News : राफेल पर पाक-चीन की साजिश का खुलासा, डसॉल्ट एविएशन ने फर्जी दावों को किया खारिज
अमेरिका से भारतीय टीम की नहीं बनी बात, दल के लोग लौटे देश
नगर निगम ने किया सेवानिवृत्त कर्मचारियों का सम्मान, महापौर ने दी शुभकामनाएं
SCO Summit China : कैलाश यात्रा की बहाली और LAC गतिरोध: राजनाथ सिंह ने चीन से की सीधी बात
राजनाथ की गर्जना सुन कांप उठे पाक के रक्षामंत्री, फेल हुई चीन की चालबाजी
Israel-Iran War: ये कैसा सीजफायर ! ट्रंप के ऐलान के बाद ईरान ने फिर इजरायल पर दागीं कई मिसाइलें