SCO Summit China : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में चीन के क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में अपने चीनी समकक्ष, एडमिरल डोंग जून से मुलाकात कर बात की। यह बैठक भारत-चीन संबंधों में मौजूदा सकारात्मक गति को बनाए रखने और भविष्य में किसी भी नई जटिलता से बचने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एडमिरल डोंग जून के बीच हुई इस बैठक को रचनात्मक और दूरदर्शी बताया जा रहा है। दोनों नेताओं ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लगभग छह साल बाद फिर से शुरू होने पर राजनाथ सिंह ने खुशी जताई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को मिलकर काम करने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। ताकि संबंधों में बनी सकारात्मक और गति बरकरार रहे। इसके साथ ही आने वाली मुसीबतों से बचा जा सके और नई चुनौतियों का सामना आपसी सामजंस स किया जा सके।
राजनाथ सिंह ने चीनी समकक्ष से कहा कि भारत और चीन को अपने द्विपक्षीय संबंधों में बनी सकारात्मकता को बनाए रखना जरूरी है और नई जटिलताओं से बचना की सलाह दी। यह महत्वपूर्ण बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन से इतर, चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ में हुई।
यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध को खत्म करने के प्रयास कर रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में एक समझौते के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से स्थापित करने की कोशिशें चल रही हैं।
चीन की ओर से जारी बयान के अनुसार, रक्षा मंत्री सिंह ने एडमिरल डोंग जून के साथ अपनी बैठक में स्पष्ट किया कि भारत चीन के साथ किसी भी तरह का संघर्ष या टकराव नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत मतभेदों को उचित तरीके से सुलझाने, संवाद बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के सतत विकास के लिए आपसी विश्वास को बढ़ावा देने का इच्छुक है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भी राजनाथ सिंह की इस किंगदाओ यात्रा का एक अहम पहलू रही। यह यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी और उसके बाद पूर्वी लद्दाख में स्।ब् पर सैन्य गतिरोध के कारण निलंबित कर दी गई थी।
चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का हिंदुओं के साथ-साथ जैन और बौद्ध धर्मों में भी अत्यधिक धार्मिक महत्व है।
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था, और उसी साल जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों में तनाव ला दिया था। हालांकि, पिछले वर्ष 21 अक्टूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग जैसे अंतिम दो टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।
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