नई दिल्लीः भारत ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 32-बिट स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर 'विक्रम' का निर्माण कर दिया है। यह चिप, जिसे इसरो की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL) ने विकसित किया है, देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह चिप केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को भेंट की।
'विक्रम' चिप का प्रमुख उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष मिशनों को बढ़ावा देना है, क्योंकि इसे स्पेस लॉन्च व्हीकल्स के लिए कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह चिप भारत की सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आयातित चिप्स पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
'विक्रम' चिप का विकास इसरो की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL) द्वारा किया गया है, जो पहले से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए उन्नत चिप्स डिजाइन करती रही है। इस चिप का डिजाइन इस तरह से किया गया है कि यह उन्नत और कठिन पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी बेहतरीन कार्य क्षमता प्रदान कर सके। इस चिप को भारत के विभिन्न अंतरिक्ष मिशनों में उपयोग किया जा सकेगा, जो भारतीय स्पेस प्रोग्राम की क्षमता को और बढ़ाएगा।
यह चिप 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जो पहले से उपलब्ध आयातित चिप्स की तुलना में अधिक उपयुक्त और प्रभावी है। 'विक्रम' चिप में त्वरित गति, उच्च शक्ति, और बेहतर विश्वसनीयता जैसे गुण मौजूद हैं। इस चिप की तकनीकी क्षमता, भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर मार्केट में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगी, जिससे देश की समग्र तकनीकी अवसंरचना में सुधार होगा।
भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 2025 तक 'सेमीकॉन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत भारत ने पहले ही पांच सेमीकंडक्टर इकाइयों के निर्माण के लिए मंजूरी दे दी है। इनमें सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट्स (FABs), 3D हेटेरोजेनस पैकेजिंग, और आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं। इसके अलावा, 280 से अधिक शैक्षिक संस्थानों और 72 स्टार्ट-अप्स को उन्नत सेमीकंडक्टर टूल्स और तकनीकी सहायता प्रदान की गई है। भारत के इस प्रयास से न केवल घरेलू चिप निर्माण में वृद्धि होगी, बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर चेन में भी भारत का स्थान मजबूत होगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी दृष्टिकोण का परिणाम है। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि अब भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में वैश्विक विश्वास मिल रहा है। 'सेमीकॉन इंडिया 2025' कार्यक्रम भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की तीव्र प्रगति को दर्शाता है। इस कार्यक्रम के दौरान आयोजित पैनल चर्चाओं और सम्मेलन में विभिन्न प्रमुख वैश्विक कंपनियाँ, जैसे एप्लाइड मैटेरियल्स, एएसएमएल, और माइक्रोन जैसी कंपनियाँ भाग ले रही हैं। इन कंपनियों की भागीदारी से भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग में नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। कार्यक्रम के दौरान, 'कार्यबल विकास मंडप' भी स्थापित किया गया है, जो माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में करियर के अवसरों को बढ़ावा देगा और नई प्रतिभाओं को आकर्षित करेगा।
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