साइबर हब से भारत के नागरिकों को खतरा: रिपोर्ट

खबर सार :-
म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहा ऑनलाइन धोखाधड़ी का नेटवर्क भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा बना हुआ है। केके पार्क जैसे केंद्रों पर कार्रवाई उम्मीद जगाती है, लेकिन इन अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्कों को खत्म करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग, मजबूत साइबर सुरक्षा और नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। भारत को इस खतरे से चौकन्ना रहना होगा।

साइबर हब से भारत के नागरिकों को खतरा: रिपोर्ट
खबर विस्तार : -

Cyber Alert: म्यांमार में साइबर अपराधियों पर चल रही सख्त कार्रवाई के बीच भारत के लिए खतरा अभी टला नहीं है। इंडिया नैरेटिव की एक रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के कायिन राज्य, वा क्षेत्र और चीन-म्यांमार की सीमावर्ती पट्टी में सक्रिय कई साइबर घोटाला केंद्र भारतीय नागरिकों को फर्जी ऑनलाइन नौकरी के विज्ञापनों के जरिए फंसा रहे हैं। इन केंद्रों तक म्यांमार की केंद्र सरकार की पहुंच बेहद सीमित है।

फर्जी जॉब ऑफर से शुरू होता है जाल

इन घोटाला केंद्रों में लोगों को अच्छी सैलरी का लालच देकर बुलाया जाता है, फिर उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है। उन्हें क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी, ऑनलाइन ठगी और रोमांस स्कैम में जबरन शामिल किया जाता है। रिपोर्ट में बताया गया कि नई दिल्ली, बीजिंग और बैंकॉक ने म्यांमार की राजधानी नेपीता से इस अवैध नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

केके पार्क बना साइबर अपराध का गढ़

म्यांमार के सैन्य सूचना मंत्रालय ने खुलासा किया कि सेना ने पिछले पांच वर्षों से साइबर अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी का पर्याय बन चुके केके पार्क को मुक्त करा लिया है। इस अभियान में 2,000 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया और 30 स्टारलिंक सैटेलाइट टर्मिनल जब्त किए गए।

भारत के लिए चिंता की बात

ये साइबर हब भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2024 तक दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित साइबर ठिकानों से लगभग 300 भारतीय नागरिकों को बचाया गया था। बाद में थाईलैंड के रास्ते करीब 540 लोगों को वापस लाया गया।

सशस्त्र समूह और भ्रष्टाचार से पनप रहा नेटवर्क

रिपोर्ट में बताया गया है कि कायिन राज्य में सशस्त्र समूहों के नियंत्रण, भ्रष्टाचार और विदेशी अपराधी निवेश के चलते यह इलाका साइबर अपराध का अड्डा बन गया है। हालांकि, म्यांमार की सेना की हालिया कार्रवाई पड़ोसी देशों के लिए संकेत है कि वह सीमाओं पर नियंत्रण बढ़ाने और आपराधिक गतिविधियों को रोकने की क्षमता रखती है।

अभी बनी हुई हैं कई चुनौतियां

विशेषज्ञों का कहना है कि इन ठिकानों के पीछे मौजूद अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क अब भी सक्रिय हैं और वे सीमा पार तस्करी, क्रिप्टो-धोखाधड़ी और मानव शोषण में गहराई से जुड़े हुए हैं। ऐसे में भारत को अपनी साइबर सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता अभियानों को और मजबूत करना होगा।

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