स्मार्ट पोर्टेबल डिटेक्शन तकनीक की बड़ी सफलता, पानी और भोजन में कीटनाशक पकड़ना संभव

खबर सार :-
आईआईटी मद्रास और पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा विकसित स्मार्ट एमडीडी डिवाइस कीटनाशक पहचान तकनीक में क्रांतिकारी प्रगति है। यह तेज़, सटीक, किफायती और पोर्टेबल समाधान पानी, भोजन और मिट्टी में मौजूद खतरनाक कीटनाशकों का तुरंत पता लगाने में सक्षम है। यह शोध किसानों, खाद्य सुरक्षा संगठनों और पर्यावरण एजेंसियों के लिए नई संभावनाएं खोलता है तथा जनस्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत बनाता है।

स्मार्ट पोर्टेबल डिटेक्शन तकनीक की बड़ी सफलता, पानी और भोजन में कीटनाशक पकड़ना संभव
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और पंजाब विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक अत्याधुनिक पोर्टेबल, स्वचालित ऑप्टिकल डिवाइस तैयार किया है, जो पानी, भोजन और पर्यावरण में मौजूद कीटनाशकों का त्वरित पता लगाने में सक्षम है। यह तकनीक विशेष रूप से ऑर्गनोफॉस्फेट आधारित कीटनाशक मैलाथियान की पहचान करने में उच्च दक्षता दिखाती है।

कीटनाशकों के अवशेष अक्सर बेहद कम मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन उनका प्रभाव मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर अत्यंत गंभीर हो सकता है। पारंपरिक प्रयोगशाला परीक्षण न केवल महंगे होते हैं, बल्कि समय लेने वाले और जटिल भी होते हैं। इन्हें संचालित करने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। ऐसे में यह नया उपकरण एक किफायती, तेज़ और उपयोगकर्ता-अनुकूल समाधान प्रदान करता है। यह शोध विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के प्रौद्योगिकी विकास एवं हस्तांतरण कार्यक्रम द्वारा समर्थित है।

कैसे काम करता है यह ‘स्मार्ट MDD’ डिवाइस?

नया स्मार्ट मैलाथियान डिटेक्शन डिवाइस (Smart MDD) एक उन्नत कलरमेट्रिक डिटेक्शन सिस्टम का उपयोग करता है। इसमें विशेष प्रकार के एप्टामर अणुओं को स्वर्ण नैनोकणों (AuNPs) के साथ जोड़ा गया है। ये संरचनाएं मैलाथियान को पहचानने के लिए विशिष्ट रूप से डिज़ाइन की गई हैं। जैसे ही मैलाथियान इन नैनोकणों के संपर्क में आता है, समाधान का रंग लाल से नीला हो जाता है। यह परिवर्तन कीटनाशक की उपस्थिति का स्पष्ट संकेत देता है। डिवाइस का इन-बिल्ट ऑप्टिकल सिस्टम इस रंग-परिवर्तन को सटीक रूप से मापता है और परिणाम तुरंत उपलब्ध कराता है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि इस प्रक्रिया में मैनुअल हैंडलिंग की आवश्यकता लगभग समाप्त हो जाती है, जिससे त्रुटियों की संभावना कम और विश्वसनीयता अधिक हो जाती है। यह निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल रिव्यू ऑफ साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स में प्रकाशित हुआ है।

किसानों, एजेंसियों और पर्यावरण नियामकों के लिए बड़ी राहत

आईआईटी मद्रास की प्रो. सुजाता नारायणन उन्नी ने बताया कि यह तकनीक किसानों, खाद्य सुरक्षा एजेंसियों और पर्यावरण विभागों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो सकती है। कीटनाशक अवशेष सिंचाई के पानी, कृषि उपज और मिट्टी—सभी में मिल सकते हैं, जो स्वास्थ्य और उत्पादन गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। यह डिवाइस सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को कम करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह जल स्रोतों में कीटनाशकों के प्रवाह की निगरानी के लिए भी महत्वपूर्ण साधन बन सकता है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ी चुनौती है। शोध टीम लगभग 250 पिकोमोलर (pmol) तक की अत्यंत सूक्ष्म सांद्रता का पता लगाने में सफल रही, जो पोर्टेबल उपकरणों में बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। वर्तमान में इसका लैब-टेस्टिंग चल रहा है, और जल्द ही इसे फलों, सब्जियों तथा खेतों के जल स्रोतों की वास्तविक नमूना जांच में उपयोग करने की योजना है।

आने वाले समय में और कीटनाशकों का पता लगाने की क्षमता

पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. रोहित कुमार शर्मा ने बताया कि टीम इस प्लेटफ़ॉर्म को भविष्य में और अधिक कीटनाशकों की पहचान करने में सक्षम बनाने पर काम कर रही है। इससे सतत कृषि प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और पर्यावरण निगरानी को एक नई दिशा मिलेगी। यह तकनीक भारत में कीटनाशक प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

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