साइबर ठगी पर डीओटी का बड़ा प्रहार, एफआरआई से 6 महीने में 660 करोड़ रुपए के फ्रॉड पर कसी नकेल

खबर सार :-
एफआरआई सिस्टम ने साबित कर दिया है कि तकनीक और जन भागीदारी मिलकर साइबर ठगी पर प्रभावी नियंत्रण कर सकती है। डीओटी, आरबीआई और एनपीसीआई के साझा प्रयासों से डिजिटल लेनदेन ज्यादा सुरक्षित हो रहे हैं। अगर नागरिक संचार साथी जैसे प्लेटफॉर्म का अधिक उपयोग करें, तो साइबर अपराध पर और भी सख्ती से लगाम लगाई जा सकती है।

साइबर ठगी पर डीओटी का बड़ा प्रहार, एफआरआई से 6 महीने में 660 करोड़ रुपए के फ्रॉड पर कसी नकेल
खबर विस्तार : -

Digital Fraud: देश में बढ़ती साइबर ठगी के खिलाफ दूरसंचार विभाग (डीओटी) को बड़ी सफलता मिली है। फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (एफआरआई) नामक विशेष प्रणाली ने लागू होने के महज छह महीनों में ही करीब 660 करोड़ रुपये की साइबर ठगी को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। यह सिस्टम डिजिटल भुगतान और बैंकिंग से जुड़े फ्रॉड को समय रहते पहचानने में सक्षम है, जिससे ठगी होने से पहले ही अलर्ट जारी किया जा रहा है।

एफआरआई सिस्टम कैसे करता है काम

एफआरआई एक ऐसा इंटेलिजेंट सिस्टम है, जो संदिग्ध लेनदेन, फर्जी कॉल और साइबर ठगी के पैटर्न को पहचानता है। यह बैंकों और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म को संभावित जोखिम की जानकारी पहले ही दे देता है। इससे लेनदेन को रोका जा सकता है या अतिरिक्त जांच की जा सकती है। इसी वजह से बीते छह महीनों में सैकड़ों करोड़ रुपये के फ्रॉड पर लगाम लग पाई है।

आरबीआई और एनपीसीआई का सहयोग

एफआरआई को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) का पूरा समर्थन मिल रहा है। इनके सहयोग से बैंकों, वित्तीय संस्थानों और डिजिटल पेमेंट कंपनियों को एक साझा प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है। डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) के माध्यम से सूचनाओं का तेजी से आदान-प्रदान हो रहा है, जिससे साइबर ठगी के मामलों में तुरंत कार्रवाई संभव हो सकी है।

हजार से ज्यादा संस्थान जुड़े

डीओटी के अनुसार अब तक 1,000 से अधिक बैंक, पेमेंट कंपनियां और थर्ड पार्टी ऐप्स डीआईपी से जुड़ चुके हैं। ये सभी एफआरआई का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं। इसका सीधा फायदा यह हुआ है कि संदिग्ध गतिविधियों की पहचान पहले ही हो जाती है और आम लोगों के पैसों को सुरक्षित रखा जा रहा है।

प्रशिक्षण और जागरूकता पर जोर

संचार मंत्रालय ने बताया कि एफआरआई के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 16 प्रशिक्षण सत्र पूरे हो चुके हैं, जिनमें बैंकों और संस्थानों को सिस्टम के बेहतर उपयोग की जानकारी दी गई है।

जन भागीदारी से बढ़ी ताकत

आज साइबर अपराध तेजी से बदल रहे हैं। ठग डिजिटल गिरोह बनाकर फर्जी कॉल, डिजिटल अरेस्ट स्कैम और अवैध नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में जन भागीदारी अहम साबित हो रही है। संचार साथी प्लेटफॉर्म के जरिए लोग संदिग्ध कॉल, फर्जी कनेक्शन और खोए मोबाइल की जानकारी सरकार को दे रहे हैं, जिससे एफआरआई और मजबूत हो रहा है।

अन्य प्रमुख खबरें