डेंगू को लेकर बरतें एहतियात, स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से की अपील

खबर सार :-
बारिश के बाद मौसमी बीमारियों के साथ-साथ डेंगू का प्रकोप भी लगातार बढ़ रहा है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से एहतियात बरतने की अपील की है। साथ ही, जिला कलेक्टर डॉ. मंजू ने जिला स्तर के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर डेंगू के मरीजों की विशेष देखभाल के निर्देश भी दिए हैं।

डेंगू को लेकर बरतें एहतियात, स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से की अपील
खबर विस्तार : -

श्रीगंगानगरः श्रीगंगानगर का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग डेंगू के प्रति जागरूकता बढ़ाने और नियंत्रण हेतु प्रभावी कदम उठा रहा है। जिला प्रशासन के निर्देशन में अन्य विभाग भी इस प्रयास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग डेंगू और मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए नियमित गतिविधियाँ चला रहा है। जिले में डेंगू के मामलों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए, जिला कलेक्टर डॉ. मंजू ने जिला स्तरीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने जनता से सतर्क रहने, स्वच्छता बनाए रखने और मौसमी बीमारियों से बचने की भी अपील की है।

लापरवाही बन सकती है जानलेवा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय सिंगला ने बताया कि डेंगू बुखार को "हड्डी तोड़ बुखार" भी कहा जा सकता है, क्योंकि इससे प्रभावित व्यक्ति को बुखार के साथ हड्डियों में तेज दर्द होता है। शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है, जिससे डेंगू और सामान्य बुखार के लक्षणों में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इस बुखार के इलाज में थोड़ी सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए, सतर्क और सावधान रहना बेहद जरूरी है। डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है, जो साफ पानी में पनपता है। मच्छर के काटने के लगभग तीन से पांच दिन बाद मरीजों में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। डेंगू फैलाने वाले एडीज़ मच्छर को पूरी तरह से खत्म करना नामुमकिन है। यह सबसे गर्म वातावरण में भी जीवित रह सकता है। इसके अंडे नंगी आँखों से दिखाई नहीं देते, जिससे इसे मारना मुश्किल हो जाता है। पानी के संपर्क में आने पर, अंडे से लार्वा निकलता है, जो बाद में एक वयस्क मच्छर में विकसित होता है।

डेंगू बुखार के लक्षण

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सिंगला के अनुसार, इसके लक्षणों में सर्दी के बाद अचानक तेज़ बुखार, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आँखों के पीछे दर्द, अत्यधिक कमज़ोरी, भूख न लगना, जी मिचलाना और मुँह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का दर्द और शरीर, खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी चकत्ते पड़ना शामिल हैं। डेंगू का गलत इलाज जानलेवा हो सकता है, इसलिए झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने के बजाय, नज़दीकी चिकित्सा केंद्र से इलाज करवाना चाहिए।

मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए क्या करें

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय सिंगला ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए मच्छरों के प्रजनन को रोकें और खुद को उनके काटने से बचाएँ। कहीं भी जमा पानी जमा होने से बचें; साफ पानी भी गंदे पानी जितना ही खतरनाक होता है, क्योंकि एडीज़ मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। पानी को पूरी तरह से ढककर रखें। दिन में एक बार मिट्टी के तेल का छिड़काव करें या कूलर, बाथरूम और रसोई में पानी जमा होने वाली जगहों की नियमित सफाई करें। कूलर का पानी रोज़ाना बदलें। टूटे हुए डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि छत पर न छोड़ें और न ही उन्हें उल्टा रखें। पानी की टंकियों को कसकर बंद रखें। घर के अंदर सभी जगहों पर हफ़्ते में एक बार मच्छर भगाने वाली दवा का छिड़काव करें।

डेंगू बुखार से बचाव

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सिंगला ने घर के बाहर लंबी बाजू की शर्ट, जूते, मोज़े और फुल पैंट पहनने की सलाह दी। बच्चों को इस बारे में विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। मच्छर गहरे रंगों की ओर आकर्षित होते हैं, इसलिए हल्के रंग के कपड़े पहनें। तेज़ गंध वाले परफ्यूम से बचें, क्योंकि मच्छर किसी भी तेज़ गंध की ओर आकर्षित होते हैं। कमरे में मच्छर भगाने वाले स्प्रे, मैट, कॉइल आदि का इस्तेमाल करें। मच्छर भगाने वाली दवा जलाते समय सावधानी बरतें। इन्हें जलाने के बाद, कमरे को एक या दो घंटे के लिए बंद कर दें।

जिले में चल रही गतिविधियाँ

सीओआईईसी विनोद बिश्नोई ने बताया कि 73 डीबीसी कार्यकर्ता, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जिले के नौ ब्लॉकों और छह यूपीएचसी में लार्वा-रोधी गतिविधियाँ चला रहे हैं। 534 टीमें घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं और जन जागरूकता बढ़ा रही हैं। 1 जनवरी, 2025 से 24 अक्टूबर, 2025 तक, जिले में डेंगू के 116 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 203 मामले दर्ज किए गए थे। इसके अतिरिक्त, मलेरिया के सात और स्क्रब टाइफस का एक मामला सामने आया है। विभाग एहतियाती उपायों को गंभीरता से ले रहा है।

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