विश्व पर्यटन दिवस: रानी लक्ष्मीबाई की नगरी झाँसी को पर्यटन हब बनाने की तैयारी

खबर सार :-
विश्व पर्यटन दिवस पर, रानी लक्ष्मीबाई की नगरी झाँसी को पर्यटन हब बनाने के प्रयास तेज हो गए हैं। मूलभूत सुविधाओं का विस्तार, हेरिटेज होटल विकास और नए आकर्षणों (जैसे मेजर ध्यानचंद म्यूजियम, बोट क्लब) पर जोर है, ताकि पर्यटक यहाँ रात्रि विश्राम करें और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।

विश्व पर्यटन दिवस: रानी लक्ष्मीबाई की नगरी झाँसी को पर्यटन हब बनाने की तैयारी
खबर विस्तार : -

झाँसी: आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बुंदेलखंड क्षेत्र में पर्यटन विकास को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। विशेष रूप से, वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की नगरी झाँसी में पर्यटकों को आकर्षित करने और उन्हें रात्रि विश्राम के लिए रोकने हेतु शासन-प्रशासन और पर्यटन विभाग द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। वर्तमान में, बुंदेलखंड संभाग में ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का विशाल भंडार है। पर्यटक यहाँ रानी लक्ष्मीबाई का ऐतिहासिक किला देखने ज़रूर आते हैं, लेकिन विश्व स्तरीय सुविधाओं की कमी के कारण वे झाँसी में न रुककर सीधे मध्य प्रदेश के खजुराहो पहुँच जाते हैं। इस स्थिति को बदलने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं।

मूलभूत सुविधाओं का विस्तार और नए आकर्षण

झाँसी में पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत महारानी लक्ष्मीबाई पार्क में स्पेस म्यूजियम और मेजर ध्यानचंद म्यूजियम स्थापित किए गए हैं। राजकीय संग्रहालय का पूरी तरह से डिजिटलीकरण किया गया है। झाँसी से लगे हुए बिजौली तालाब और गढ़मऊ झील को भी पर्यटकों के लिए सजाने-संवारने की योजना है। बरुआ सागर में स्थित ऐतिहासिक किले को लगभग 1 करोड़ रुपये की लागत से हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया गया है। यह होटल वैवाहिक सहित अन्य आयोजनों, ठहरने, खाने-पीने और आयोजन की सुविधा प्रदान करेगा, साथ ही पार्किंग पर भी ध्यान दिया गया है। भविष्य में रघुनाथ राव महल को भी हेरिटेज होटल बनाने की योजना है।

धार्मिक और आध्यात्मिक सर्किट का विकास
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए झाँसी जिले के कई महत्वपूर्ण स्थलों का विकास किया जा रहा है, जिनमें मऊरानीपुर का केदारेश्वर मंदिर, ऐरच का मडिया घाट, गरौठा का राम जानकी मंदिर, झाँसी के सखी के हनुमान मंदिर और लहर की देवी मंदिर, पारीक्षा का उपली बौद्ध विहार, और बामोर का बुद्ध विहार विपश्यना केंद्र शामिल हैं।

औद्योगिक और स्पोर्ट्स टूरिज्म की संभावनाएँ

पर्यटन के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ते हुए, लहर गिर्द स्थित मेजर ध्यानचंद की पहाड़ी के पर्यटन विकास की तैयारी भी की जा रही है। यहाँ मेजर ध्यानचंद की स्टैचू स्थापित है, जिसके चारों ओर सीढ़ियाँ, छतरी, टाइल्स और रेलिंग का कार्य कराया जाना है। भविष्य में लहर की माता मंदिर से इस पहाड़ी तक रोपवे चलाने की भी योजना है। इसके अलावा, झाँसी महानगर से सटे क्षेत्र को बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने अधिग्रहित किया है, और गरौठा तथा ऐरच के आसपास डिफेंस कॉरिडोर भी बनाया जा रहा है। इन विकास कार्यों के पूरा होने के बाद, क्षेत्र में औद्योगिक पर्यटन में भी काफी बढ़ोतरी की संभावना है।

सहभागिता और भविष्य की योजना

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बरुआ सागर के नोट घाट में एक बोट क्लब शुरू किया गया है जहाँ नौकायन की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही, युवा पर्यटन क्लब गठित किए गए हैं जो पर्यटन स्थलों पर स्वच्छता, संरक्षण और संवर्धन के लिए जागरूकता फैला रहे हैं। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी श्री डीके शर्मा ने कहा, "बुंदेलखंड में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं। पर्यटक यहाँ रुकें, इसके लिए तमाम योजनाएं बनाई गई हैं। वह दिन दूर नहीं जब पर्यटक झाँसी में ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, जिससे यह क्षेत्र पर्यटन हब के रूप में अपनी पहचान बनाएगा।" यह प्रयास झाँसी को केवल एक ट्रांजिट पॉइंट से बदलकर एक गंतव्य (डेस्टिनेशन) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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