यूपी में फर्जी डिग्री रैकेट मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, 16 ठिकानों पर छापेमारी

खबर सार :-
फर्जी डिग्री रैकेट मामले में ईडी की यह कार्रवाई शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों पर सख्त प्रहार है। जांच एजेंसियों का उद्देश्य न केवल दोषियों को सजा दिलाना है, बल्कि छात्रों के हितों की रक्षा करना भी है। आने वाले दिनों में यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में शिक्षा क्षेत्र की पारदर्शिता के लिए मिसाल बन सकती है।

यूपी में फर्जी डिग्री रैकेट मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, 16 ठिकानों पर छापेमारी
खबर विस्तार : -

ED Raid: उत्तर प्रदेश के हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी से जुड़े फर्जी डिग्री रैकेट मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की। लखनऊ जोन की टीम ने हापुड़, उन्नाव और आसपास के जिलों में कुल 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। जिन ठिकानों पर कार्रवाई हुई, उनमें मोनाड यूनिवर्सिटी का मुख्य परिसर, उन्नाव का सरस्वती मेडिकल कॉलेज, और मुख्य आरोपी से जुड़े कई आवासीय व व्यावसायिक पते शामिल हैं।

मोनाड यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज पर ईडी की दबिश

सूत्रों के अनुसार, ईडी ने छापेमारी के दौरान यूनिवर्सिटी के अकादमिक रिकॉर्ड, एडमिशन से जुड़े दस्तावेज, फीस ट्रांजेक्शन, डिजिटल डेटा और बैंक खातों की गहन जांच की। जांच एजेंसी को शक है कि इन संस्थानों के माध्यम से फर्जी डिग्रियां जारी की गईं और इस पूरे नेटवर्क के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए छिपाया गया।

मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह ‘हुड्डा’ जेल में बंद

इस मामले का मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह उर्फ हुड्डा वर्तमान में जेल में है। विजेंद्र सिंह एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है और 2024 लोकसभा चुनाव में बिजनौर सीट से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जहां उसे 2.18 लाख वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहा। जांच एजेंसियों का आरोप है कि हुड्डा और उसके सहयोगियों ने मोनाड यूनिवर्सिटी के नाम पर एक संगठित रैकेट चलाया, जिसके जरिए फर्जी डिग्रियां बनाकर देश के विभिन्न हिस्सों में बेची गईं। कई आरोपी पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हैं और कुछ पर चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। अब ईडी इस मामले की आर्थिक परतों की जांच कर रही है—यह पता लगाने के लिए कि फर्जी डिग्री से कमाए गए पैसे को किन माध्यमों से वैध दिखाया गया।

हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर

माना जा रहा है कि इस रैकेट के दायरे में कई राज्यों के हजारों छात्र आ सकते हैं। इन छात्रों ने या तो अनजाने में फर्जी डिग्री हासिल की या फिर इस नेटवर्क का हिस्सा बने दलालों के जरिए प्रभावित हुए। यदि जांच में प्रमाणिकता न मिलने पर डिग्रियां रद्द की जाती हैं, तो छात्रों के करियर पर गहरा असर पड़ सकता है। ईडी अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में एजेंसी मनी ट्रेल और संबंधित सरकारी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर सकती है।

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