कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को 12 साल पुराने केस में मिली सजा

खबर सार :-
कांग्रेस नेता प्रदीप जैन आदित्य और उनके साथ 13 लोगों को 12 साल पुराने एक मामले में कोर्ट ने 2 साल कैद की सजा सुनाई है। बता दें कि बुंदेलखंड में बिगड़ती कानून व्यवस्था और बदहाल बिजली व्यवस्था को लेकर कांग्रेस नेताओं ने सपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए झांसी कानपुर हाईवे जाम कर दिया था।

कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को 12 साल पुराने केस में मिली सजा
खबर विस्तार : -

झांसी: कानपुर हाईवे जाम करने के मामले में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य और उनके साथ 13 लोगों को अदालत ने 2 साल कैद की सजा सुनाई है। यह सजा अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या 1 विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए अनिल कुमार सप्तम ने परीक्षा थर्मल पावर प्लांट के बाहर बिजली कटौती से परेशान लोगों की आवाज उठाने के लिए प्रदर्शन कर झांसी कानपुर हाईवे जाम करने के मामले में सुनाई है।

12 साल पुराना है मामला

यह घटना करीब 12 साल पहले हुई थी लेकिन फैसला अब आया है। अदालत ने देर शाम सभी को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है। 11 जून 2013 को हुई इस घटना के बारे में बताया गया है कि बुंदेलखंड में बिगड़ती कानून व्यवस्था और बदहाल बिजली व्यवस्था को लेकर कांग्रेस ने उस समय की समाजवादी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बुंदेलखंड को बिजली कटौती से मुक्त कराने और बिजली दलों की बिजली कटौती बंद कराने के लिए कांग्रेस कमेटी ने 11 जून 2013 को हल्ला बोला था

जिलाधिकारी के पहुंचने के बाद सुलझा मामला

11 जून 2013 को दयानंद फूलन स्टेडियम में धरना-प्रदर्शन के लिए कांग्रेस कमेटी की ओर से अनुमति ली गई थी। धरना-प्रदर्शन सुबह करीब 11:00 बजे शुरू हुआ जिसका नेतृत्व केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन ने किया। दोपहर करीब 3:30 बजे लोग अचानक बाहर निकल आए और झांसी कानपुर हाईवे पर बने ओवर ब्रिज के पास इकट्ठा होने लगे। पुलिस के अनुसार, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के इशारे पर लोग सड़क पर जमा हो गए, नारेबाजी की और सड़क जाम कर दी। उस समय बारा गांव के तत्कालीन प्रभारी हाकिम सिंह ने थाने में लिखित तहरीर देकर कहा था कि पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और तत्कालीन बबीना ब्लॉक प्रमुख के समर्थक सड़क पर बैठ गए हैं और मांगें पूरी न होने तक जाम लगाए रखने की चेतावनी दी है। 

इस दौरान बस में तोड़फोड़ की धमकी भी दी गई। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन ये लोग नहीं माने। सूचना मिलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी तनवीर जफर अली भी वहां पहुंचे और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री से बात की। बातचीत के बाद उनकी मांगों से लखनऊ अवगत कराया गया। लखनऊ सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त संदेश प्रदीप जैन आदित्य तक पहुँचाए गए। इसके बाद ही आंदोलन समाप्त हुआ और आंदोलनकारी सड़क से हटे।

कोर्ट से बाहर आकर भावुक हुए  प्रदीप जैन

राज्य मंत्री प्रदीप जैन को अब विभिन्न धाराओं में 2 साल की सजा होने पर चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत आपराधिक मामलों में दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता जा सकती है और उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। हालाँकि, अदालत के आदेश में अपील के लिए एक महीने की समय सीमा निर्धारित की गई है। इसके बाद ही इस आदेश पर अमल हो सकेगा। सजा सुनने के बाद पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन अदालत से बाहर आकर काफी भावुक हो गए। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे अपनी सजा से नहीं, बल्कि अपने साथियों को मिली सजा से सबसे ज्यादा दुख है, लेकिन हम मरते दम तक बुंदेलखंडी धरती के लिए लड़ते रहेंगे। मीडिया से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री बार-बार भावुक हो गए और उनकी आँखों में बार-बार आँसू आ गए। इस संबंध में संयुक्त निदेशक अभियोजन झांसी अजय कुमार मिश्रा का कहना है कि अभियोजन पक्ष की यह बड़ी उपलब्धि है, न्यायालय में मजबूत पैरवी और महत्वपूर्ण प्रयासों के चलते यह सजा सुनाई गई है।

अधिवक्ता ने दी पूरी जानकारी

बचाव पक्ष के अधिवक्ता विवेक बाजपेयी का कहना है कि हम इस फैसले के लिए अपील करेंगे। न्यायालय ने 20,000 रुपये की जमानत और निजी मुचलका 7 दिन के भीतर दाखिल करने को कहा है। विवेचना में 7 क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट हटा दिया गया था, लेकिन न्यायालय ने इसका संज्ञान लेते हुए सजा सुनाई। न्यायालय ने धारा 504 और धारा 188 में उसे बरी कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन 14 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में एक आरोपी पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री का रिश्तेदार था। नाबालिग होने के कारण उसकी फाइल अलग करके किशोर न्यायालय भेज दी गई और उसकी सुनवाई अलग से हुई।

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