राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बड़ी राहत, अब मिलेगा मुफ्त कैशलेस इलाज!

खबर सार :-
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस योजना' शुरू की है। इसके तहत अब उन्हें निजी अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक और सरकारी अस्पतालों में असीमित मुफ्त इलाज मिलेगा। इसके लिए 11 से 16 सितंबर तक विशेष कैंप लगाए जाएंगे ताकि सभी पात्र लाभार्थियों के कार्ड बनाए जा सकें।

राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बड़ी राहत, अब मिलेगा मुफ्त कैशलेस इलाज!
खबर विस्तार : -

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों को एक बड़ी राहत दी है। अब उन्हें मुफ्त और कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलेगी। अभी तक इस तरह की कोई सुविधा नहीं थी, जिससे इलाज के लिए उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते थे। इस नई पहल को पंडित दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस योजना नाम दिया गया है, जिसके तहत पात्र कर्मचारी और पेंशनर अब निजी और सरकारी अस्पतालों दोनों में मुफ्त इलाज करा सकेंगे।

योजना से क्या मिलेगा फायदा?

इस योजना के अंतर्गत, कैशलेस कार्ड धारक निजी अस्पतालों में एक साल में 5 लाख रुपये तक का इलाज करा सकेंगे। वहीं, सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए कोई भी राशि सीमा नहीं रखी गई है, यानी वहां वे जितना चाहे उतना इलाज करा सकते हैं। इस सुविधा से कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ-साथ उनके आश्रितों को भी फायदा होगा।

कार्ड बनवाने की प्रक्रिया

इस योजना का लाभ लेने के लिए कैशलेस कार्ड बनवाना अनिवार्य है। मंडल आयुक्त श्री विमल कुमार दुबे ने कर्मचारियों की मांग पर 11 से 16 सितंबर तक सभी जनपदीय कोषागारों में विशेष कैंप लगाने का निर्देश दिया है। मुख्य कोषाधिकारी अनिल कुमार मिश्रा ने सभी संबंधित कार्यालयों को पत्र जारी कर दिया है, और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इन कैंपों की देखरेख करने के लिए अधिकृत किया गया है।

कैशलेस चिकित्सा कार्ड बनवाने के लिए, कर्मचारियों और पेंशनरों को कुछ जरूरी दस्तावेज साथ लेकर जाने होंगे। इनमें कर्मचारी या पेंशनर और उनके आश्रितों के आधार कार्ड, आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर, फोटोग्राफ्स, विभागीय डीडीओ कोड, पीपीओ नंबर और पे-बैंड लेवल शामिल हैं।

यह सुविधा हर साल नवीनीकृत करानी होगी, जिससे इसका लाभ लगातार मिलता रहे।

एक बड़ा कदम

आज के समय में, इलाज पर होने वाला खर्च बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में, सरकार की यह पहल राज्य कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके परिवारों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल उन्हें आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी, बल्कि वे बिना किसी चिंता के बेहतर चिकित्सा सुविधा भी प्राप्त कर सकेंगे।

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