बुजुर्गों के साथ-साथ अब युवा और बच्चे भी हो रहे पेट के रोगों के शिकार, ऐसे कर सकते हैं बचाव

खबर सार :-
आंतों के स्वास्थ्य की अनदेखी करना शरीर के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। आंतों को दूसरा मस्तिष्क कहा जाता है क्योंकि इसका सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य और मनोदशा से होता है। आंतों को स्वस्थ्य रखना सबसे जरूरी क्योंकि यहीं से सभी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। बच्चों और युवाओं पर इनका ज्यादा असर नहीं दिखता लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ये खतरनाक हो सकता है।

बुजुर्गों के साथ-साथ अब युवा और बच्चे भी हो रहे पेट के रोगों के शिकार, ऐसे कर सकते हैं बचाव
खबर विस्तार : -

वर्तमान जीवनशैली के प्रभाव से युवाओं और बच्चों में भी आंतों का सिकुड़ना और आंतों के रोग खूब देखने को मिल रहे हैं। आज युवा अपने आहार में हरी सब्ज़ियाँ, फल आदि लेने के बजाय फ़ास्ट फ़ूड और पैक्ड फ़ूड का अधिक सेवन कर रहे हैं, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि शरीर को स्वस्थ रखने वाली आंतें स्वयं बीमार होती जा रही हैं। आंतों में गड़बड़ी के कारण शरीर में कई पाचन संबंधी बीमारियाँ जन्म ले रही हैं।

सबसे ज्यादा युवा हो रहे शिकार

इतना ही नहीं, मधुमेह, मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ भी पनप रही हैं। आईबीएस इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से पीड़ित रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के एक आंकड़े के अनुसार, पहले यह बीमारी बुजुर्गों या 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में ज़्यादा होती थी, लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। देखा गया है कि बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण फ़ास्ट फ़ूड, पैक्ड फ़ूड का सेवन, फल ​​और हरी सब्ज़ियाँ आदि का सेवन न करना है।

इलाज में लापरवाही पड़ सकती है भारी

पेट में गैस, कब्ज, एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या से पीड़ित रोगियों की संख्या पिछले साल से काफ़ी बढ़ गई है। इसमें बुजुर्गों के साथ-साथ युवा और बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के गैर-संचारी रोग नियंत्रण के नोडल अधिकारी और कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विमल आर्य के अनुसार, आंतों में रहने वाले सूक्ष्मजीव पाचन तंत्र को संतुलित रखने का काम करते हैं। ये सूक्ष्मजीव भोजन को तोड़कर पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ शरीर को हानिकारक बैक्टीरिया से भी बचाते हैं। ये जीव नींद को भी प्रभावित करते हैं। इसके इलाज में लापरवाही बरतने से कोलन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

क्या हैं इसके लक्षण

आप अपनी आंतों की खराबी को इन लक्षणों से पहचान सकते हैं। पेट में सूजन, गैस बनना, बार-बार पेट दर्द, कब्ज, पेट फूलना, शौच में कठिनाई, सांसों की दुर्गंध, त्वचा संबंधी समस्याएं, मानसिक तनाव आदि आंतों की गड़बड़ी के प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर व्यक्ति को तुरंत इलाज करवाना चाहिए। इन सभी लक्षणों से भी बचा जा सकता है। मेडिकल कॉलेज के डॉ. विमल आर्य के अनुसार, यदि आप संतुलित आहार लें जिसमें पर्याप्त फाइबर, हरी सब्ज़ियाँ, फल और साबुत अनाज शामिल हों, ज़्यादा पानी पिएँ, व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, दही और छाछ जैसे प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें और फ़ास्ट फ़ूड व प्रोसेस्ड फ़ूड से दूर रहें, समय पर भोजन करें और पर्याप्त नींद लें।

यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार अपनी दिनचर्या और आहार का पालन करे, तो वह पेट की बीमारियों से खुद को बचा सकता है और स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसलिए, स्वस्थ जीवन जीने के लिए आंतों का स्वस्थ होना बहुत ज़रूरी है। हमारा पाचन तंत्र भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है और इसका सीधा असर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

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