FIR Against Investigators : जांचकर्ताओं पर उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ FIR का आदेश दिया

खबर सार :-
FIR Against Investigators : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई अधिकारी नीरज कुमार और विनोद कुमार पांडे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि व्यवस्था पर जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि जांच करने वालों की भी जांच हो।

FIR Against Investigators : जांचकर्ताओं पर उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ FIR का आदेश दिया
खबर विस्तार : -

FIR Against Investigators  : कानून सबके लिए बराबर है। भारत की न्याय व्यवस्था ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व सीबीआई अधिकारियों, नीरज कुमार और विनोद कुमार पांडे, के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है वह लगभग दो दशक पुराना है। मामले में दोनों अधिकारियों पर अपने पद का दुरुपयोग करने और शिकायतकर्ताओं को धमकाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गएं हैं।

FIR Against Investigators : कभी-कभी जांच करने वालों की भी जांच होनी चाहिए- सुप्रीम कोर्ट

यह फैसला जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने सुनाया, जिसने यह साफ कर दिया कि जब जांच एजेंसियां ही अपने कर्तव्यों में अनियमितता बरतें, तो उन पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि यह सही समय है कि कभी-कभी जांच करने वालों की भी जांच होनी चाहिए ताकि व्यवस्था में आम जनता का विश्वास बना रहे। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर एक गहरा सवाल खड़ा करती है।
मामला वर्ष 2000 का है, जब विजय अग्रवाल और शीश राम सैनी ने अपनी शिकायतों में सीबीआई अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। विजय अग्रवाल का आरोप है कि विनोद कुमार पांडे ने अपने वरिष्ठ अधिकारी नीरज कुमार के इशारे पर उनके भाई की शिकायत वापस लेने के लिए उन पर दबाव डाला था। वहीं, शीश राम सैनी ने दस्तावेजों की जब्ती के दौरान अधिकारियों पर धमकाने और प्रक्रियागत अनियमितताओं का आरोप लगाया है। हालांकि, सीबीआई ने इन आरोपों को निराधार बताया है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए एफआईआर का आदेश दिया था।

FIR Against Investigators :  जांच के नाम पर किसी भी तरह की मनमानी या पद का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहरातेे हुए कहा कि ऐसे गंभीर आरोप, जो प्रथम दृष्टया आईपीसी के तहत संज्ञेय अपराध हैं, को हल्के में नहीं लेना चाहिए। कोर्ट ने माना कि यह तय करना कि दोनों अधिकारियों के बीच मिलीभगत थी या नहीं, जांच का विषय है। इस फैसले से यह संदेश गया है कि जांच के नाम पर किसी भी तरह की मनमानी या :पद का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नीरज कुमार, जो 2013 में सेवानिवृत्त हुए और दिल्ली पुलिस आयुक्त  के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका है।
इस फैसले ने एक बार फिर न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर मुहर लगा दी है, और यह साबित किया है कि कानून सभी के लिए समान है, भले ही कोई व्यक्ति कितने भी उच्च पद पर क्यों न हो।

अन्य प्रमुख खबरें