नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में स्थित भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट एकल रेलवे लाइन (177 किमी) के दोहरीकरण को मंजूरी दी है। इस परियोजना की कुल लागत करीब 3,169 करोड़ रुपए है। इसके जरिए भारतीय रेलवे के परिचालन की दक्षता में वृद्धि होगी और रेलवे नेटवर्क की क्षमता में सुधार होगा।
इस दोहरीकरण परियोजना का मुख्य उद्देश्य रेलवे ट्रैक की क्षमता बढ़ाना और भीड़भाड़ को कम करना है। यह परियोजना भारत के सबसे व्यस्त रेलवे खंडों में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी, जिससे यात्रा और माल परिवहन दोनों में गति और सुविधा में सुधार होगा। इसके अतिरिक्त, रेलवे ट्रैक के मल्टी-ट्रैकिंग से परिचालन में आसानी होगी और इस क्षेत्र के लोगों के लिए बेहतर यात्री सेवाएं प्रदान की जाएंगी। प्रधानमंत्री मोदी के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण के अनुसार, यह परियोजना क्षेत्रीय विकास में योगदान करेगी और रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगी। इसके परिणामस्वरूप, यह बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को मजबूती प्रदान करेगा।
यह परियोजना पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पर आधारित है, जो मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसके माध्यम से, लोगों, माल और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, विभिन्न क्षेत्रों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित करने से पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा। कैबिनेट समिति ने इस परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के पांच जिलों को कवर करेगी और मौजूदा भारतीय रेलवे नेटवर्क में करीब 177 किलोमीटर का विस्तार करेगी। इससे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल जैसे देवघर (बाबा वैद्यनाथ धाम) और तारापीठ (शक्तिपीठ) को बेहतर रेल कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी।
इस मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 441 गांवों और 28.72 लाख लोगों को जोड़ा जाएगा। साथ ही, यह परियोजना तीन महत्वपूर्ण जिलों - बांका, गोड्डा और दुमका - में कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देगी। यह मार्ग विशेष रूप से कोयला, सीमेंट, उर्वरक, ईंट और पत्थर जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी क्षमता वृद्धि से अतिरिक्त 15 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) माल परिवहन संभव होगा। इसके साथ ही, यह परियोजना पर्यावरण के लिए भी लाभकारी साबित होगी। रेलवे का उपयोग ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण मित्र परिवहन के रूप में किया जाता है, जिससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके परिणामस्वरूप, तेल आयात में 5 करोड़ लीटर की कमी, और सीओ-2 उत्सर्जन में 24 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी, जो एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व में यह रेलवे दोहरीकरण परियोजना बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा विकास साबित होगी। इससे ना सिर्फ क्षेत्रीय विकास और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। यह परियोजना भारतीय रेलवे के नेटवर्क को और भी मजबूत बनाएगी, जिससे आने वाले वर्षों में यात्रा और माल परिवहन में सुधार होगा।
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