Narendra Modi vs Rahul Gandhi : लोकसभा में हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई तीखी बहस ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस चर्चा ने न केवल सियासी गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि सोशल मीडिया और आम जनता के बीच भी जोरदार बहस को छेड़ दिया है। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हुई इस जुबानी जंग में दोनों पक्षों के समर्थकों के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन अगर लोकप्रियता की बात करें, तो यूट्यूब पर इस बहस का असर साफ दिखाई देता है। बुधवार सुबह 11;30 बजे तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर उनके भाषण को 1.4 लाख लोगों ने देखा, जबकि विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आधिकारिक चैनल पर उनके भाषण को 2.46 लाख लोगों ने देखा। यह आंकड़ा इस बहस की लोकप्रियता और लोगों की उत्सुकता को दर्शा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर, जो भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक दृढ़ता का प्रतीक बन चुका है, इस बार लोकसभा में चर्चा का मुख्य विषय रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 100 मिनट से ज्यादा लंबे भाषण में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। यह बहस केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और नेतृत्व की इच्छाशक्ति जैसे गंभीर मुद्दों पर तीखी तकरार देखने को मिली। आइए, इस बहस के प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालते हैं और समझते हैं कि दोनों नेताओं ने क्या कहा और कैसे एक-दूसरे को जवाब दिया।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में आकर ऑपरेशन सिंदूर को कमजोर किया और समय से पहले पाक को सूचित कर दिया कि भारत युद्ध नहीं चाहता। राहुल ने यह भी कहा कि सरकार की विदेश नीति असफल रही, क्योंकि किसी भी देश ने पाक की निंदा नहीं की। इसके अलावा, उन्होंने सरकार पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाया और कहा कि अगर प्रधानमंत्री में इंदिरा गांधी जितना साहस होता, तो वे इन मुद्दों पर खुलकर जवाब देते।
प्रधानमंत्री मोदी ने इन आरोपों का जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि विश्व के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने उनसे बात करने की कोशिश की थी, लेकिन वह उस समय व्यस्त थे। बाद में हुई बातचीत में अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि पाक बड़ा हमला कर सकता है, जिसका मोदी ने जवाब दिया कि अगर ऐसा हुआ तो पाक को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
मोदी ने राहुल के उस दावे का भी खंडन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने 22 मिनट बाद ही पाक को सूचना दे दी। मोदी ने कहा कि भारत ने अपना लक्ष्य पूरी तरह हासिल कर लिया था और पाक को यह बता दिया गया कि हमारी सेना तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय सेना ने प्रचंड जवाबी कार्रवाई कर पाक को घुटनों पर ला दिया।
राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि इंडिया गठबंधन के सभी नेता सरकार के साथ खड़े थे। इस पर मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि विश्व के कई देशों ने भारत का समर्थन किया, लेकिन कांग्रेस का साथ नहीं मिला। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि हमले के कुछ दिनों बाद ही कांग्रेस ने उनकी 56 इंच की छाती पर सवाल उठाना शुरू कर दिया।
राहुल के विदेश नीति की असफलता के आरोप पर मोदी ने जवाब दिया कि किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने से नहीं रोका। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान की परमाणु धमकियों को नजरअंदाज कर अपनी ताकत का परिचय दिया, जो पहले कभी नहीं हुआ।
राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि पाक के तत्कालीन डीजीएमओ मुनीर का ट्रंप के साथ लंच करना अब नया सामान्य है। इस पर मोदी ने जवाब दिया कि अब अगर पाक भारत पर हमला करेगा, तो भारत घुस के मारेगा। उन्होंने इसे भारत का नया सामान्य करार दिया।
लोकसभा की इस बहस ने न केवल राजनीतिक नेताओं, बल्कि आम जनता और सोशल मीडिया को भी दो खेमों में बांट दिया। यूट्यूब के आंकड़े बताते हैं कि राहुल गांधी का भाषण अधिक लोगों ने देखा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे बहस में भारी पड़े। दूसरी ओर, मोदी के समर्थकों का मानना है कि उनके तथ्यपरक और आक्रामक जवाब ने विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया। जबकि उनके आलोचकों का कहना है कि मोदी ने उन सवालों के जवाब नहीं दिए जिसे जनता व विपक्ष के नेता मांग रहे थे। मोदी एक बार फिर नेहरू, इंदिरा और कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों के पीछे छिपते नजर आए। मोदी के अलावा उनके तीन नेता एस जयशंकर, अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा दूसरी ओर राहुल के अलावा अखिलेश यादव, गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी के भाषण भी लोगों की चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। जहां मोदी इतिहास में कांग्रेस की गलतियों का आईना राहुल को दिखाते रहे वहीं राहुल गांधी के भाषण में आत्मविश्वास और तर्कों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि कौन विजेता रहा।
एक मजबूत भारत की तस्वीर
ऑपरेशन सिंदूर पर हुई यह बहस केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं थी। यह भारत की सैन्य ताकत, रणनीतिक दृष्टिकोण और वैश्विक मंच पर बढ़ती साख का प्रतीक थी। जहां राहुल गांधी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, वहीं मोदी ने भरपूर अपनी सरकार की नीतियों की रक्षा की। यह बहस न केवल नेताओं के बीच की तकरार थी, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अब अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है।
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