 
          Malegaon Blast Case : महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले में NIA की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 17 साल पुराने इस मामले में भोपाल से पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा (Sadhvi Pragya Singh Thakur) को मुख्य आरोपी बनाया गया था। अदालत ने अपने फैसले में माना कि NIA सभी सातों आरोपों को साबित करने में विफल रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। मालेगांव विस्फोट में 6 लोगों की जान गई थी जबकि 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
इस मामले में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Sadhvi Pragya Singh Thakur) का बयान आया है और उन्होंने अपने बरी होने को भगवा की जीत बताया है। यह कहते हुए वह अदालत में बेहद भावुक हो गईं और रोने लगीं। उन्होंने कहा, 'मैंने सालों तक अपमान सहा, कई बार संघर्ष किया। मुझे तब बदनाम किया गया जब मैं दोषी नहीं थी। आज भगवा जीत गया, हिंदुत्व जीत गया। 'भगवा आतंकवाद' का झूठा आरोप अब झूठा साबित हो गया है।'
कोर्ट के बाहर आकर उन्होंने कहा, 'मेरे जीवन के 17 साल बर्बाद हो गए। भगवा को बदनाम करने की कोशिश करने वालों को भगवान सजा देंगे। 'साध्वी प्रज्ञा ने जज से कहा, "मुझे जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था, लेकिन जब मैं पहुंची, तो मुझे बिना किसी कारण के गिरफ़्तार कर लिया गया और मुझे प्रताड़ित किया गया। उस यातना ने मेरा पूरा जीवन बर्बाद कर दिया। मैं एक संन्यासिनी का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझ पर झूठा आरोप लगाया गया, और उस समय कोई भी हमारे साथ खड़ा होने को तैयार नहीं था। आज मैं ज़िंदा हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। मैं हर दिन मरते हुए अपना जीवन जी रही हूं।"
बता दें कि 29 सितंबर 2008 को रमज़ान के पवित्र महीने में हुए इस धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। मालेगांव विस्फोट की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई रंग या धर्म नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन वे यह साबित करने में विफल रहे कि बाइक में बम लगाया गया था। मालेगांव विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई थी और इस हादसे में 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
पूरे मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी। हालांकि, यह मामला वर्ष 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया था, लेकिन लगभग 5 साल की जांच के बाद, एनआईए ने 2016 में आरोप पत्र दायर किया। इस मामले 31 जुलाई को फैसला सुनाते हुए कोर्ट सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले बरी हुए रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी को बरी कर दिया।
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