नई दिल्ली: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस एलसीए एमके-1ए के लिए तीसरा जीई-404 इंजन प्राप्त हुआ है। यह इंजन अमेरिकी कंपनी से मिला है और एचएएल को उम्मीद है कि सितंबर 2025 के अंत तक चौथा जेट इंजन भी उन्हें मिल जाएगा। यह सप्लाई श्रृंखला में सुधार का संकेत है, जिससे तेजस एमके-1ए के उत्पादन और डिलीवरी कार्यक्रम में गति आएगी।
तेजस एलसीए एमके-1ए को भारतीय वायुसेना के लिए निर्मित किया जा रहा है। इसे आधुनिक एवियोनिक्स, बेहतर हथियार क्षमता और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस किया जाएगा। भारतीय वायुसेना ने इन विमानों के लिए कुल 83 विमानों का ऑर्डर दिया है, जो आने वाले वर्षों में क्रमिक रूप से डिलीवर किए जाएंगे। भारतीय वायुसेना ने स्वदेशी तेजस एलसीए को अपने बेड़े में शामिल करने का निर्णय लिया है, जिससे स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में अहम कदम उठाए जा रहे हैं।
एचएएल के अधिकारियों ने बताया कि इंजन की आपूर्ति में समय पर सुधार से डिलीवरी शेड्यूल पर सकारात्मक असर पड़ेगा। जुलाई में एचएएल को दूसरा जीई-404 इंजन मिला था, और अब तीसरे इंजन की उपलब्धता से इस परियोजना में प्रगति हो रही है। आने वाले महीनों में चौथा इंजन मिलने के बाद, डिलीवरी कार्यक्रम को गति मिलेगी और भारतीय वायुसेना को पहले 12 तेजस एलसीए एमके-1ए विमानों की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस सप्लाई श्रृंखला के सुचारु होने से ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बढ़ावा मिलेगा। एचएएल को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक कुल 12 जीई-404 जेट इंजन प्राप्त होने की उम्मीद है, जो भारतीय लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए में लगाए जाएंगे। अब, जब अमेरिका से जेट इंजन की आपूर्ति जारी हो गई है, तो माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना को तेजस के पहले बैच की डिलीवरी जल्द हो सकती है। इसके बाद, और भी तेजस एलसीए विमानों की आपूर्ति की जाएगी, जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत में वृद्धि होगी।
रक्षा मंत्रालय ने भी आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्वदेशी एलसीए परियोजना को महत्वपूर्ण बताया है। उनका मानना है कि यह परियोजना भारतीय वायुसेना को अत्याधुनिक, स्वदेशी लड़ाकू विमानों से लैस करने के उद्देश्य को पूरा करेगी। फिलहाल, वायुसेना के पास केवल दो एलसीए-तेजस (मार्क-1) की स्क्वाड्रन हैं, लेकिन आने वाले वर्षों में इसकी संख्या में वृद्धि होनी की उम्मीद है। एचएएल का कहना है कि इंजन की उपलब्धता से उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और डिलीवरी शेड्यूल को पूरा करने में आसानी होगी। जैसे-जैसे इन विमानों की आपूर्ति बढ़ेगी, वैसे-वैसे स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
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